भांडनगरी के षड़यंत्र - ५
भांडनगरी के षड़यंत्र - ५
"बाहुबली....शिवलिंग और रुपयों की बारिश!!
मुम्बइया सिनेमाँ सांस्कृतिक आक्रमण!!
''बाहुबली फिल्म की कमाई का रिकार्ड आज तक नही टूटा, इस फिल्म ने साबित किया है सेखुलर एजेंडे के तहत 'शिवलिंग, का मजाक उड़ाने से ज्यादा पैसा उसे 'सिर, पर धारण करके कमाया जा सकता है।,,
"आप सोचते हैं मुम्बइया-सिनेमा 'पैसे कमाने की खातिर, यह सब कुछ कर रहा??
इनके मूल में पैसा है??
तो आप गलत हैं।....केवल पैसा कमाना मूल उद्देश्य नही है।वह तो घलुआ-घलुआ है घलुआ!!
वह इससे आगे की चीज है।
सिनेमा,लेखन,साहित्य,मीडिया,अगर प्रोफेशन ही होता तो 'प्रोफेशनल इथिक्स,, खुद जन्म ले लेता... और स्थापित हो जाता ...हॉलीवुड की तरह।
उसने एक भी 'धंधाई उसूल,का पालन नही किया।क्योंकि उनके उद्देश्य,उनके एजेंडे,उनके तरीके बहुत ही घिनौने हैं....या फिर 'वे,गैरजिम्मेदार दलाल हैं।
पैट्रियाट...ग्लेडिएटर,...ब्रेवहार्ट,..ट्राय,..स्पार्टकस,....
4-समुराई.....47-रोंनिन,...300,..टाइटन... बेन-हर.......हालीवुड की बनी सुपर-डूपर हिट फिल्में थी.....जिन्होने दुनियाँ भर से 1200 करोड़ डालर से भी अधिक कमाएँ....यानी 72 हज़ार करोड़ रुपयों से अधिक कमाई केवल इन्ही 10 फिल्मों ने दुनियाँ भर से बटोर लिया!
इन फिल्मों मे एक समानता और है ये सभी देश-भक्ति या स्वाभिमान पर बनी इतिहास-आधारित फिल्में थी,,कमोबेश कहानियां भी एक सी ही हैं....जो नितांत स्थानीय स्तर के स्वाभिमान की थी.,जिसमे हीरो पूरी बहादुरी से जंग लड़ते हैं,और कम संख्या के बाद भी जीतते हैं...लेकिन पसंद दुनियाँ भर में किया गया..फिल्मो की कसावट ऐसी है की शायद ही दर्शक बीच में उठकर बाथरूम जाना चाहे.!
...हज़ारों-लाखों "पौराणिक-वैदिक,कहानियों,धर्म-गथाओं को छोड़ भी दिया जाये तो भी हमारे देश में गली-गली में ऐसे सच्ची घटनाओं के शौर्य,त्याग,बलिदान और रोचकता के हजारों उदाहरण हैं,...घोघा बाप्पा,.राणा सांगा...महाराणा प्रताप,...शिवाजी,..छत्रसाल..गुरु-गोबिंद सिंह वीर बंदा वैरागी,..बिरसा-मुंडा.) आदि-आदि जो जन-मानस पटल पर रची-बसी हुई थी...क्या चमकौर का युद्द किसी..भी स्थिति में 47 रोनिन से भी अधिक यथार्थिक,प्रभावी और प्रेरणा प्रद नही है???
.लेकिन उन पर इन सालों में किसी भी मुबइया फिल्मकार ने इन पर कुछ नही बनाया..!!!!!
साउथ में या छोटे परदे पर असफल कोशिशे हुईं।।
कर्नल टाड मशहूर इतिहासकार थे उन्होंने राजपूताना के शौर्य पर लिखा है "" सम्पूर्ण विश्व की शौर्य गाथाएँ एक तरफ और राजपूताना के एक कोने की शूरवीरता एक तरफ रख दी जाए तो पलड़ा राजपूताना का ही भारी होगा।,,
मेंरी समझ में यह नही आता कि हमारे मुंबइया फिल्म-कारों ने कभी इस तरह के विषयों को उठाने की क्यों नही सोची!!!!
ये कारण हो सकते हैं!
पैसा डूब जाने का ख़तरा जो ऊपर के आँकड़े को पढ़ कर साफ-साफ नकारा जा सकता है!
दूसरा "अयोग्यता,..दुनिया का कोई भी समझ रखने वाला "इंसान, इसको न मानेगा..!
डर,लालच या फिर नासमझी और पूर्वाग्रही सोच...?
यकीन से ही कह सकता हूँ "हाँ यह यही था..!
