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Showing posts from February 12, 2017

आंवले की चटनी

🌳🌺भारत स्वाभिमान दल आंवले की चटनी ____________________________ आंवले के गुणों के बारे में यदि लिखा जाए तो सुबह से शाम हो जाए ,इसलिए बहुत कुछ न लिख कर सार ही लिखने की कोशिश करुँगी,आंवले को अमृत फल. कहा जाता है,ये बढती उम्र के लक्षणों को कम करता है इस कारण इसे रसायन भी माना गया है ,इस में आयरन और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है बालों के लिए ,पेट के लिए,दिमाग के लिए, आँखों के लिए आंवला बहुत ही हितकारी है लेकिन इसके खट्टेपण और कैसेले स्वाद के कारण इसे खाना बड़ा मुश्किल हो जाता है वैसे तो आंवले को अचार, मुरब्बे ,सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है पर आज मैं आप को सब से सरल तरीका बताना चाहती हूँ इसे खाने का, जिससे ये खाने में भी स्वादिष्ट लगे और इसके गुण भी कम नष्ट हो और बनाने में वक्त भी कम लगे. आंवले की चटनी ------------------- आंवले की चटनी बेहद स्वादिष्ट होती है ,इसे बनाने में १० मिनट लगते है ,आंवले में यदि अदरक को मिला कर पिसा जाये तो इसका कसैलापन खत्म हो जाता है सामग्री १ ५० ग्राम आंवला ४,या ५ हरी मिर्च २ कली लहसुन की थोडा सा हरा धनिया २ मध्यम आकार के प्याज़ १...

आक्रमण जे हथियार बदल गये है-19

हथियार बदल गये है-19      आरपी सिंह जी कई जगह डायरेक्टर रहे।कई संस्थानों के प्रधान के रूप में उन्होंने बहुत काम किया है।नामी-गिरामी आदमी थे।दोनों बेटे विदेश में बस गए।उन्हे मातृभूमि से बड़ा प्यार ठहरा।रिटायर होकर वह भारत-वर्ष के किसी शहर में बस गये।मैं यहां बनारस का नाम नही लेना चाहता।2008 में वह सपरिवार किसी सेमीनार में चेन्नई गए थे।वहां से रामेश्वरम निकल गए।हालांकि हवाई यात्रा थी फिर भी लौटते-लौटाते हफ्ता भर लग गया।लौटकर घर पहुंचे तो देखा घर का सारा सामान गायब।झाड़ू लग गया था।सोफा तक उठा ले गए थे।हकबकाये थाने पहुचे एफआईआर दर्ज कराने के लिए। नेताओं और बड़े अधिकारियों का सहारा लिया तब जाकर उनका केस पुलिस ने दर्ज किया।चोर को तो खैर पकड़ा भी नहीं जाना था, पकड़ा भी नहीं गया।बाद में उन्होंने अपने सारे सामान फिर से खरीदे और अब तो इस दुनिया से ही विदा हो गए हैं।आप कभी किसी थाने मे प्राथमिकी यानी एफआईआर दर्ज करवाने गए है?100 नंबर हमारे देश मे पुलिस का काल फोन नंबर है।    भारत का इंटेरनेशनल आईएसडी कोड +91 है,यानी फोन डालने करने से पहले +91 लगाना होता है।हॉलीवुड फिल्...

