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Showing posts from August 27, 2017

हम अपनी भाषा और क्षेत्र बिलकुल नहीं देखते हैं। केवल यही देखते और समझते हैं कि अंग्रेजों ने क्या लिखा है।

भारत में अभ्यास हो गया है कि हम अपनी भाषा और क्षेत्र बिलकुल नहीं देखते हैं। केवल यही देखते और समझते हैं कि अंग्रेजों ने क्या लिखा है। अपनी तरह भारतीयों को भी विदेशी सिद्ध करने के लिये सिन्ध में खुदाई कर उसके मनमाने अर्थ निकाले। आज तक नयी नयी कल्पनायें हो रही हैं। केवल महाराष्ट्र नाम और उसके विशेष शब्दों अजिंक्या, विट्ठल आदि पर ध्यान दिया जाय तो भारत का पूरा इतिहास स्पष्ट हो जायगा। इन शब्दों का मूल समझा जा सकता है पर यह क्यॊं महाराष्ट्र में ही हैं यह पता लगाना बहुत कठिन है। जो कुछ हमारे ग्रन्थों में लिखा है, उसका ठीक उलटा हम पढ़ते हैं। इन्द्र को पूर्व दिशा का लोकपाल कहा है, उसके बारे में अब कहते हैं कि यह आर्यों का मुख्य देवता था जो पश्चिम से (अंग्रेजों की तरह) आये थे। कहानी बनायी है कि पश्चिम उत्तर से आकर आर्यों ने वेद को दक्षिण भारत पर थोप दिया। पर पिछले ५००० वर्षों से भागवत माहात्म्य में पढ़ते आ रहे हैं कि ज्ञान विज्ञान का जन्म दक्षिण से हुआ और उसका उत्तर में प्रसार हुआ। अहं भक्तिरिति ख्याता इमौ मे तनयौ मतौ। ज्ञान वैराग्यनामानौ कालयोगेन जर्जरौ॥४५॥ उत्पन्ना द्रविडे साहं वृद्धिं कर्णा...

संस्कृत को सारी भाषाओं की जननी घोषित किए जाने के पीछे क्या शजिश थी

आइये देखें कि किस तरह ईसाई विद्वानों ने #वर्ण  का अर्थ चमड़ी के रंग की नश्ल्भेदी सिद्धान्त की आधारशिला भारत मे रखी ? आर्यों के मनगढ़ंत कहानी का सिलसिला किसने और कैसे शुरू हुआ ?   #संस्कृत को सारी भाषाओं की जननी घोषित किए जाने के पीछे क्या शजिश थी ? #मिथक और #Mythology  किसको कहते है ? ? --------------------------------------------------------------------------------------------------------------- यूरोपीय देशों के भारत पर आधिपत्य जमाने के दौरान गीता और कालिदास द्वारा रचित शकुंतला जैसे ग्रंथों का यूरोपीय भाषाओँ में जब अनुवाद हुवा , और वहां के विद्वानों ने उनको पढ़ा , तो एक नयी ज्योति उनको देखने को मिली ।प्रकृति को समझने की दिशा में, बाइबिल में जिन प्रश्नों के उत्तर उनको नहीं मिल रहे थे, उसके उत्तर खोजने के लिए वहां जो नई चेतना का जन्म हो रहा था , उनके उत्तर इन ग्रंथों ने दिए।       इसके पहले, आप सब इस तथ्य से विज्ञ हैं कि 1600 AD के आस पास ब्रूनो नामक वैज्ञानिक को चर्च ने 7 साल के कारावास के बाद , आग में जलाकर मार डालने की सजा दी थी, सिर्फ इस बात के लिए ...

कांग्रेस_मुक्त_भारत ! क्यों ?? हमेशा से हिंदू विरोधी है कांग्रेस

⛳ *कांग्रेस_मुक्त_भारत ! क्यों ??*⛳ *हमेशा से हिंदू विरोधी है कांग्रेस* 👇🏼 1. *वंदेमातरम से थी दिक्कत:* आजादी के बाद यह तय था कि वंदे मातरम राष्ट्रगान होगा। लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने इसका विरोध किया और कहा कि वंदे मातरम से मुसलमानों के दिल को ठेस पहुंचेगी। जबकि इससे पहले तक तमाम मुस्लिम नेता वंदे मातरम गाते थे। नेहरू ने ये रुख लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों को शह दे दी। जिसका नतीजा देश आज भी भुगत रहा है। आज तो स्थिति यह है कि वंदेमातरम को जगह-जगह अपमानित करने की कोशिश होती है। जहां भी इसका गायन होता है कट्टरपंथी मुसलमान बड़ी शान से बायकॉट करते हैं। 2. *सोमनाथ मंदिर का विरोध:* गांधी और नेहरू ने हिंदुओं के सबसे अहम मंदिरों में से एक सोमनाथ मंदिर को दोबारा बनाने का विरोध किया था। गांधी ने तो बाकायदा एतराज जताते हुए कहा था कि सरकारी खजाने का पैसा मंदिर निर्माण में नहीं लगना चाहिए, जबकि इस समय तक हिंदू मंदिरों में दान की बड़ी रकम सरकारी खजाने में जमा होनी शुरू हो चुकी थी। जबकि सोमनाथ मंदिर के वक्त ही अगर बाबरी, काशी विश्वनाथ और मथुरा कृष्ण जन्मभूमि के विवादों को भी हल किया जा सकता था। लेक...