तत्कालीन शासको का डर...वे बुरी तरह हतोत्साहित करते थे,.सेंसर बोर्ड,..पुलिस.....तमाम अनाप-शनाप के टैक्स से
इसमें कहीं "सेकुलर फंडा,, नही दिख रहा न!
अधिकतर "संघर्ष,मुस्लिम शासको के क्रूरता और अराजकता,धर्मान्तरण और लूट-पाट,अत्याचार के खिलाफ थे न।।
उस पर "फिल्म, बन जाती तो 800 सौ साल के शासकों का 'कहर, बरपने का डर"!!
उनके प्रतिनिधि "सरकार,जो 70 सालों तक सत्ता में बनी रह गयी।उसका कोप-भाजन बनने का साहस कहाँ से लाये?
तो लो झेलो! "हकले,मगले,और ठिंगने को हीरो के रूप में
......
...फिर प्रभु वर्ग और"'राजवंश,की महिमा फीकी होने का अंदेशा तले ही सब कुछ होना ज़रूरी था न!!!
विश्व का सबसे बड़ा पाखंड है "सेकुलरिया, सोंच।
*******
********
*********
*********
..वैसे तो हजारों हैं किन्तु कुछ घटनाए दे रहा हूँ।जिन विषयों पर फिल्में बनाकर मोटी कमाई की जा सकती हैं......और 'प्रेरणाप्रद-विकासात्मक माहौल भी बनाया जा सकता है किंतु...!!.....महान सत्य् पूर्ण घटनाएँ जिन पर फिल्म बन सकती हैं,...हिट हो सकती हैं,...देश स्वाभिमान से भर सकता है, केवल सेकुलारियों,वामियो,हकलो,मगलो,ठिगनो,और कुछ सम-लैंगिको के नाते नही बन सकी।
....लिस्ट हाजिर है।
1. बप्पा रावल,- अरबो,तुर्को को कई हराया ओर हि हिन्दू धरम रक्षक की उपाधि धारण की अस्सी साल की उम्र में गजनवी से लड़ना..क्या विषय नही है।
पूरा पश्चिमी भारत उनकी शौर्य गाथाये गाता है।
2 . भीम देव द्वितीय सोलंकी -मोहम्मद गौरी को 1178 मे हराया और 2 साल तक जेल मे बंधी बनाये रखा।उसकी वीरता-श्री,शौर्य गुजरात गाता है
3-पृथ्वीराज चौहान - गौरी को कम से कम 2 बार हराया और और गोरी बार बार कुरान की कसम खा कर छूट जाता .....तीसरी बार पृथ्वीराज चौहान सद्गुण-वृत्ति की वजह से हार गए... घर-घर चन्द्रवरदाई के काव्य गाये जाते हैं।
4 , हम्मीरदेव (रणथम्बोर) - खिलजी को 1296 मे अल्लाउदीन ख़िलजी के 20000 की सेना में से 8000 की सेना को काटा और अंत में सभी 3000 राजपूत बलिदान हुए राजपूतनियो ने जोहर कर के इज्जत बचायी ..यह विषय नही है।
5 . कान्हड देव सोनगरा – 1308 जालोर मे अलाउदिन खिलजी से युद्ध किया और सोमनाथ गुजरात से लूटा शिवलिगं वापिस राजपूतो के कब्जे में लिया और युद्ध के दौरान गुप्त रूप से विश्वनीय राजपूतो , चरणो और पुरोहितो द्वारा गुजरात भेजवाया तथा विधि विधान सहित सोमनाथ में स्थापित करवाया।घर-घर चर्चा होती है।
6 . राणा सांगा ने बाबर को जीवन-भीख दी थी...और धोखा खाया...... . राणा सांगा के शरीर पर छोटे-बड़े 80 घाव थे, युद्धों में घायल होने के कारण उनके एक हाथ नही था एक पैर नही था, एक आँख नहीं थी उन्होंने अपने जीवन-काल में 100 से भी अधिक युद्ध लड़े....यह फिल्म का विषय-वस्तु क्यों नही बना??
7 . राणा कुम्भा - अपनी जिदगीँ मे 17 युदध लडे एक भी नही हारे..!!
8..जयमाल मेड़तिया ने एक ही झटके में हाथी का सिर काट डाला था.....चित्तोड़ में अकबर से हुए युद्ध में जयमाल राठौड़ पैर जख्मी होने कि वजह से कल्ला जी के कंधे पर बैठ कर युद्ध लड़े थे। ये देखकर सभी युद्ध-रत साथियों को चतुर्भुज भगवान की याद आयी थी।जंग में दोनों के सर काटने के बाद भी धड़ लड़ते रहे और 8000 राजपूतो की फौज ने 48000 दुश्मन को मार गिराया!
