Posts

Showing posts from July 30, 2017

आरोग्य दोहा

👌👌👌👌👌👌👌👌👌 पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात! सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!! धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार! दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!! ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर! कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!! प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप! बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!! ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार! करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!! भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार! चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!! प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस! सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!! प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार! तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!! भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार! डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !! घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर! एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!! अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास! पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास!! रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!  की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!! सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश! भोजन लीजै रात में, जै...

शयन विधान

शयन विधान 〰〰 सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना। सोने की मुद्रा: उल्टा सोये भोगी, सीधा सोये योगी, डाबा सोये निरोगी, जीमना सोये रोगी। शास्त्रीय विधान भी है। आयुर्वेद में ‘वामकुक्षि’ की बात आती हैं, बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं। शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान और औधा या ऊल्टा सोने से आँखे बिगडती है। सोते समय कितने गायत्री मंन्त्र /नवकार मंन्त्र गिने जाए "सूतां सात, उठता आठ”सोते वक्त सात भय को दूर करने के लिए सात मंन्त्र गिनें और उठते वक्त आठ कर्मो को दूर करने के लिए आठ मंन्त्र गिनें। "सात भय:-" इहलोक,परलोक,आदान, अकस्मात ,वेदना,मरण , अश्लोक (भय) दिशा घ्यान 〰〰 दक्षिणदिशा (South) में पाँव रखकर कभी सोना नहीं । यम और दुष्टदेवों का निवास है ।कान में हवा भरती है । मस्तिष्क  में रक्त का संचार कम को जाता है स्मृति- भ्रंश,मौत व असंख्य बीमारियाँ होती है। यह बात वैज्ञानिकों ने एवं वास्तुविदों ने भी जाहिर की है। 1:- पूर्व ( E ) दिशा में मस्तक रखकर सोने से विद्या की प्राप्ति होती है। 2:-दक्षि...

म्हारी मां का ज्ञान v/s आज का विज्ञान* *बोहिया छालणा v/s Aluminium foil and Hot Case.*

*म्हारी मां का ज्ञान v/s आज का विज्ञान* *बोहिया छालणा v/s Aluminium foil and Hot Case.* राम राम साथियों, नमस्ते, सत् श्री अकाल ☺🙏 मित्रो *बोहिया, छालणा और छीका* याद ही होगा😋☺ नहीं याद तो चलो आज उन अति उच्च कोटि के हर घर के अनिवार्य उपकरणों को याद कर लें। किसान परिवार में जन्म लिया और शिक्षित होणे के लिए घर वालो ने सरकारी स्कूल में दाखिल करा दिया। स्कूल की छुट्टी के समय मां अक्सर खेत में गई हुई मिलती थी। डांगरां खात्यर जड़ी बूटियों युक्त न्यार लाणा उन का रोज का काम था। *वो इतणी बढ्ढी वैज्ञानिक थी कि उनको हर्ब्स के बोटनिकल नाम तो नहीं पता थे पर ये जरूर पता था कि पशुओं के लिए सर्वोत्तम आहार कौन सा है, इस लिए वो स्वयं खेत में जाकर खुद चुन चुन कर पशुओं के लिए *न्यार (शुद्ध ऑर्गेनिक जड़ी बूटियां) लाती थी।* खैर मैं स्कूल से घर आता था तो मुझे भूख लगी होती थी क्योंकि उस टाईम तक ये मिड डे मील बरगी योजना स्कूलों में लागू नहीं हुई थी और हमें घर का पौष्टिक आहार ही मिलता था। स्कूल का बस्ता फैंकते ही सीधा हाथ छीके पर जाता था। छीके पर बोहिए में छालणें में लिपटी देशी घी में ग्यच रोटी रखी होती थी...