भारतीय इतिहास का विकृतिकरण 8

भारतीय इतिहास का विकृतिकरण ==================== भारत के प्राचीन विद्वानों को कालगणना-ज्ञान से अनभिज्ञमानकर पाश्चात्य इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास की प्राचीन तिथियों का निर्धारण करते समय यह बात बार-बार दुहराई है कि प्राचीन काल में भारतीय विद्वानों के पास तिथिक्रम निर्धारित करने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं थी। कई पाश्चात्य विद्वानों ने तो यहाँ तक कह दिया है कि प्राचीन काल में भारतीयों का इतिहास-ज्ञान ही ‘शून्य‘ था। उन्हें तिथिक्रम का व्यवस्थित हिसाब रखना आता ही नहीं था। इसीलिए उन्हें सिकन्दर के भारत पर आक्रमण से पूर्व की विभिन्न घटनाओं के लिए भारतीय स्रोतों के आधार पर बनने वाली तिथियों को नकारना पड़ा किन्तु उनका यह कहना ठीक नहीं है। कारण ऐसा तो उन्होंने जानबूझकर किया था क्योंकि, उन्हें अपनी काल्पनिक काल-गणना को मान्यता जो दिलानी थी। यदि भारत के प्राचीन विद्वान इतिहास-ज्ञान से शून्य होते तो प्राचीन काल से सम्बंधित जो ताम्रपत्र या शिलालेख आज मिलते हैं, वे तैयार ही नहीं कराए जाते। ऐसे अभिलेखों की उपस्थिति में भारत के प्राचीन विद्वानों पर पाश्चात्य विद्वानों का कालगणना-ज्ञानया तिथिक्रम ...

कैलकुलस के वास्तविक खोजकर्ता कौन : न्यूटन, लैब्नीज़ या भारतीय गणितज्ञ

कैलकुलस के वास्तविक खोजकर्ता कौन : न्यूटन, लैब्नीज़ या भारतीय गणितज्ञ By:-  डॉ अशोक कुमार तिवारी गणित की एक महत्वपूर्ण शाखा है – कैलकुलस या कलन. गणित की इस शाखा में चर राशियों के सूक्ष्म परिवर्तन का अध्ययन किया जाता है. कैलकुलस के दो भाग है – अवकलन ( डिफरेंशियल कैलकुलस) तथा समाकलन (इंटीग्रल कैलकुलस). विज्ञान, इंजीनियरिंग, अर्थशात्र आदि के सिद्धांतों की व्युत्पत्ति तथा अनुप्रयोगों में कैलकुलस का उपयोग होता है. आधुनिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र की प्रगति कैलकुलस के बिना असंभव है. छात्रों को यह पढ़ाया जाता है कि कैलकुलस की खोज सत्रहवीं शताब्दी की शुरुआत में अंग्रेज गणितज्ञ सर आइज़क न्यूटन तथा जर्मन गणितज्ञ लैब्नीज़ ने की थी . इन दोनों को कैलकुलस का पिता माना जाता है. लेकिन भारत में कैलकुलस का उपयोग हिन्दू गणितज्ञों द्वारा छठवीं शताब्दी से ही किये जाने के प्रमाण मिलते है. दसवीं शताब्दी तक भारत के गणितज्ञों में कैलकुलस का प्रयोग व्यापक था. फिर सत्रहवीं शताब्दी के न्यूटन तथा लैब्नीज़ कैलकुलस के जनक कैसे हो गए? इस लेख में हम एक महत्वपूर्ण प्रश्न – ‘कैलकुलस के वास्तविक खोजकर्ता कौन...