🌹🌹तिरूपति बाला जी कथा🌹🌹

🌹🌹तिरूपति बाला जी कथा🌹🌹 . एक बार समस्त देवताओं ने मिलकर एक यज्ञ करने का निश्चय किया. यज्ञ की तैयारी पूर्ण हो गई. तभी वेद ने एक प्रश्न किया तो एक व्यवहारिक समस्या आ खड़ी हुई. . ऋषि-मुनियों द्वारा किए जाने वाले यज्ञ की हविष तो देव गण ग्रहण करते थे लेकिन देवों द्वारा किए गए यज्ञ की पहली आहूति किसकी होगी. यानी सर्वश्रेष्ठ देव का निर्धारण जरूरी था जो फिर अन्य सभी देवों को यज्ञ भाग प्रदान करें. . ब्रह्मा-विष्णु-महेश परमात्मा थे. इनमें से श्रेष्ठ कौन है इसका निर्णय आखिर हो तो कैसे. भृगु ने इसका दायित्व संभाला. वह देवों की परीक्षा लेने चले. ऋषियों से विदा लेकर वह सर्व प्रथम अपने पिता ब्रह्मदेव के पास पहुंचे. . ब्रह्मा जी की परीक्षा लेने के लिए भृगु ने उन्हें प्रणाम नहीं किया. इससे ब्रह्मा जी अत्यन्त कुपित हुए और उन्हें शिष्टता सिखाने का प्रयत्न किया. भृगु को गर्व था कि वह तो परीक्षक हैं, परीक्षा लेने आए हैं. पिता-पुत्र का आज क्या रिश्ता ? . भृगु ने ब्रह्म देव से अशिष्टता कर दी. ब्रह्मा जी का क्रोध बढ़ गया और अपना कमण्डल लेकर पुत्र को मारने भागे. भृगु किसी तरह वहां से जान बचा कर ...

हल्दीघाटी युद्ध के शहीद और बचे हुए योद्धाओं की जानकारी

इस लेख मे मै आप को हल्दीघाटी युद्ध के शहीद और बचे हुए योद्धाओं की जानकारी देने के साथ यही बताना चाहता हू की हमारी अवधारणा बनी है कि प्रताप जी का साथ राजपूतो ने नही दिया वो गलत है।ये भी सत्य है कि महाराणा जी के विरूद्ध दमदारी से जो लड़े वो राजपूत ही थे। हल्दीघाटी युद्ध में जीवित बचने वाले प्रमुख योद्धा" 1) घाणेराव के ठाकुर गोपालदास राठौड़ :- उदयपुर स्थित प्रताप गौरव केन्द्र में हल्दीघाटी युद्ध में वीरगति पाने वाले योद्धाओं की सूची में इनका नाम भी लिखा गया है, जो कि सही नहीं है | दरअसल गोपालदास राठौड़ को हल्दीघाटी युद्ध में कुल 27 घाव लगे व जीवित रहे | बाद में कुम्भलगढ़ के युद्ध में भी महाराणा प्रताप के साथ रहे | 2) कुंवर शैखासिंह :- ये महाराणा प्रताप व रानी फूल कंवर राठौड़ के पुत्र थे | 3) भामाशाह कावड़िया 4) ताराचन्द कावड़िया :- ये भामाशाह के भाई थे 5) कोशीथल की महारानी :- ये हल्दीघाटी युद्ध में भाग लेने वाली एकमात्र क्षत्राणी थीं | इनके बारे में अगले भाग में लिखा जाएगा | 6) सलूम्बर रावत कृष्णदास चुण्डावत 7) रामा सांदू (चारण कवि) - इनका नाम हल्दीघाटी युद्ध में वीरग...