अंत में अकबर ने उनकी वीरता से प्रभावित हो कर जयमाल मेड़तिया और फत्ता जी की मुर्तिया आगरा के किलें में लगवायी थी....
9. . मानसिहं तोमर- महाराजा मान सिंह तोमर ने ही ग्वालियर किले का पुनरूद्धार कराया और 1510 में सिकंदर लोदी और इब्राहीमलोदी को धूल चटाई।
मध्यभारत उन गौरव गाथाओं को जन-जन में गाता है।
10. रानी दुर्गावती- चंदेल राजवंश में जन्मी रानी दुर्गावती राजपूत राजा कीरत राय की बेटी थी। गोंडवाना की महारानी दुर्गावती ने अकबर की गुलामी करने के बजाय उससे युद्ध लड़ा 24 जून 1564 को युद्ध में रानी दुर्गावती ने गंभीर रूप से घायल होने के बाद अपने आपको मुगलों के हाथों अपमान से बचाने के लिए खंजर घोंपकर आत्महत्या कर ली।
और मुंबई के फिल्म-बाज औरतों में केवल प्रेम-कथा तलाशते हैं!
11. महाराणा प्रताप - इनके बारे में तो सभी जानते ही होंगे ..कहा जाता है... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80 किलो था और कवच, भाला, ढाल, और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो था..
और फिल्म बन रही है जोधा-अकबर!!
किसे बेवकूफ बना रहे हो??
12. जय सिंह जी - जयपुर महाराजा ने जय सिंह जी ने अपनी सूझबुझ से छत्रपति शिवजी को औरंगज़ेब की कैद से निकलवाया बाद में औरंगजेब ने जयसिंह पर शक करके उनकी हत्या विष देकर करवा डाली।सेकुलर....जो दिखना था..!
13. छत्रपति शिवाजी, - मराठा वीर छत्रपति शिवजी ने औरंगज़ेब को कई जगह हराया।पूरा मराठा-लैंड छिना...... हिन्दू-पद पादशाही कायम की।
तुर्को और मुगलो को कई बार न केवल हराया बल्कि कुछ ग्रामीण-मावले युवको के दम पर उड़ा दिया।
मुम्बई में कौन उन्हें नही जानता??
लेकिन उन पर फिलमे बनने से कौन कमीना रोकता है???
14.जन-जन की गाथा रायमलोत कल्ला का धड़ शीश कटने के बाद लड़ता- लड़ता घोड़े पर पत्नी रानी के पास पहुंच गया था तब रानी ने गंगाजल के छींटे डाले तब धड़ शांत हुआ उसके बाद रानी पति कि चिता पर बैठकर सती हो गयी थी....!!
शौर्य पर इससे अच्छी विषय वस्तु मिल सकती थी क्या??
15. सलूम्बर के नवविवाहित रावत रतन सिंह चुण्डावत जी ने युद्ध जाते समय मोह-वश अपनी पत्नी हाड़ा रानी की कोई निशानी मांगी तो रानी ने सोचा ठाकुर युद्ध में मेरे मोह के कारण नही लड़ेंगे तब रानी ने निशानी के तौर पैर अपना सर काट के दे दिया था, अपनी पत्नी का कटा शीश गले में लटका औरंगजेब की सेना के साथ भयंकर युद्ध किया और वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपनी मातृ भूमि के लिए शहीद हो गये थे....!
प्रेम-कथा नही है।
16. औरंगज़ेब के नायक तहव्वर खान से गायो को बचाने के लिए पुष्कर में युद्ध हुआ उस युद्ध में 700 मेड़तिया राजपूत वीरगति प्राप्त हुए और 1700 मुग़ल मरे गए पर एक भी गाय कटने न दी उनकी याद में पुष्कर में गौ घाट बना हुआ है!!
17. एक राजपूत वीर जुंझार-सिंह जो मुगलो से लड़ते वक्त शीश कटने के बाद भी घंटो लड़ते रहे आज उनका सिर बाड़मेर में है,जहा छोटा मंदिर हैं और धड़ पाकिस्तान में है.।
18. जोधपुर के यशवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी सिंह ने हाथो से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था...सरकारी रिकार्ड में घटना दर्ज है।
इस पर बाल फिल्म बनने से सेकुलरिज्म को कँटीला-बांस घुस जाएगा।
19. करौली के 'जादोन राजा, अपने सिंहासन पर बैठते वक़्त अपने दोनो हाथ जिन्दा शेरो पर रखते थे.....यह लोगो को नही लुभायेगा???
20. . हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की और से 85000 सैनिक थे फिर भी अकबर की मुगल सेना पर हिंदू-सेना भारी पडी....आज तक हल्दीघाटी पर कोई डाक्यूमेंट्री तक क्यों नही बनी...?
