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Showing posts from May 21, 2017

सूर्यऊर्जा और चंद्रऊर्जा.................

सूर्यऊर्जा और चंद्रऊर्जा................. .............................. तुमने कभी गौर किया, बाएं हाथ का उपयोग करने वाले लोगों को दबा दिया जाता है! अगर कोई बच्चा बाएं हाथ से लिखता है, तो तुरंत पूरा समाज उसके खिलाफ हो जाता है माता पिता, सगे संबंधी, परिचित, अध्यापक सभी लोग एकदम उस बच्चे के खिलाफ हो जाते हैं। पूरा समाज उसे दाएं हाथ से लिखने को विवश करता है। दायां हाथ सही है और बायां हाथ गलत है। कारण क्या है? ऐसा क्यों है कि दायां हाथ सही है और बायां हाथ गलत है? बाएं हाथ में ऐसी कौन सी बुराई है, ऐसी कौन सी खराबी है? और दुनिया में दस प्रतिशत लोग बाएं हाथ से काम करते हैं। दस प्रतिशत कोई छोटा वर्ग नहीं है। दस में से एक व्यक्ति ऐसा होता ही है जो बाएं हाथ से कार्य करता है। शायद चेतनरूप से उसे इसका पता भी नहीं होता हो, वह भूल ही गया हो इस बारे में, क्योंकि शुरू से ही समाज, घर परिवार, माता पिता बाएं हाथ से कार्य करने वालों को दाएं हाथ से कार्य करने के लिए मजबूर कर देते हैं। ऐसा क्यों है? दायां हाथ सूर्यकेंद्र से, भीतर के पुरुष से जुड़ा हुआ है। बाया हाथ चंद्रकेंद्र से भीतर की स्त्री से जुड़ा हु...

दैनिक योग का अभ्यास - क्रम

*दैनिक योग का अभ्यास - क्रम* *प्रारंभ*      : तीन बार ओ३म्  लंबा उच्चारण करें। *गायत्री - महामंत्र*    : ओ३म् भूर्भुव: स्व:। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।  धियो यो नः प्रचोदयात्।।  *महामृत्युंजय - मंत्र*    : ओ३म् त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बंधनामृत्योर्मुक्षिय माऽमृतात्।। *संकल्प - मंत्र*    : ओ३म् सह नवावतु। सह नोै भुनक्तु। सह वीर्य करवावहै।तेजस्विनावधीतमस्तु।मा विद्विषावहै।। *प्रार्थना - मन्त्र* ओ३म् ॐ असतो मा सद् गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्माऽमृतं गमय।    ओ३म् शान्ति: शान्ति: शान्ति:।। *सहज - व्यायाम     : यौगिक जौगिंग*   (समय- लगभग 5 मिनट) तीन प्रकार की दौड़, तीन तरह की बैठक, चार साइड में झुकना, दो तरह से उछलना, कुल 12 अभ्यास।  सूर्य - नमस्कार 3 से 5 अभ्यास (समय- 1से 2 मिनट) 12 स्टेप( 1 प्रणाम आसन, 2 ऊर्ध्व हस्तासन, 3 पादहस्तासन, 4 दाएं पैर पर अश्वसंचालन, 5 पर्वतासन, 6 साष्टांग प्रणाम आसन, 7 भुजंगासन, 8 पर्वतासन, 9 बाएं पैर पर अश्वसंचालन, 10 पादह...

सापेक्षता का सिद्धांत और भारतीय मनीषि...