आक्रमण के हथियार बदल गए हैं-भाग 18

आक्रमण के हथियार बदल गए हैं-भाग 18 क्लास फिफ्थ में एक कहानी पढ़ाई जाती है....कभी पढ़ा क्या?? """एक बार एक शिक्षक महोदय बच्चों को कुछ सीखा रहे थे।उन्होंने एक छोटे बरतन में पानी भरा और उसमें एक मेंढक को डाल दिया। पानी में डालते ही मेंढक आराम से पानी में खेलने लगा। अब अध्यापक ने उस बर्तन को गैस पर रखा और नीचे से गर्म करना शुरू किया। जैसे ही थोड़ा तापमान बढ़ा तो मेंढक ने अभी अपने शरीर के तापमान को थोड़ा उसी तरह adjust कर लिया। अब जैसे ही बर्तन का थोड़ा तापमान बढ़ता तो मेंढक अपने शरीर के तापमान को भी उसी तरह adjust कर लेता और उसी बर्तन में मजे से पड़ा रहता।धीरे धीरे तापमान बढ़ना शुरू हुआ, एक समय ऐसा भी आया जब पानी उबलने लगा और अब मेंढक की क्षमता जवाब देने लगी। अब बर्तन में रुके रहना संभव ना था। बस फिर क्या था मेंढक ने बर्तन से बाहर निकलने के लिए छलांग लगायी लेकिन अफ़सोस ऐसा हो ना सका। मेंढक अपनी पूरी ताकत लगाने के बावजूद उस पानी से भरे बर्तन से नहीं निकल पा रहा था क्यूंकि अपने शरीर का तापमान adjust करने में ही वो सारी ताकत खो चुका था।   कुछ ही देर में गर्म पानी में पड़े ...

अहंकार की कथा .....

अहंकार की कथा ..... . . श्रीकृष्ण भगवान द्वारका में रानी सत्यभामा के साथ सिंहासन पर विराजमान थे, निकट ही गरुड़ और सुदर्शन चक्र भी बैठे हुए थे।  तीनों के चेहरे पर दिव्य तेज झलक रहा था। . बातों ही बातों में रानी सत्यभामा ने श्रीकृष्ण से पूछा कि हे प्रभु, आपने त्रेता युग में राम के रूप में अवतार लिया था, सीता आपकी पत्नी थीं। क्या वे मुझसे भी ज्यादा सुंदर थीं? . द्वारकाधीश समझ गए कि सत्यभामा को अपने रूप का अभिमान हो गया है। . तभी गरुड़ ने कहा कि भगवान क्या दुनिया में मुझसे भी ज्यादा तेज गति से कोई उड़ सकता है। . इधर सुदर्शन चक्र से भी रहा नहीं गया और वह भी कह उठे कि भगवान, मैंने बड़े-बड़े युद्धों में आपको विजयश्री दिलवाई है। क्या संसार में मुझसे भी शक्तिशाली कोई है? . भगवान मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। वे जान रहे थे कि उनके इन तीनों भक्तों को अहंकार हो गया है और इनका अहंकार नष्ट होने का समय आ गया है। . ऐसा सोचकर उन्होंने गरुड़ से कहा कि हे गरुड़! तुम हनुमान के पास जाओ और कहना कि भगवान राम, माता सीता के साथ उनकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। . गरुड...

Happy Thoughts

*Happy Thoughts* 🌧 *क्षमा का जादू* 🌧 *क्षमा माँगने की क्षमता को जानकर हर दुःख से मुक्ति पाएँ* (Say Sorry Within and Be Free) *By सरश्री* *{लकीरों का दूसरा कारख़ाना} 3(12)* *स्वसंवाद* 🔺 *'स्वसंवाद'* यानी स्वयं से किए जानेवाले संवाद। मन ही मन ख़ुद से की जानेवाली बातों को स्वसंवाद कहा जाता है। वास्तव में हमारे विचार, हमारा सोचना, अंदर ही अंदर हो रही बड़बड़, ये सभी स्वसंवाद हैं। हम बहुत ज़्यादा स्वसंवाद करते हैं इसलिए यह कारख़ाना सबसे ज़्यादा लकीरों का निर्माण करता है। कई बार बुरे शब्द सीधे बोले नहीं जाते, बस मन में सोचे जाते हैं। मानो, आप किसी दुकान में कोई चीज़ ख़रीदने गए हैं और उस चीज़ का भाव आपको ज़्यादा लगा तो आप दुकानदार से कहते हैं, 'ठीक है, फिर कभी आकर ख़रीदेंगे' और वह चीज़ बिना ख़रीदे ही आप दुकान से बाहर आ जाते हैं। आपका प्रतिसाद देखकर दुकानदार सोचेगा कि यह तो समझदार इंसान है। लेकिन आप दुकान के बाहर आते समय मन में सोचते हैं कि 'यह दुकानदार तो दुकान चलाने के लायक़ ही नहीं है। भाव कितना बढ़ा-चढ़ाकर बोल रहा है, ग्राहकों को लूट रहा है।' हालाँकि यह आपने दुकानदार ...

