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Showing posts from May 7, 2017

*बस धैर्य ओर शांति से पढ़े*। *POWER OF POSITIVE THOUGHT*

*आज इस पोस्ट को पढ़कर सारी ज़िन्दगी की टेंशन खत्म हो जायेगी*। *बस धैर्य ओर शांति से पढ़े*। *POWER OF POSITIVE THOUGHT* *एक व्यक्ति काफी दिनों से चिंतित चल रहा था जिसके कारण वह काफी चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहने लगा था। वह इस बात से परेशान था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है, किसी ना किसी रिश्तेदार का उसके यहाँ आना जाना लगा ही रहता है, *इन्ही बातों को सोच सोच कर वह काफी परेशान रहता था तथा बच्चों को अक्सर डांट देता था तथा अपनी पत्नी से भी ज्यादातर उसका किसी न किसी बात पर झगड़ा चलता रहता था*। *एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और बोला पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करा दीजिये, वह व्यक्ति पहले से ही तनाव में था तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा शांत हुआ तो वह बेटे के पास गया तो देखा कि बेटा सोया हुआ है और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी है। उसने कॉपी लेकर देखी और जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के टाइटल पर पड़ी*। *होमवर्क का टाइटल था* *********************  *वे चीजें जो हमें शु...

भांडनगरी के षड़यंत्र - ५

भांडनगरी के षड़यंत्र - ५ "बाहुबली....शिवलिंग और रुपयों की बारिश!! मुम्बइया सिनेमाँ सांस्कृतिक आक्रमण!!  ''बाहुबली फिल्म की कमाई का रिकार्ड आज तक नही टूटा, इस फिल्म ने साबित किया है सेखुलर एजेंडे के तहत 'शिवलिंग, का मजाक उड़ाने से ज्यादा पैसा उसे 'सिर, पर धारण करके कमाया जा सकता है।,, "आप सोचते हैं मुम्बइया-सिनेमा 'पैसे कमाने की खातिर, यह सब कुछ कर रहा?? इनके मूल में पैसा है?? तो आप गलत हैं।....केवल पैसा कमाना मूल उद्देश्य नही है।वह तो घलुआ-घलुआ है घलुआ!! वह इससे आगे की चीज है।   सिनेमा,लेखन,साहित्य,मीडिया,अगर प्रोफेशन ही होता तो 'प्रोफेशनल इथिक्स,, खुद जन्म ले लेता... और स्थापित हो जाता ...हॉलीवुड की तरह। उसने एक भी 'धंधाई उसूल,का पालन नही किया।क्योंकि उनके उद्देश्य,उनके एजेंडे,उनके तरीके बहुत ही घिनौने हैं....या फिर 'वे,गैरजिम्मेदार दलाल हैं।             पैट्रियाट...ग्लेडिएटर,...ब्रेवहार्ट,..ट्राय,..स्पार्टकस,....   4-समुराई.....47-रोंनिन,...300,..टाइटन... बेन-हर.......हालीवुड की बनी  सुपर-डूपर हिट फिल्में थी.....जिन्होने...

WINNER Point *_"ज़िन्दगी" बदलने के लिए_*

             WINNER Point *_"ज़िन्दगी" बदलने के लिए_*               *लड़ना पड़ता है..!_*          *_और आसान करने के लिए_*               *समझना पड़ता है..!*            *_वक़्त आपका है,चाहो तो_*          *सोना बना लो और चाहो तो.*                   *_सोने में गुज़ार दो..!_*         *अगर कुछ अलग करना है तो*               *_भीड़ से हटकर चलो..!_*            *भीड़ साहस तो देती है पर*              *_पहचान छीन लेती है...!_*        *मंज़िल ना मिले तब तक हिम्मत*           *_मत हारो और ना ही ठहरो...._*                      _क्योंकि_   ...