अब ये न कहना पता नही था।
21. राजस्थान पाली में आउवा के ठाकुर खुशाल सिंह 1857 में अजमेर जा कर अंग्रेज अफसर का सर काट कर ले आये थे और उसका सर अपने किले के बाहर लटकाया था तब से आज दिन तक उनकी याद में मेला लगता है।
22-आल्हा-ऊदल की काव्यात्मक घटनाएं आल्ह खण्ड के रूप में आज भी अधिकतर भारत के गाँव-गाँव में गाईं जाती हैं।
वीर रस के वह गायन गूंजते हैं तो दांत-खुद किट-कटाने लगता है,रोम-रोम फड़कने लगता है।
23. शाका-और जौहर... युद्ध के बाद अनिष्ट परिणाम और होने वाले अत्याचारों व व्यभिचारों से बचने और अपनी पवित्रता कायम रखने हेतु महिलाएं अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा कर,तुलसी के साथ गंगाजल का पानकर जलती चिताओं में प्रवेश कर अपने 'शौर्य शाली पतियों को निर्भय करती थी कि नारी समाज की पवित्रता अब अग्नि के ताप से तपित होकर कुंदन बन गई है और राजपूतनिया जिंदा अपने इज्जत कि खातिर आग में कूद कर आपने सतीत्व कि रक्षा करती थी | पुरूष इससे चिंता मुक्त हो जाते थे कि युद्ध परिणाम का अनिष्ट अब उनके स्वजनों को ग्रसित नही कर सकेगा | वह लड़ते-लड़ते युद्द भूमि में प्राण त्यागते थे जिसे 'शाका,कहते हैं. राजस्थान का कोई राजपूत न होगा जिसके किसी न किसी बाप-दादे न शाका न किया हो....लेकिन मुम्बईया सिनेमा 'क्षत्रियो को डाकू और सामन्त क्रूर विलेन दिखायेगा पादरी और मुल्लो को सेकुलर....आतंकियों को शोषित!!
24-महिलाओं का वीरता पूर्ण कृत्य 'जौहर, के नाम से विख्यात हुआ |सबसे ज्यादा जौहर और शाके चित्तौड़ के दुर्ग में हुए | जैसलमेर युद्द के बाद बहुत बड़ा जौहर हुआ,.... चित्तोड़ के दुर्ग में सबसे पहला जौहर हुआ, महारानी पद्मिनी के नेतृत्व में 16000 हजार राजपूत रमणियों ने अगस्त 1303 में किया था...... चित्तोड़ के दुर्ग में दूसरे जौहर चित्तोड़ की महारानी कर्मवती के नेतृत्व में 8,000 हजार राजपूत रमणियों ने 1535 AD में किया था | चित्तोड़ के दुर्ग में तीसरा जौहर अकबर से हुए युद्ध के समय 11,000 हजार राजपूत नारियो ने 1567 AD में किया था | ग्वालियर व राइसिन में जोहर हुआ,तोमर सहिवाहन पुरबिया के बाद जौहर हुआ,खानवा युद्ध के बाद ये जौहर हुआ था।
कोई सीन 'फ्रीज,हुई..??
मैं कोई इतिहास बघारने नही बैठा हूँ।आप हॉलीवुड सुपरहिट वीर-गाथा फिल्मे और भारतीय इतिहास के किसी भी शौर्य-चरित्र,सीन के साथ कम्पेयर करिये!!
कहीं एक भी गाथा इनकी तुलना में ठहरती है???
स्पार्टन्स!!!
हे एथेनियन थोडा सोचो...बुध्दि के घोड़े दौड़ाओ....!!
इन पर कोई फिल्म कभी दिखा???
अरे! भारत वर्ष के गली-गली,कोने-कोने में ऐसे वीर-गाथाएं,भावनात्मकता और सच बिखरे पड़े हैं... 10 हजार से अधिक टॉपिक पड़े हैं ...जिनपर कुछ बनाओगे तो पैसे रखने की जगह कम पड़ जाएगी..लेकिन जब
....दृष्टि-दोष होगा तो नही दिखेगा....क्यों की एजेंडे दूषित हैं।
है कोई मर्द????
या सब उस ''मुम्बईया'जौहर-कश्यप,, के भाई ही न उन्हें तो यौना-चार फैलाना था...राष्ट्र बनाने की जगह...!!
'सर्वहारा क्रान्ति....गजवा ए हिन्द और स्विस बैंक,के मद्देनजर जो कुछ भी तरीका अपना रहे करते रहो....पर ध्यान रहे उस पर अब लोगो की निगाह है ।
....
.......अभी कुछ बाकी है
Pawan Tripathi ji
"बाहुबली....शिवलिंग और रुपयों की बारिश!!