चक्रवर्ती रोहित वेमुल्ला को झूठ-मूठ दलित घोषित करके उसके पक्ष में सहानुभूति बटोरने की जरूरत क्यों होती है ?

चक्रवर्ती रोहित वेमुल्ला को झूठ-मूठ दलित घोषित करके उसके पक्ष में सहानुभूति बटोरने की जरूरत क्यों होती है ? क्योंकि लड़ते हुए, वीरगति को प्राप्त होने वाले, अपने असली योद्धाओं को जब भुला देंगे तो आपको मिथकीय “शहादत” का सहारा लेना ही पड़ता है | अपने सेनानियों के आत्मबल को भुला कर नाखून कटा कर खुद को शहीद कहने वाले चाटुकारों को लाभ देने में कांग्रेस का अभूतपूर्व समाजवादी योगदान रहा है | फिर एक बात ये भी है कि आपके योगदान कितने याद किये जायेंगे और कितने भुला दिए जायेंगे ये इसपर भी निर्भर करता है कि आपने उसे खुद कितना याद रखा है | नेताओं, स्थानीय विधायकों, कांग्रेस, जैसों का पाप इसमें फिर भी कम गिना जाना चाहिए | असली कसूरवार है रीढ़विहीन, गफलत में डूबी, जातिवादी, पलायन के शौक़ीन, उज्जड़, और अन्य कई संबोधनों से नवाजने योग्य बिहारी जनता | क्यों ? क्योंकि इन्हें अशर्फी मंडल याद नहीं, बसंत धानुक पता नहीं, शीतल और सांता पासी याद नहीं | ये सिर्फ चंद नाम हैं इनके अलावा थे रामेश्वर मंडल, विश्वनाथ सिंह, महिपाल सिंह, सुकुल सोनार, सिंहेश्वर राजहंस, बद्री मंडल, गैबी सिंह, चंडी महतो, झोंटी झा | इनमें से...

🚩 🙏 *।।वन्दे मातरम्।।* 🙏 🚩 *---:श्री राजीव दीक्षित वाणी:---*

🚩 🙏 *।।वन्दे मातरम्।।* 🙏 🚩    *---:श्री राजीव दीक्षित वाणी:---* *01 "स्वदेशी एक ऐसा गहरा दर्शन है जो किसी भी देश को अपने पैरों पर खड़ा कर सकता है।"* *02 "अगर आप विदेशियों पर निर्भर हैं, प्रावलम्बी हैं तो आप दुनिया में कोई ताकत हासिल नहीं कर सकते।"* *03 "मैं भारत को भारतीयता के आधार पर फिर से खड़ा करना चाहता हूँ उसी काम में लगा हुआ हूँ।* *04 "केवल स्वदेशी नीतियों से ही देश फिर से सोने की चिड़िया बन सकता है।"* *05 "15 अगस्त 1947 को सिर्फ कानून के पर सत्ता का हस्तांतरण हुआ था, स्वतंत्रता नहीं आई हैं, स्वतंत्रता का मतलब होता है अपने द्वारा बनाये गये तंत्र में जीना, ना कि विदेशी तंत्र में, लेकिन 15 अगस्त 1947 के बाद कोई भी अपना तंत्र नहीं बना।"* *06 "अंग्रेजो ने जो कानून इस देश को लूटने ओर बर्बाद करने के लिये बनाये थे, वो कानून आज भी चल रहे है तो मैं कैसे मान लू कि यह देश आजाद हो गया हैं।"* *07 "भारत का संविधान अंग्रेजो का बनाया हुआ 'Government of India Act 1935' हैं जो भारत के लोगों के साथ धोखा हैं।...