राजीव दीक्षित जी के कुछ साधारण लेकिन महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य बातें:

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राजीव दीक्षित जी के कुछ साधारण लेकिन महत्वपूर्ण ध्यान रखने योग्य बातें: 1) हमेशा पानी को घूट-घूट करके चबाते हुए पिये और खाने को इतना चबाये की पानी बन जाये। किसी ऋषि ने कहा है कि "खाने को पियो और पीने को खाओ" 2) खाने के 40 मिनट पहले और 60-90 मिनट के बाद पानी पिये और फ्रीज का ठंडा पानी, बर्फ डाला हुआ पानी जीवन मे कभी भी नही पिये। गुनगुना या मिट्टी के घडे का पानी ही पिये । 3)सुबह जगने के बाद बिना कुल्ला करे 2 से 3 गिलास पानी सुखआसन मे बैठकर पानी घूटं-घूटं करके पिये यानी उषा पान करे । 4) खाने के साथ भी कभी पानी न पिये। जरुरत पड़े तो सुबह ताजा फल का रस, दोपहर मे छाछ और रात्रि मे गर्म दूध का उपयोग कर सकते हैं। 5) भोजन हमेशा सुखआसन मे बैठकर करे और ध्यान खाने पर ही रहे, मतलब टेलीविजन देखते, गाने सुनते हुए, पढ़ते हुए, बातचीत करते हुए कभी भी भोजन न करे। 6) हमेशा बैठ कर खाना खाये और पानी पिये। अगर संभव हो तो सुखासन, सिद्धासन मे बैठ कर ही खाना खाये। 7) फ्रीज़ मे रखा हुआ भोजन न करें या उसे साधारण तापमान में आने पर ही खाये दुबारा कभी भी गर्म ना करे...

दैनिक योग का अभ्यास - क्रम

*दैनिक योग का अभ्यास - क्रम* *प्रारंभ*      : तीन बार ओ३म्  लंबा उच्चारण करें। *गायत्री - महामंत्र*    : ओ३म् भूर्भुव: स्व:। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।  धियो यो नः प्रचोदयात्।।  *महामृत्युंजय - मंत्र*    : ओ३म् त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बंधनामृत्योर्मुक्षिय माऽमृतात्।। *संकल्प - मंत्र*    : ओ३म् सह नवावतु। सह नोै भुनक्तु। सह वीर्य करवावहै।तेजस्विनावधीतमस्तु।मा विद्विषावहै।। *प्रार्थना - मन्त्र* ओ३म् ॐ असतो मा सद् गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्माऽमृतं गमय।    ओ३म् शान्ति: शान्ति: शान्ति:।। *सहज - व्यायाम     : यौगिक जौगिंग*   (समय- लगभग 5 मिनट) तीन प्रकार की दौड़, तीन तरह की बैठक, चार साइड में झुकना, दो तरह से उछलना, कुल 12 अभ्यास।  सूर्य - नमस्कार 3 से 5 अभ्यास (समय- 1से 2 मिनट) 12 स्टेप( 1 प्रणाम आसन, 2 ऊर्ध्व हस्तासन, 3 पादहस्तासन, 4 दाएं पैर पर अश्वसंचालन, 5 पर्वतासन, 6 साष्टांग प्रणाम आसन, 7 भुजंगासन, 8 पर्वतासन, 9 बाएं पैर पर अश्वसंचालन, 10 पादह...

प्रतिदिन दिनचर्या बनाए और खुश रहे

*1.* प्रतिदिन 10 से 30 मिनट टहलने की आदत बनायें. चाहे समय ना हो तो घर मे ही टहले , टहलते समय चेहरे पर मुस्कराहट रखें.                *Secure Health* 🌟 *2.* प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट चुप रहकर बैठें.                *Secure Health* 🌟 *3.* पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा पुस्तकें पढ़ें.                *Secure Health* 🌟 *4.* 70 साल की उम्र से अधिक आयु के बुजुर्गों और 6 साल से कम आयु के बच्चों के साथ भी कुछ समय व्यतीत करें.                *Secure Health* 🌟 *5.* प्रतिदिन खूब पानी पियें.                *Secure Health* 🌟 *6.* प्रतिदिन कम से कम तीन बार  ये सोचे की मैने आज कुछ गलत तो नही किया.                *Secure Health* 🌟 *7.* गपशप पर अपनी कीमती ऊर्जा बर्बाद न करें.               ...

