कश्मीर के इस शौर्य को इतिहास के पन्नों पर लिखा गया था महाराजा संग्रामपीड द्वितीय के शासनकाल में।
©Copyright मनीषा सिंह की कलम से कश्मीर के इस शौर्य को इतिहास के पन्नों पर लिखा गया था महाराजा संग्रामपीड द्वितीय के शासनकाल में। कश्मीर के कर्कोटक नागवंशी राजपूत राजा संग्रामपीड द्वितीय 57वर्ष तक शासन किया इस शूरवीर राजा ने कश्मीर प्रदेश पर 672 ई. से लेकर 729 ई. तक राज्य किया, ये ललितापिड के पुत्र थे (ललितापिड को ललितादित्य समझने की भूल ना करे दोनों अलग हैं इतिहाकारों ने ये गलती किया हैं दोनों को एक समझकर गलत इतिहास लिखा हैं बल्कि दोनों के समय में बहोत अंतर हैं सम्राट ललितादित्य के छठी पीढ़ी राजा थे ललितापिड जो संग्रामपीड के पिताश्री थे) । अरण्यक साम्राज्य भी कश्मीर के राजपूत राजाओ के साम्राज्य का हिस्सा था जिसपर कई इस्लामिक हमले हुए और क्रूरतम आक्रमण हुए अरण्य साम्राज्य पर आक्रमण करने से पूर्व उसके आसपास के गाँव, राज्य इत्यादि सब जला देते थे तहस-नहस कर देते थे भाड़ी लूट मार मचाते हुए अरण्यक की और बढ़ते थे पर कभी जीत नही पाए थे अरण्यक (वर्त्तमान ईरान) को कर्कोटक वंश के इतिहास भी मिलता हैं Thabit Abdullah (Civilizations of Central Asia, Chapter 14) ने भी इस किताब में राजपूत शासनकाल क...