हथियार बदल गए हैं-17

पवन त्रिपाठी जी की सीरीज हथियार बदल गए हैं-17   “रघुपति राघव राजाराम,पतित पावन सीताराम।    ईश्वर-अल्ला.....सेकुलर झाम।कांग्रेसी प्लान, आप यह रोज सुनते होंगे।कुरान,बाइबिल,गीता सभी पुस्तको में एक ही बात लिखी है।अगर वामियो/कांग्रसियों की इस बात को आप मानते है तो पक्का जान लीजिए आप मूर्ख है।उनकी किताबे कुछ दूसरी बात कह रही हैं जो आप एक ही कह कर खुद को बेवकूफ बना रहे है।सेमेटिक,, एकेश्वर मालिक है(एक ताकतवर राजा )और सनातन का “एकेश्वर, जड़-चेतन मे व्याप्त पूर्ण ब्रम्ह।मानव-पशु-तरु-गिरि-सरिता जगत के एक-एक कण मे व्याप्ति परम सत्ता एक ही है।एक सदविप्र…एकोअहम…..तत्त्वमसि…अहं-ब्रम्हास्मि आदि-आदि कहकर हम सभी उसके संतुलित प्रेम से आछादित हैं।परन्तु सेमेटिक “एकेश्वर,,….सेकंड एक्झिस्टेंट मे परमात्मा तो छोड़ दीजिये वे “आत्मा, तक नही स्वीकारते।…इसाइयत ने 19वी में औरतो मे आत्मा माना॥इस्लाम, तो अभी भी दो औरत बराबर एक पुरुष की बात करता है।दूसरे समस्त जीवन को आललाह और गाड ने उनको (एक मजहब पर चलने के कारण) बख्शा है।जैसे ही आप कहेंगे …”सब मे वह है,(वह भी बकरी,और गाय,गेंहू जल मे भी, .)यह ईश...

आक्रमण के हथियार बदल गए हैं-भाग 16

पढिये पवन त्रिपाठी जी की ज्ञानवर्द्धक सीरीज हथियार बदल गए हैं-भाग 16   उस दिन चुटकुले चल रहे थे।हंसने-हंसाने के माहौल को अचानक एक मासूम बच्चे के चुटकुले ने सन्नाटे में बदल दिया।बच्चे ने क्या सुनाया आप भी सुनिए। ""बन्दर मंदिर के "पत्थर,, पर सूसू कर रहा था बंदरिया ने पूछा क्या कर रहे हो,बन्दर ने कहा "जल, चढ़ा रहा हूँ। बंदरिया बोली तो लो मैं "प्रसाद, चढ़ा देती हूँ और उसने "पत्थर,पर पाटी कर दी।वह बड़ी मासूमियत से हँसते हुये शिवलिंग को पत्थर कह रही थी।हम सनाका खा गए।तन-बदन में आग लग गई।"बेटा ये किसने सुनाया है?, शायद मम्मी-पापा का ध्यान भी न जाता,अगर यह कम्यूनल वहाँ न खड़ा होता। मम्मी-पापा दोनों एक साथ चिल्लाये।मिशनरी स्कूल के किसी "ब्रदर,नामक "जन्तु,ने सुनाया था।बाद मे क्या हुआ,उस पर मत जाइए।हमारे नन्हे मुन्नों को क्या पढाया,सुनाया,बताया,सिखाया जाता है आपने कभी पता किया है?छोटे-छोटे हथियार।नजर रखो नही तो खुद भुगतोगे। यह विषवमन संस्कार ही "सेकुलरिस्टों की मदर,हैं।वे इसी में से उपजे हैं।इस नव वर्ग को अपने "स्व,की किसी चीज के लिए अप...