मुम्बइया सिनेमाँ सांस्कृतिक आक्रमण!!
''बाहुबली फिल्म की कमाई का रिकार्ड आज तक नही टूटा, इस फिल्म ने साबित किया है सेखुलर एजेंडे के तहत 'शिवलिंग, का मजाक उड़ाने से ज्यादा पैसा उसे 'सिर, पर धारण करके कमाया जा सकता है।,,
"आप सोचते हैं मुम्बइया-सिनेमा 'पैसे कमाने की खातिर, यह सब कुछ कर रहा??
इनके मूल में पैसा है??
तो आप गलत हैं।....केवल पैसा कमाना मूल उद्देश्य नही है।वह तो घलुआ-घलुआ है घलुआ!!
वह इससे आगे की चीज है।
सिनेमा,लेखन,साहित्य,मीडिया,अगर प्रोफेशन ही होता तो 'प्रोफेशनल इथिक्स,, खुद जन्म ले लेता... और स्थापित हो जाता ...हॉलीवुड की तरह।
उसने एक भी 'धंधाई उसूल,का पालन नही किया।क्योंकि उनके उद्देश्य,उनके एजेंडे,उनके तरीके बहुत ही घिनौने हैं....या फिर 'वे,गैरजिम्मेदार दलाल हैं।
पैट्रियाट...ग्लेडिएटर,...ब्रेवहार्ट,..ट्राय,..स्पार्टकस,....
4-समुराई.....47-रोंनिन,...300,..टाइटन... बेन-हर.......हालीवुड की बनी सुपर-डूपर हिट फिल्में थी.....जिन्होने दुनियाँ भर से 1200 करोड़ डालर से भी अधिक कमाएँ....यानी 72 हज़ार करोड़ रुपयों से अधिक कमाई केवल इन्ही 10 फिल्मों ने दुनियाँ भर से बटोर लिया!
इन फिल्मों मे एक समानता और है ये सभी देश-भक्ति या स्वाभिमान पर बनी इतिहास-आधारित फिल्में थी,,कमोबेश कहानियां भी एक सी ही हैं....जो नितांत स्थानीय स्तर के स्वाभिमान की थी.,जिसमे हीरो पूरी बहादुरी से जंग लड़ते हैं,और कम संख्या के बाद भी जीतते हैं...लेकिन पसंद दुनियाँ भर में किया गया..फिल्मो की कसावट ऐसी है की शायद ही दर्शक बीच में उठकर बाथरूम जाना चाहे.!
...हज़ारों-लाखों "पौराणिक-वैदिक,कहानियों,धर्म-गथाओं को छोड़ भी दिया जाये तो भी हमारे देश में गली-गली में ऐसे सच्ची घटनाओं के शौर्य,त्याग,बलिदान और रोचकता के हजारों उदाहरण हैं,...घोघा बाप्पा,.राणा सांगा...महाराणा प्रताप,...शिवाजी,..छत्रसाल..गुरु-गोबिंद सिंह वीर बंदा वैरागी,..बिरसा-मुंडा.) आदि-आदि जो जन-मानस पटल पर रची-बसी हुई थी...क्या चमकौर का युद्द किसी..भी स्थिति में 47 रोनिन से भी अधिक यथार्थिक,प्रभावी और प्रेरणा प्रद नही है???
.लेकिन उन पर इन सालों में किसी भी मुबइया फिल्मकार ने इन पर कुछ नही बनाया..!!!!!
साउथ में या छोटे परदे पर असफल कोशिशे हुईं।।
कर्नल टाड मशहूर इतिहासकार थे उन्होंने राजपूताना के शौर्य पर लिखा है "" सम्पूर्ण विश्व की शौर्य गाथाएँ एक तरफ और राजपूताना के एक कोने की शूरवीरता एक तरफ रख दी जाए तो पलड़ा राजपूताना का ही भारी होगा।,,
मेंरी समझ में यह नही आता कि हमारे मुंबइया फिल्म-कारों ने कभी इस तरह के विषयों को उठाने की क्यों नही सोची!!!!
ये कारण हो सकते हैं!
पैसा डूब जाने का ख़तरा जो ऊपर के आँकड़े को पढ़ कर साफ-साफ नकारा जा सकता है!
दूसरा "अयोग्यता,..दुनिया का कोई भी समझ रखने वाला "इंसान, इसको न मानेगा..!
डर,लालच या फिर नासमझी और पूर्वाग्रही सोच...?
यकीन से ही कह सकता हूँ "हाँ यह यही था..!
