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गुमनाम महान क्रांतिकारी हरिश्चंद्र की सत्य ऐतिहासिक कथा

गुमनाम महान क्रांतिकारी हरिश्चंद्र की सत्य ऐतिहासिक कथा ............... विक्रमी संवत 1971 यानी 1915 का 20 जनवरी का दिन था। प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया था, पूरे भारत में केवल दो ही क्रांतिकारी ऐसे थे, जो इस युद्ध से लाभ उठाकर भारत को स्वतंत्रा कराना चाहते थे। वे इसी के लिए बात कर रहे थे, ‘‘तो क्या कहते हो हरिश्चंद्र?’’ ‘‘कहना क्या है?’’ हरिश्चंद्र ने राजा महेंद्र प्रताप को कहा, जो मुरसान के जाट राजा दत्त प्रसाद सिंह के भाई और जिंद के राजा रणबीर सिंह के बहनोई थे, ‘‘स्वतंत्राता पाने का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलने वाला, हमें जर्मनी जाना चाहिए और जर्मन की मदद से आजादी पाने का रास्ता साफ करना चाहिए।’’ ‘‘अच्छी बात है।’’ अंग्रेज भी राजा महेंद्र प्रताप की गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे, लेकिन वे हरिश्चंद्र को अधिक खतरनाक व्यक्ति मानते थे, क्योंकि वह स्वामी श्रद्धानंद का बड़ा बेटा था, जिनके बारे में जगजाहिर था कि वे गुरुकुल में छात्रों को बम बनाना सिखाते हैं और हरिश्चंद्र तो गुरुकुल कांगड़ी का सबसे पहला छात्र था, इसलिए जब महेंद्र प्रताप ने स्वास्थ्य लाभ के बहाने उनके पासपोर्ट में, इटली, फ्रांस, ...