गौरवशाली इतिहास का एक और पृष्ठ : राजा नरसिंह देव

गौरवशाली इतिहास का एक और पृष्ठ : राजा नरसिंह देव Written by:-डॉक्टर विवेक आर्य भारत विश्व का संभवत एक मात्र ऐसा देश होगा जहाँ का इतिहास उस देश के इतिहासकारों ने नहीं अपितु विदेशी इतिहासकारों ने लिखा है। इन पक्षपाती इतिहासकारों ने गौरी , गजनी और अकबर को महान लिखकर भारतीयों को हीन भावना से ग्रस्त करने का प्रयास किया। भारतीय इतिहास में अनेक ऐसे प्रसंग मिलते है जिन्हें पढ़कर पाठक अपने हमारे देशभक्त वीरों पर गर्व करेंगे। उन महान वीरों में से एक थे नरसिम्हा देव प्रथम। आप ओड़िसा के शासक थे। सन 1243 में बंगाल के मेदिनापुर में आपका बंगाल के शासक तुगहन खान से सामना हुआ। युद्ध रणनीति में कुशल राजा ने अपनी सेनाओं को एक घने जंगल में छिपा दिया और मुसलमानों की सेना की प्रतीक्षा करने लगे। तुगहन खान आश्वस्त हो गया कि नरसिम्हा देव की सेना भाग गई है। इसलिए उसने अपनी सेना को आराम करने का आदेश दे दिया। छापामार रणनीति का पालन करते हुए तुगहन खान ने आराम करती सेना पर नरसिम्हा देव ने हमला कर दिया। उसकी सेना में भगदड़ मच गई। बड़ी कठिनाई से तुगहन खान ने अपनी भागकर जान बचाई। (राजा नरसिम्हा देव के दरबार का च...

मुहम्मद तुगलक

मुहम्मद तुगलक By:- पुरोहितवाणी कुछ निष्ठा हीन  भारतीय इतिहासकार उमंग और उत्साह से तुगलक की एक विचारवान मुस्लिम के नाम से प्रशंशा करते है , जिसकी सारी  सुधारवादी योजनाए गड़बड़ा गयी थी , मगर कुछ  निष्ठावान इतिहासकार उसे पागल और सनकी करार देते है। मुहम्मद तुगलक का २५ वर्षीय शाशनकाल छुरेबाजी अकाल और दमन की लंबी कहानी है , प्रमुख रूप से हिन्दू उसके शिकार थे , और आंशिक रूप से मुस्लमान , जिन्होंने उसके अत्याचारो का विरोध किया था , उसमे पगालपन की भी एक पद्धति थी , एक तरीका था , सलीका था , उसका मुस्लिम दिमाग इस्लामी यातना के नए नए ढंग खोज निकालने में बेजोड़ था।  इन खोजो का उपयोग वह आँख मूंदकर बड़े धड्डले से सभी पर करता था। इस्लामी रिवाज़  के अनुसार तख़्त का लोभी तुगलक १३२५ में अपने अपहकर्ता पिता गियासुदीन की हत्या कर गद्दी पर बैठा था।  उसकी हत्या प्रणाली एक अनोखी थी , दिल्ली से एक पड़ाव दूर उसने काष्ठगृह बनाया , उस दिखावी  श्रद्धालु और विनम्र  पुत्र ने अपने पिता को एक रात इसमें आराम फरमाने की प्रार्थना की , सुल्तान गियासुदीन संध्या की शराबी दावत में बे...

परमाणुशास्त्र के जनक आचार्य कणाद | Father of Atom Maharishi Kanada

परमाणुशास्त्र के जनक आचार्य कणाद |  Father of Atom Maharishi Kanada महान परमाणुशास्त्री आचार्य कणाद 6 सदी ईसापूर्व गुजरात के प्रभास क्षेत्र (द्वारका के निकट) में जन्मे थे। इन्होने वैशेषिक दर्शनशास्त्र की रचना की | दर्शनशास्त्र (Philosophy) वह ज्ञान है जो परम सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है| माना जाता है कि परमाणु तत्व का सूक्ष्म विचार सर्वप्रथम इन्होंने किया था इसलिए इन्ही के नाम पर परमाणु का एक नाम कण पड़ा | It was Sage Kanada who originated the idea that anu (atom) was an indestructible particle of matter. महर्षि कणाद ने सर्वांगीण उन्नति की व्याख्या करते हुए कहा था ‘यतो भ्युदयनि:श्रेय स सिद्धि:स धर्म:‘ जिस माध्यम से अभ्युदय अर्थात्‌ भौतिक दृष्टि से तथा नि:श्रेयस याने आध्यात्मिक दृष्टि से सभी प्रकार की उन्नति प्राप्त होती है, उसे धर्म कहते हैं। परमाणु विज्ञानी महर्षि कणाद अपने वैशेषिक दर्शन के १०वें अध्याय में कहते हैं ‘दृष्टानां दृष्ट प्रयोजनानां दृष्टाभावे प्रयोगोऽभ्युदयाय‘ अर्थात्‌ प्रत्यक्ष देखे हुए और अन्यों को दिखाने के उद्देश्य स...