तत्कालीन शासको का डर...वे बुरी तरह हतोत्साहित करते थे,.सेंसर बोर्ड,..पुलिस.....तमाम अनाप-शनाप के टैक्स से
इसमें कहीं "सेकुलर फंडा,, नही दिख रहा न!
अधिकतर "संघर्ष,मुस्लिम शासको के क्रूरता और अराजकता,धर्मान्तरण और लूट-पाट,अत्याचार के खिलाफ थे न।।
उस पर "फिल्म, बन जाती तो 800 सौ साल के शासकों का 'कहर, बरपने का डर"!!
उनके प्रतिनिधि "सरकार,जो 70 सालों तक सत्ता में बनी रह गयी।उसका कोप-भाजन बनने का साहस कहाँ से लाये?
तो लो झेलो! "हकले,मगले,और ठिंगने को हीरो के रूप में
......
...फिर प्रभु वर्ग और"'राजवंश,की महिमा फीकी होने का अंदेशा तले ही सब कुछ होना ज़रूरी था न!!!
विश्व का सबसे बड़ा पाखंड है "सेकुलरिया, सोंच।
*******
********
*********
*********
..वैसे तो हजारों हैं किन्तु कुछ घटनाए दे रहा हूँ।जिन विषयों पर फिल्में बनाकर मोटी कमाई की जा सकती हैं......और 'प्रेरणाप्रद-विकासात्मक माहौल भी बनाया जा सकता है किंतु...!!.....महान सत्य् पूर्ण घटनाएँ जिन पर फिल्म बन सकती हैं,...हिट हो सकती हैं,...देश स्वाभिमान से भर सकता है, केवल सेकुलारियों,वामियो,हकलो,मगलो,ठिगनो,और कुछ सम-लैंगिको के नाते नही बन सकी।
....लिस्ट हाजिर है।
1. बप्पा रावल,- अरबो,तुर्को को कई हराया ओर हि हिन्दू धरम रक्षक की उपाधि धारण की अस्सी साल की उम्र में गजनवी से लड़ना..क्या विषय नही है।
पूरा पश्चिमी भारत उनकी शौर्य गाथाये गाता है।
2 . भीम देव द्वितीय सोलंकी -मोहम्मद गौरी को 1178 मे हराया और 2 साल तक जेल मे बंधी बनाये रखा।उसकी वीरता-श्री,शौर्य गुजरात गाता है
3-पृथ्वीराज चौहान - गौरी को कम से कम 2 बार हराया और और गोरी बार बार कुरान की कसम खा कर छूट जाता .....तीसरी बार पृथ्वीराज चौहान सद्गुण-वृत्ति की वजह से हार गए... घर-घर चन्द्रवरदाई के काव्य गाये जाते हैं।
4 , हम्मीरदेव (रणथम्बोर) - खिलजी को 1296 मे अल्लाउदीन ख़िलजी के 20000 की सेना में से 8000 की सेना को काटा और अंत में सभी 3000 राजपूत बलिदान हुए राजपूतनियो ने जोहर कर के इज्जत बचायी ..यह विषय नही है।
5 . कान्हड देव सोनगरा – 1308 जालोर मे अलाउदिन खिलजी से युद्ध किया और सोमनाथ गुजरात से लूटा शिवलिगं वापिस राजपूतो के कब्जे में लिया और युद्ध के दौरान गुप्त रूप से विश्वनीय राजपूतो , चरणो और पुरोहितो द्वारा गुजरात भेजवाया तथा विधि विधान सहित सोमनाथ में स्थापित करवाया।घर-घर चर्चा होती है।
6 . राणा सांगा ने बाबर को जीवन-भीख दी थी...और धोखा खाया...... . राणा सांगा के शरीर पर छोटे-बड़े 80 घाव थे, युद्धों में घायल होने के कारण उनके एक हाथ नही था एक पैर नही था, एक आँख नहीं थी उन्होंने अपने जीवन-काल में 100 से भी अधिक युद्ध लड़े....यह फिल्म का विषय-वस्तु क्यों नही बना??
7 . राणा कुम्भा - अपनी जिदगीँ मे 17 युदध लडे एक भी नही हारे..!!
8..जयमाल मेड़तिया ने एक ही झटके में हाथी का सिर काट डाला था.....चित्तोड़ में अकबर से हुए युद्ध में जयमाल राठौड़ पैर जख्मी होने कि वजह से कल्ला जी के कंधे पर बैठ कर युद्ध लड़े थे। ये देखकर सभी युद्ध-रत साथियों को चतुर्भुज भगवान की याद आयी थी।जंग में दोनों के सर काटने के बाद भी धड़ लड़ते रहे और 8000 राजपूतो की फौज ने 48000 दुश्मन को मार गिराया!
अंत में अकबर ने उनकी वीरता से प्रभावित हो कर जयमाल मेड़तिया और फत्ता जी की मुर्तिया आगरा के किलें में लगवायी थी....