मात्र संयोग नहीं होता किसी से मिलना, इसके पीछे होते हैं ये 5 अलौकिक कारण

मात्र संयोग नहीं होता किसी से मिलना, इसके पीछे होते हैं ये 5 अलौकिक कारण दरअसल कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमारे जीवन में हमेशा के लिए नहीं आते, उनका हमारे जीवन में आने का एक खास मकसद होता है और जब यह मकसद पूरा हो जाता है तब वह अपने आप ही हमारी लाइफ से दूर हो जाते हैं। कभी आपने ये सोचा है कि कौन हैं ये लोग और क्या है इनका हमारे जीवन में आने का असली उद्देश्य। 💝 ब्रह्मांडीय शक्ति जानकारों की मानें कि ये सब पहले से ही निर्धारित होता है कि कौनसा व्यक्ति किस समय हमारे जीवन में आएगा, लेकिन जब कोई अचानक हमारे जीवन में आता है तो यह मात्र कोई संयोग नहीं होता, इसके पीछे कई कारण होते हैं जो स्वयं ब्रह्मांडीय शक्ति द्वारा रचित हैं। चलिए जानते हैं क्या हैं वो कारण। 💝 हमें रोकने के लिए कई बार जो लोग हमारे जीवन में आते हैं उनका वास्तविक उद्देश्य हमें आगे बढ़ने से रोकना होता है। शायद हम जिस मार्ग पर चल रहे हैं वह हमारे लिए सही नहीं है, इसलिए ब्रह्मांड की कोई शक्ति मनुष्य रूप में हमारे सामने आती है और हमें रोकने की कोशिश करती है। ऐसी स्थिति में हमें एक बार अवश्य रुक कर अपने निर्णयों पर पुन: विच...

भारतीय इतिहास का विकृतिकरण7 माइथोलॉजी की कल्पना

भारतीय इतिहास का विकृतिकरण ==================== माइथोलॉजी की कल्पना आज के विद्वान प्राचीन काल की उन बातों को, जिनकी पुष्टि के लिए उन्हें पुरातात्त्विक आदि प्रमाण नहीं मिलते, मात्र ‘माइथोलॉजी‘ कहकर शान्त हो जाते हैं। वे उस बात की वास्तविकता को समझने के लिए उसकी गहराई में जाने का कष्ट नहीं करते। अंग्रेजी का ‘माइथोलॉजी‘ शब्द ‘मिथ‘ से बना है। मिथ का अर्थ है - जो घटना वास्तविक न हो अर्थात कल्पित या मनगढ़ंत ऐसा कथानक जिसमें लोकोत्तर व्यक्तियों, घटनाओं और कर्मों का सम्मिश्रण हो। अंग्रेजों ने भारत की प्राचीन ज्ञान-राशि, जिसमें पुराण, रामायण, महाभारत आदि ग्रन्थ सम्मिलित हैं, को ‘मिथ‘ कहा है अर्थात उनकी दृष्टि में इन ग्रन्थोंमें जो कुछ लिखा है, वह सब कुछ कल्पित है, जबकि अनेक भारतीय विद्वानों का मानना है कि वे इन ग्रन्थोंको सही ढंग से समझने में असमर्थ रहे हैं। उनकी सबसे बड़ी कठिनाई यही थी कि उनका संस्कृत ज्ञान सतही था जबकि भारत का सम्पूर्ण प्राचीन वाङ्मय संस्कृत में था और जिसे पढ़ने तथा समझने के लिए संस्कृत भाषा का उच्चस्तरीय ज्ञान अपेक्षित था। अधकचरे ज्ञान पर आधारित अध्ययन कभी भी पूर्णता...

इलाज

"इलाज" एक मकान का मालिक जिसे अपना घर बाहर से बहुत सुन्दर लगता था।बाहर से इतना अच्छा लगने लगा कि भीतर छोड़ बस बाहर ही रहने लगा।बाहर से रोज साफ करता और बाकी आसपास के मकानों से सुन्दर दिखाने में लगा रहता भीतर जाना भूल ही गया।बाहर से लोग तारीफ करते तो बहुत खुश रहता।धीरे धीरे अंदर गंदगी फैलने लगी।एक दिन दीमक सारे दरवाजें,खिडकियों से बाहर आने लगी तो घबराया कि मेरे मकान की सुदरता को क्या हो गया बाहर से साफ करे पर दीमक तो भीतर से आ रही थी।अंदर झाकें तो सारा घर बदबू से भरा हुआ भीतर जाया न जाये।बाहर से सफाई न हो पाये। पछताया कि काश बाहर सफाई के साथ साथ भीतर भी साफ रखता तो आज मेरा घर भीतर बाहर से साफ रहता। "अरे निर्मल"मकान है तेरा शरीर और मालिक है तूँ स्वयं " इस शरीर के मालिक तो है पर ध्यान सिर्फ बाहर चमड़ी,बाहरी दुनिया,बाहरी शरीर रूपी मकानों पर लगा रखा है।भीतर काम,कोध्र,लोभ,मोह का दीमक लग चुका है और बाहर इनिद्रयों के दरवाजों से बाहर भी प्रकट हो रहा है।बाहर से छुटकारा पाने का प्रयास चल रहा है।आखों की खिड़की से शास्त्रों को पड़ा जा रहा है मुहं के दरवाजें से भजन गाये जा रह...