मेगास्थनीज के नाम पर जो कुछ लिखा गया है वह मेगास्थनीज का बिल्कुल उलटा है या निराधार है

मेगास्थनीज के नाम पर जो कुछ लिखा गया है वह मेगास्थनीज का बिल्कुल उलटा है या निराधार है। स्वयं ग्रीक लेखकों ने कई प्रकार की जालसाजी की है। प्रायः ३०० ई.पू. में सुमेरियन लेखक बेरोसस ने लिखा है कि हेरोडोटस आदि इतिहास न जानते हैं न जानना चाहते हैं। वे केवल अपनी प्रशंसा के लिये झूठ और जालसाजी करते रहते हैं। आज तक यूरोपीय लेखकों की यही आदत है कि वे हर ज्ञान का केन्द्र ग्रीस को सिद्ध करना चाहते हैं। स्वयं हेरोडोटस अपोलोनियस आदि भारत में पढ़े थे। युक्लिड, टालेमी हिप्पार्कस आदि मिस्र में पढ़े थे। पर ग्रीस किसी भी काल में इतना सभ्य नहीं था कि वहां बाहर का कोई पढ़ने जाय। बाहरी व्यक्ति केवल गुलाम हो कर ही जा सकता था। आज भी यूरोपीय लेखक इतिहास के नाम पर केवल जालसाजी करते हैं कि ब्रिटेन आदि बहुत अच्छे हैं, केवल भारत को सभ्य बनाने के लिये पूरे संसार को लूटते रहे। हर जगह भेद पैदा कर कब्जा और लूटने की कोशिश करते रहे पर कैम्ब्रिज का भारत इतिहास, भाग ५ में लिखा है कि माउण्टबेटन का एकमात्र उद्देश्य था भारत को स्वतन्त्र करना और उसके विभाजन को रोकना। आधुनिक युग में भी ब्रिटेन, अमेरिका के अनुसार केवल इराक में ...

भारतीय_इतिहास_का_विकृतीकरण भाग 4

# Ajesth Tripathi ji #भारतीय_इतिहास_का_विकृतीकरण -                                                                  भाग - 4                        ■ विविध ■ खण्ड (क) ================================= भारत के साहित्य, इतिहास आदि में उन्होंने अनेक विकृतियाँ की हैं, उन में से कुछ को निम्नलिखित चार खण्डों में विभाजित करके यहाँ दे रहा हूँ - #प्राचीन_ग्रन्थो_अभिलेखों_में -- पाश्चात्य विद्वानों/इतिहासज्ञों ने अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भारतीय ग्रन्थों के मूल पाठों में कहीं अक्षरों में, कहीं शब्दों में और कहीं-कहीं वाक्यावली में अपनी मनमर्जी के परिवर्तन किए या करवाए। यही नहीं, वाक्यावली में परिवर्तन के साथ-साथ कहीं-कहीं प्रक्षिप्त अंश जोड़ दिए तो कहीं-कहीं मूल अंश लुप्त भी करा दिए, यथा- (#क) #अक्षर_परिवर्तन --- विष्णु पुराण - इस पुराण में मौर्य वंश का ...

भारतीय_इतिहास_का_विकृतीकरण भाग -1

नमस्कार #भारतीय_इतिहास_का_विकृतीकरण -  कम्पनी सरकार ने भारत के इतिहास में विकृतियाँ लाने के लिए विभिन्न प्रकार की भ्रान्तियों का निर्माण कराकर उनको विभिन्न स्थानों पर विभिन्न व्यक्तियों द्वारा विभिन्न प्रकार से प्रचारित कराया। मैं कुछ विकृतियों का उल्लेख 4 खण्डों, यथा- ऐतिहासिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक और विविध में वर्गीकृत करके करूँगा जो क्रमशः खंडों में होंगें -                                     भाग -1                        ■ऐतिहासिक■ खण्ड (क) ================================== #आर्य_लोग_भारत_में_बाहर_से_आए -- ================================== इसके कुल 4 भाग है तो आइए प्रथम भाग से शुरू करते है - #अंग्रेजों ने भारत में विदेश से आकर की गई अपनी सत्ता की स्थापना को सही ठहराने के उद्देश्य से ही आर्यों के सम्बन्ध में, जो कि यहाँ के मूल निवासी थे, यह प्रचारित कराना शुरू कर दिया कि वे लोग भारत में बाहर से आए थे और उन्होंने भी बाह...