9. . मानसिहं तोमर- महाराजा मान सिंह तोमर ने ही ग्वालियर किले का पुनरूद्धार कराया और 1510 में सिकंदर लोदी और इब्राहीमलोदी को धूल चटाई।
मध्यभारत उन गौरव गाथाओं को जन-जन में गाता है।
10. रानी दुर्गावती- चंदेल राजवंश में जन्मी रानी दुर्गावती राजपूत राजा कीरत राय की बेटी थी। गोंडवाना की महारानी दुर्गावती ने अकबर की गुलामी करने के बजाय उससे युद्ध लड़ा 24 जून 1564 को युद्ध में रानी दुर्गावती ने गंभीर रूप से घायल होने के बाद अपने आपको मुगलों के हाथों अपमान से बचाने के लिए खंजर घोंपकर आत्महत्या कर ली।
और मुंबई के फिल्म-बाज औरतों में केवल प्रेम-कथा तलाशते हैं!
11. महाराणा प्रताप - इनके बारे में तो सभी जानते ही होंगे ..कहा जाता है... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80 किलो था और कवच, भाला, ढाल, और हाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो था..
और फिल्म बन रही है जोधा-अकबर!!
किसे बेवकूफ बना रहे हो??
12. जय सिंह जी - जयपुर महाराजा ने जय सिंह जी ने अपनी सूझबुझ से छत्रपति शिवजी को औरंगज़ेब की कैद से निकलवाया बाद में औरंगजेब ने जयसिंह पर शक करके उनकी हत्या विष देकर करवा डाली।सेकुलर....जो दिखना था..!
13. छत्रपति शिवाजी, - मराठा वीर छत्रपति शिवजी ने औरंगज़ेब को कई जगह हराया।पूरा मराठा-लैंड छिना...... हिन्दू-पद पादशाही कायम की।
तुर्को और मुगलो को कई बार न केवल हराया बल्कि कुछ ग्रामीण-मावले युवको के दम पर उड़ा दिया।
मुम्बई में कौन उन्हें नही जानता??
लेकिन उन पर फिलमे बनने से कौन कमीना रोकता है???
14.जन-जन की गाथा रायमलोत कल्ला का धड़ शीश कटने के बाद लड़ता- लड़ता घोड़े पर पत्नी रानी के पास पहुंच गया था तब रानी ने गंगाजल के छींटे डाले तब धड़ शांत हुआ उसके बाद रानी पति कि चिता पर बैठकर सती हो गयी थी....!!
शौर्य पर इससे अच्छी विषय वस्तु मिल सकती थी क्या??
15. सलूम्बर के नवविवाहित रावत रतन सिंह चुण्डावत जी ने युद्ध जाते समय मोह-वश अपनी पत्नी हाड़ा रानी की कोई निशानी मांगी तो रानी ने सोचा ठाकुर युद्ध में मेरे मोह के कारण नही लड़ेंगे तब रानी ने निशानी के तौर पैर अपना सर काट के दे दिया था, अपनी पत्नी का कटा शीश गले में लटका औरंगजेब की सेना के साथ भयंकर युद्ध किया और वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपनी मातृ भूमि के लिए शहीद हो गये थे....!
प्रेम-कथा नही है।
16. औरंगज़ेब के नायक तहव्वर खान से गायो को बचाने के लिए पुष्कर में युद्ध हुआ उस युद्ध में 700 मेड़तिया राजपूत वीरगति प्राप्त हुए और 1700 मुग़ल मरे गए पर एक भी गाय कटने न दी उनकी याद में पुष्कर में गौ घाट बना हुआ है!!
17. एक राजपूत वीर जुंझार-सिंह जो मुगलो से लड़ते वक्त शीश कटने के बाद भी घंटो लड़ते रहे आज उनका सिर बाड़मेर में है,जहा छोटा मंदिर हैं और धड़ पाकिस्तान में है.।
18. जोधपुर के यशवंत सिंह के 12 साल के पुत्र पृथ्वी सिंह ने हाथो से औरंगजेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था...सरकारी रिकार्ड में घटना दर्ज है।
इस पर बाल फिल्म बनने से सेकुलरिज्म को कँटीला-बांस घुस जाएगा।
19. करौली के 'जादोन राजा, अपने सिंहासन पर बैठते वक़्त अपने दोनो हाथ जिन्दा शेरो पर रखते थे.....यह लोगो को नही लुभायेगा???
20. . हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और अकबर की और से 85000 सैनिक थे फिर भी अकबर की मुगल सेना पर हिंदू-सेना भारी पडी....आज तक हल्दीघाटी पर कोई डाक्यूमेंट्री तक क्यों नही बनी...?
