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Showing posts from April 2, 2017

कुछ लोग तानाशाही को लोकतंत्र पर तरजीह देते है, तथा मानते है कि तानाशाह या दबंग नेता देश की समस्याओ का तेजी से निपटारा कर सकते है। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नही है

स्टालिन सफल रहे, माओ को आंशिक सफलता मिली, इंदिरा जी ने भी भारत को एक सीमा तक अपने पैरो पर खड़ा किया, लेकिन अन्य तानाशाह या 'वन मेन आर्मी' नुमा अन्य नेता जैसे सद्दाम, गद्दाफी, हिटलर, मुसोलिनी आदि अपने देश को बचाने में असफल रहे। . कुछ लोग तानाशाही को लोकतंत्र पर तरजीह देते है, तथा मानते है कि तानाशाह या दबंग नेता देश की समस्याओ का तेजी से निपटारा कर सकते है। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नही है। दरअसल तानाशाही देश को ज्यादा नुकसान पहुंचाती है जबकि 'सच्चे लोकतंत्र' द्वारा ही देश को सबसे निरापद और तेजी से अपने पैरो पर खड़ा किया जा सकता है। इस स्तम्भ में तानाशाही और सच्चे लोकतंत्र के सन्दर्भ में किसी देश के विकास करने और भविष्य में 'टिके रहने' के पहलुओ पर चर्चा की गयी है। . ========= . अध्याय . 1. सच्चे लोकतंत्र और तानाशाही से आशय। . 2. तानाशाही के अपने खतरे है जबकि सच्चा लोकतंत्र निरापद है। . 3. क्यों किसी देश के बहुधा राष्ट्रवादी/सच्चे कार्यकर्ता लोकतंत्र की जगह तानाशाही को तरजीह देने लगते है ? . 4. कैसे अमेरिका और ब्रिटेन बिना किसी तानाशाह के भी सबसे मजबूत दे...

भारतीय गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी ।

गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी । 1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं । 2. गौ माता में तैंतीस कोटी देवी देवताओं का वास है । 3. जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं । 4. गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है । 5. जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है । 6. गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते । 7. गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है । 8. गौ माता के मुत्र में गंगाजी का वास होता है । 9. गौ माता के गोबर से बने उपलों का रोजाना घर दूकान मंदिर परिसरों पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता है सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। 10. गौ माता के एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है । 11. गाय इस धरती पर साक्षात देवता है । 12. गौ माता अन्नपूर्णा देवी है कामधेनु है । मनोकामना पूर्ण करने वाली है । ...

भारत में भौतिक विज्ञान का इतिहास: भाग 3

भारत में भौतिक विज्ञान का इतिहास: भाग 3 Sumit Pandey ज्योतिर्विज्ञान और भौतिकी ठीक जैसे गणित के अध्ययन को ज्योतिर्विज्ञान के अध्ययन से बल मिला वैसे ही भौतिकी के अध्ययन को भी मिला। जैसा कि गणित वाले लेख में बताया गया है, आर्यभट ने 5 वीं सदी से 6 वीं सदी में ग्रहों की गति के क्षेत्रा में गवेषणा का मार्ग प्रशस्त किया। इससे आकाश और काल-मापक इकाईयों की परिभाषा और गुरूत्वाकर्षण, गति और वेग की अवधारणाओं की बेहतर समझ का विकास हुआ। /उदाहरणार्थ यतिबृषभ की कृति तिलोयपन्नति में, जो 6 वीं सदी में रची गई थी, काल और दूरी माप के लिए विभिन्न इकाईयों का वर्णन है और असीम काल की माप के लिए भी एक प्रणाली का वर्णन है। इससे भी महत्वपूर्ण है वाचस्पति मिश्र द्वारा लगभग 840 ई. के आसपास ठोस ज्यामिति / त्रिविमीय अक्षीय ज्यामिति की अभिकल्पना, जिसका अविष्कार दे कार्तस ने 1644 ई. में किया था। न्याय शुचि निबंध में वे लिखते हैं कि आकाश में किसी भी कण की स्थिति की एक दूसरे कण की स्थिति के संदर्भ में तीन काल्पनिक अक्षों के सहारे गणना की जा सकती है।/ ज्योतिर्विज्ञान के अध्ययन से काल और आकाश की बहुत बड़ी और बहुत ...

शूद्र कब शिक्षा और संपत्ति से वंचित हुआ ? कम से कम कौटिल्य के समय काल से 1830 तक तो नहीं / डॉ अंबेडकर दिग्भ्रमित कैसे हो गए ?

शूद्र कब शिक्षा और संपत्ति से वंचित हुआ ? कम से कम कौटिल्य के समय काल से 1830 तक तो नहीं / डॉ अंबेडकर दिग्भ्रमित कैसे हो गए ? -----------------------------------------------------------+  कौटिल्य का नाम ,एक महान राजनीतिज्ञ के नाम पर दर्ज हैं ,,भारतीय इतिहास के पन्नों में / और उनकी दण्डनीति ,, आज शासन नीति के नाम से जाना जाता है / वे राज्य के नियमों का कड़ाई से पालन करवाते थे / चन्द्र गुप्त के समय भारत एक संपन्न राष्ट्र था ,,लेकिन खुद कुटिया में रहते थे ,,एक दरिद्र ब्राम्हण की तरह // यानी अपरिग्रह ही उनकी जीवन शैली थी / शायद तभी से " दरिद्र ब्राम्हण " जैसे शब्दों की नीवं पड़ी होगी / इसी को ब्रम्हानिस्म कहते हैं /अगर ग्रन्थों  में उद्धृत -"जन्मना जायते शूद्रः ,,संस्कारात द्विजः भवति " ,,के महाभारत काल से कौटिल्य के समय काल तक ,,कौटिल्य की दण्डनीति का एक भाग रहा -- कि जन्म से कार्य निर्धारित नहीं होता ,,बल्कि स्वभाव से होता है जैसा कि इस श्लोक में वर्णित है -- कौटिल्य अर्थशाश्त्रम् / " दायविभागे अंशविभागः " नामक अध्ह्याय में पहला श्लोक है -"एक्स्त्रीपु...