भगवान_अयप्पा

#भगवान_अयप्पा विष्णु जी का 9 वां अवतार केरल में एक जगह है पेरियार टाइगर रिजर्व। (पेरियार को तो आप जानते ही होंगे ?) खैर ये बाद में केरल के पतनमथिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्व की पहडियो में मंदिर है #सबरीमाला ये मंदिर है भगवान अयप्पा का। यहाँ कुम्भ मेले से ज्यादा तीर्थ यात्री जाते हैं हर साल यहाँ 10 करोड़ श्रद्धालु आते हैं।         सबरीमाला मंदिर भी भारत के अमीर मंदिरों में आता है सोना ही सोना है इतना जितना अमेरिका के पास नहीं। ये मंदिर है विष्णु जी के 9 वां अवतार भगवान अयप्पा जी का। गोरे आये तो उन होने गोतम बुद्ध को 9वां अवतार बना दिया। गोतम बुद्ध भी संत थे हिन्दू थे गौतम गोत्र से थे। मगर अवतार नहीं थे। यहाँ इन की चाल गलत पड़ गयी जिस को सुधारने के लिए इन होने इतिहास में तारीखे आगे पीछे कर दी आदि शंकराचार्य को 788 फिर बोद्धओ को हराना आदि कहानियां लिख दी टोटल कनफूजन पैदा कर दिया। उस समय के गोरे लगे हुए थे हिन्दू धर्म को नीचा करने में जो आज भी बदस्तूर जारी है। कभी भगवा आतंकवाद तो कभी कोई हिन्दू गुरु रेप हत्या के कारण जेल में। 10 करोड़ श्रद्धालु प्रति वर्...

भारतीय इतिहास का विकृतिकरण 6

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भारतीय इतिहास का विकृतिकरण ==================== विदेशी पर्यटकों के विवरणों की प्रामाणिकता भारतीय संस्कृति की विशिष्टताओं से प्रभावित होकर, भारतीय साहित्य की श्रेष्ठताओं से मोहित होकर और भारत की प्राचीन कला, यथा- मन्दिरों, मूर्तियों, चित्रों आदि से आकर्षित होकर समय-समय पर भारत की यात्रा के लिए आने वाले विदेशी पर्यटकों के यात्रा वृतान्तों पर भारत के इतिहास के संदर्भ में आधुनिक विदेशी और देशी इतिहासकारों ने भारत में विभिन्न स्रोतों से सुलभ सामग्री की तुलना में अधिक विश्वास किया है। जबकि यह बात जगजाहिर है कि मध्य काल में जो-जो भी विदेशी पर्यटक यहाँ आते रहे हैं, वे अपने एक उद्देश्य विशेष को लेकर ही आते रहे हैं और अपनी यात्रा पर्यन्त वे उसी की पूर्ति में लगे भी रहे हैं। हाँ, इस दौरान भारतीय इतिहास औरपरम्पराओं के विषय में इधर-उधर से उन्हें जो कुछ भी मिला, उसे अपनी स्मृति में संजो लिया और यात्रा-विवरण लिखते समय स्थान-स्थान पर उसे उल्लिखित कर दिया है। इन विदेशी यात्रियों के वर्णनों के संदर्भ में विदेशी विद्वान ए. कनिंघम का यह कथन उल्लेखनीय है- “In this part of the pilgrim’s travel...

मंदबुद्धि

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                           *मंदबुद्धि* ज़िन्दगी बदलने वाली हिंदी कहानी विद्यालय में सब उसे मंदबुद्धि कहते थे । उसके गुरुजन भी उससे नाराज रहते थे क्योंकि वह पढने में बहुत कमजोर था और उसकी बुद्धि का स्तर औसत से भी कम था। कक्षा में उसका प्रदर्शन हमेशा ही खराब रहता था । और बच्चे उसका मजाक उड़ाने से कभी नहीं चूकते थे । पढने जाना तो मानो एक सजा के समान हो गया था , वह जैसे ही कक्षा में घुसता और बच्चे उस पर हंसने लगते , कोई उसे महामूर्ख तो कोई उसे बैलों का राजा कहता , यहाँ तक की कुछ अध्यापक भी उसका मजाक उड़ाने से बाज नहीं आते । इन सबसे परेशान होकर उसने स्कूल जाना ही छोड़ दिया । अब वह दिन भर इधर-उधर भटकता और अपना समय बर्वाद करता । एक दिन इसी तरह कहीं से जा रहा था , घूमते – घूमते उसे प्यास लग गयी । वह इधर-उधर पानी खोजने लगा। अंत में उसे एक कुआं दिखाई दिया। वह वहां गया और कुएं से पानी खींच कर अपनी प्यास बुझाई। अब वह काफी थक चुका था, इसलिए पानी पीने के बाद वहीं बैठ गया। तभी उसकी नज़र पत्थर पर पड़े उस निशान पर गई जिस प...