अब ये न कहना पता नही था।
21. राजस्थान पाली में आउवा के ठाकुर खुशाल सिंह 1857 में अजमेर जा कर अंग्रेज अफसर का सर काट कर ले आये थे और उसका सर अपने किले के बाहर लटकाया था तब से आज दिन तक उनकी याद में मेला लगता है।
22-आल्हा-ऊदल की काव्यात्मक घटनाएं आल्ह खण्ड के रूप में आज भी अधिकतर भारत के गाँव-गाँव में गाईं जाती हैं।
वीर रस के वह गायन गूंजते हैं तो दांत-खुद किट-कटाने लगता है,रोम-रोम फड़कने लगता है।
23. शाका-और जौहर... युद्ध के बाद अनिष्ट परिणाम और होने वाले अत्याचारों व व्यभिचारों से बचने और अपनी पवित्रता कायम रखने हेतु महिलाएं अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा कर,तुलसी के साथ गंगाजल का पानकर जलती चिताओं में प्रवेश कर अपने 'शौर्य शाली पतियों को निर्भय करती थी कि नारी समाज की पवित्रता अब अग्नि के ताप से तपित होकर कुंदन बन गई है और राजपूतनिया जिंदा अपने इज्जत कि खातिर आग में कूद कर आपने सतीत्व कि रक्षा करती थी | पुरूष इससे चिंता मुक्त हो जाते थे कि युद्ध परिणाम का अनिष्ट अब उनके स्वजनों को ग्रसित नही कर सकेगा | वह लड़ते-लड़ते युद्द भूमि में प्राण त्यागते थे जिसे 'शाका,कहते हैं. राजस्थान का कोई राजपूत न होगा जिसके किसी न किसी बाप-दादे न शाका न किया हो....लेकिन मुम्बईया सिनेमा 'क्षत्रियो को डाकू और सामन्त क्रूर विलेन दिखायेगा पादरी और मुल्लो को सेकुलर....आतंकियों को शोषित!!
24-महिलाओं का वीरता पूर्ण कृत्य 'जौहर, के नाम से विख्यात हुआ |सबसे ज्यादा जौहर और शाके चित्तौड़ के दुर्ग में हुए | जैसलमेर युद्द के बाद बहुत बड़ा जौहर हुआ,.... चित्तोड़ के दुर्ग में सबसे पहला जौहर हुआ, महारानी पद्मिनी के नेतृत्व में 16000 हजार राजपूत रमणियों ने अगस्त 1303 में किया था...... चित्तोड़ के दुर्ग में दूसरे जौहर चित्तोड़ की महारानी कर्मवती के नेतृत्व में 8,000 हजार राजपूत रमणियों ने 1535 AD में किया था | चित्तोड़ के दुर्ग में तीसरा जौहर अकबर से हुए युद्ध के समय 11,000 हजार राजपूत नारियो ने 1567 AD में किया था | ग्वालियर व राइसिन में जोहर हुआ,तोमर सहिवाहन पुरबिया के बाद जौहर हुआ,खानवा युद्ध के बाद ये जौहर हुआ था।
कोई सीन 'फ्रीज,हुई..??
मैं कोई इतिहास बघारने नही बैठा हूँ।आप हॉलीवुड सुपरहिट वीर-गाथा फिल्मे और भारतीय इतिहास के किसी भी शौर्य-चरित्र,सीन के साथ कम्पेयर करिये!!
कहीं एक भी गाथा इनकी तुलना में ठहरती है???
स्पार्टन्स!!!
हे एथेनियन थोडा सोचो...बुध्दि के घोड़े दौड़ाओ....!!
इन पर कोई फिल्म कभी दिखा???
अरे! भारत वर्ष के गली-गली,कोने-कोने में ऐसे वीर-गाथाएं,भावनात्मकता और सच बिखरे पड़े हैं... 10 हजार से अधिक टॉपिक पड़े हैं ...जिनपर कुछ बनाओगे तो पैसे रखने की जगह कम पड़ जाएगी..लेकिन जब
....दृष्टि-दोष होगा तो नही दिखेगा....क्यों की एजेंडे दूषित हैं।
है कोई मर्द????
या सब उस ''मुम्बईया'जौहर-कश्यप,, के भाई ही न उन्हें तो यौना-चार फैलाना था...राष्ट्र बनाने की जगह...!!
'सर्वहारा क्रान्ति....गजवा ए हिन्द और स्विस बैंक,के मद्देनजर जो कुछ भी तरीका अपना रहे करते रहो....पर ध्यान रहे उस पर अब लोगो की निगाह है ।
....
.......अभी कुछ बाकी है
Pawan Tripathi ji
Comments
Post a Comment