सापेक्षता का सिद्धांत और भारतीय मनीषि... विश्व इस वर्ष अल्बर्ट आइंस्टीन की General Theory of Relativity (GTR) की सौंवी वर्षगांठ मना रहा है.  इस सन्दर्भ में 25 नवम्बर को श्रीमान् सुधीन्द्र कुलकर्णी जी ने महाराष्ट्र सरकार को बिज़नेस स्टैण्डर्ड अखबार के हवाले से पत्र लिखा की मुंबई समेत पूरा राज्य आइंस्टीन की GTR के सौ वर्ष पूरे होने पर ‘जश्न’ मनाये और मुंबई की सड़क का नाम आइंस्टीन के नाम पर कर दिया जाए. जगदीश चन्द्र बसु की जन्मतिथि 30 नवंबर को Observer Research Foundation ने टाटा इंस्टिट्यूट के मूर्धन्य भौतिकशास्त्री प्रो० स्पेंटा वाडिया साहब को बुला कर आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ जनरल रिलेटीविटी पर लेक्चर का आयोजन भी किया. लेकिन ये विद्वान् लोग उन्हें भूल गए जिनकी बदौलत इस देश में GTR जैसी जटिल थ्योरी पर शोध होता है और आज भारत सैद्धांतिक भौतिकी (Theoretical Physics) के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी है. मुद्दा ये है की आप अपनी पहचान उत्सव के सापेक्ष रखते हैं या उपलब्धियों के; बाकि आइंस्टीन का नाम हर वो व्यक्ति जानता है जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण के निरपेक्ष साम-दाम की कल्पना में जीता है. मैं आप...

'''बांटो,काटो......लूटो!!, इतिहास की सबसे बड़ी साजिश।

'''बांटो,काटो......लूटो!!, इतिहास की सबसे बड़ी साजिश। इन हजार सालो के  "गजनी,...गोरी...गुलाम...खिलजी.....सैय्यद....तुगलक...शाह..बहमन....मुगल.......अंग्रेज....कांग्रेस आदि विदेशी शासकों ने सनातन योद्धाओ को बडी चालाकी से 'दलित,और असहाय में बदल डाला। जिन्हें हम सम्मान के शिखर पर होना था वे बड़ी चालाकी से जमींदोज हो गए।   सात सौ बारह मे मुहम्मद बिन कासिम के मुस्लिम आक्रमण-जीत-फिर बुरी तरह पराजय के बाद देश.... जाग सा गया,इसके बाद के हर आक्रमण के दौरान कम से कम दो राजे मिलकर लड़े..और दुशमनों को धूल चटाया.. अगले तीन सौ वर्ष तक राष्ट्र पूरी तरह सुरक्षित रहा॥ वे कौन थे जानें। यह दसवीं शताब्दी से पहले का मामला है,,..... प्रतिहार शासक आदिवाराह नाम से जाने जाते थे ,उनकी राजमुद्रा पर भी वराह का रूप अंकित उन्होंने करवाया क्योंकि वे भी भगवान् वाराह की तरह हिन्दुभूमि को म्लेच्छो के काल-पाश में जाने से बचा पाए थे,और म्लेच्छो के अधिकार में गयी हुयी भूमि को उनसे वापस छीन कर उसका उद्धार करने में सफल हो गए थे।   इस्लाम की स्थापना तथा अरबो का रक्तरंजीत साम्राज्य विस्तार सम्पूर्...

कपास की खेती, सूत की कताई और बुनाई विश्व-सभ्यता को भारत की देन हैं।

कपास की खेती, सूत की कताई और बुनाई विश्व-सभ्यता को भारत की देन हैं। दुनिया में सबसे पहले ‘सूत’ इस देश में काता गया और सबसे पहले कपड़ा भी यहीं बुना गया। दूसरे शब्दों में,सूत कातना और कपड़ा बुनना यहां का उतना ही प्राचीन उद्योग है जितना कि स्वयं हिन्दुस्तान की सभ्यता। इसका प्रमाण है संसार  का सबसे पुराना ग्रंथ ऋग्वेद; जिसमें सूत  कातने और वस्त्र बुनने का उल्लेख मिलता है, जो निम्नलिखित मंत्र  है - तंतु तन्वंरज्सो भानुमान्विहि, ज्योतिष्मतः  पयः  धिया  कृतान् । अनुल्बणं  वयत,  जोगुवामपो,  मनुर्भव, दैव्यं  जनम् ॥ (ऋ 10/53/6)  अर्थात् -  सूत  बनाकर (तंतु  तन्वन्)  उस पर चढ़ाओ (रजसो भानुं अन्विहि) और  उसको  खराब  न  करते  हुए  कपड़ा  बुनो(अनुल्बणं वयत)  विचारशील  बनो(मनुः भव)  सुप्रजा निर्माण करो(दैव्यं जनं जनय)  और  तेजस्वियों  की  बुद्धिद्वारा  निश्चित  हुए  मार्गों  का  रक्षा  करो(ज्योतिष्मतः धिया  कृतान् पयः  ...