अप्रैल_फूल_मनाते_है #तो_हो_जाइये_सावधान,

#अप्रैल_फूल_मनाते_है  #तो_हो_जाइये_सावधान, इतिहास पढ़कर आप भी चौंक जायेंगे... 🚩कहीं अप्रैल फूल के नाम पर आप अपनी ही संस्कृति का मजाक तो नही उड़ा रहे...??? 🚩"#अप्रैल फूल" किसी को कहने से पहले इसकी वास्तविकता जरुर जान ले...! 🚩इस पावन महीने की शुरुआत को मूर्खता दिवस के रूप में मनाने वाले सावधान.... 🚩क्या आपको पता है...#अप्रैल फूल का मतलब...??? 🚩अथार्त् हिंदुओं का #मूर्खता दिवस...!!! ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है। 🚩दरअसल जब ईसाई अंग्रेजों द्वारा भारतवासियों को 1जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस समय भी भारतवासी #विक्रमी संवत के अनुसार ही लगभग 1अप्रैल से अपना नया साल मनाते थे, जो आज भी सच्चे #हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। 🚩आज भी हमारे देश में #बही #खाते और #बैंक 31मार्च को बंद होते हैं और #1अप्रैल से शुरू होते हैं । 🚩जब भारत गुलाम था तो #ईसाईयत ने #विक्रमी संवत का नाश करने के लिए #साजिश कर 1अप्रैल को #मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम दे दिया ताकि हमारी सभ्यता #मूर्खता भरी लगे । 🚩मतलब जो भी हिन्दुस्तानी विक्रमी संवत के अनुसार नया साल मनाते थे उनको वो मू...

भारत में भौतिक विज्ञान का इतिहास: भाग 2

भारत में भौतिक विज्ञान का इतिहास: भाग 2 By - Sumit Pandey कणभौतिकी यद्यपि कणभौतिकी आधुनिक भौतिकी की सर्वाधिक विकसित और सर्वाधिक जटिल शाखाओं में से एक है, प्राचीनतम परमाणु सिद्धांत कम से कम 2500 वर्ष पुराना है। भारत में दर्शन की लगभग हर विवेकसम्मत विचारधारा में चाहे वह हिंदू, जैन या बौद्ध हो, मूलकणों की प्रकृति के संबंध में कुछ न कुछ आख्यान है और इन विभिन्न विचारधाराओं ने इस विचार को प्रसारित किया कि पदार्थ परमाणुओं द्वारा संरचित है जो अविभाज्य और अनश्वर है। देखिएः ’’उपनिषादिक तत्व मीमांसा से वैज्ञानिक यथार्थवादः दार्शनिक विकास’’। परवर्ती दार्शनिकों ने इस विचारधारा को और आगे बढ़ाते हुए प्रतिपादित किया कि परमाणु केवल जोड़े में ही नहीं वरन् तिकड़ी में भी संयुक्त हो सकते थे और यह कि युग्म और तिकड़ी में उनकी पास-पास सजावट ही प्रकृति में प्राप्त वस्तुओं के विभिन्न भौतिक गुणों के लिए जिम्मेवार थी। जैनों ने यह भी प्रतिपादित किया कि परमाणुओं के संयोजन के लिए संयुक्त होने वाले परमाणुओं में विशिष्ट गुणों की आवश्यकता है तथा आवश्यकता है अलग से एक उत्प्रेरक परमाणु की। इस प्रकार प्रारंभिक परमाणु ...

भारत में भौतिक विज्ञान का इतिहास

भारत में भौतिक विज्ञान का इतिहास Sumit Pandey सभी प्रारंभिक सभ्यताओं में भौतिक विज्ञानों का अध्ययन न तो परिभाषित था और न ही ज्ञान की अन्य शाखाओं से प्रथक था। प्रारंभ में जो नवीनशिल्प और कार्य व्यवहारतः विकसित हुए जिनमें वैज्ञानिक सिद्धांतों के प्रयोग की जरूरत थी परंतु उनसे अलग हटकर विज्ञान के सिद्धांतों का स्वतंत्रा अध्ययन करने के प्रयास नहीं के बराबर हुए। अधिकांश मामलों में जो तकनीकी अनुसंधान हुए उनमें निहित वैज्ञानिक सिद्धांतों की कोई जानकारी नहीं थी और ये अनुसंधान अटकलपच्चू विधि और पूर्व अनुभव के जरिए हुए। कभी-कभी विज्ञान के प्रति एक अस्पष्ट जागरूकता आती थी मगर तकनीक के व्यवहारिक पक्ष और उनकी व्यवहारिक सफलता पर ही ध्यान अधिक केंद्रित था न कि इस बात पर कि कैसे और क्यों कभी सफलता मिलती थी और कभी क्यों नहीं मिलती थी ? भारत में रसायन के प्रारंभिक प्रयोग, औषधि, धातुकर्म, निर्माणशिल्प जैसे सीमेंट और रंगों के उत्पादन, वस्त्रा उत्पादन और रंगाई के संदर्भ में हुए। रासायनिक प्रक्रियाओं को समझने के दौरान पदार्थ के मूल तत्वों की व्याख्या करने में भी रुचि उत्पन्न हुई कि वे किन वस्तुओं के म...