कुछ लोग तानाशाही को लोकतंत्र पर तरजीह देते है, तथा मानते है कि तानाशाह या दबंग नेता देश की समस्याओ का तेजी से निपटारा कर सकते है। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नही है
स्टालिन सफल रहे, माओ को आंशिक सफलता मिली, इंदिरा जी ने भी भारत को एक सीमा तक अपने पैरो पर खड़ा किया, लेकिन अन्य तानाशाह या 'वन मेन आर्मी' नुमा अन्य नेता जैसे सद्दाम, गद्दाफी, हिटलर, मुसोलिनी आदि अपने देश को बचाने में असफल रहे। . कुछ लोग तानाशाही को लोकतंत्र पर तरजीह देते है, तथा मानते है कि तानाशाह या दबंग नेता देश की समस्याओ का तेजी से निपटारा कर सकते है। लेकिन ऐसा बिलकुल भी नही है। दरअसल तानाशाही देश को ज्यादा नुकसान पहुंचाती है जबकि 'सच्चे लोकतंत्र' द्वारा ही देश को सबसे निरापद और तेजी से अपने पैरो पर खड़ा किया जा सकता है। इस स्तम्भ में तानाशाही और सच्चे लोकतंत्र के सन्दर्भ में किसी देश के विकास करने और भविष्य में 'टिके रहने' के पहलुओ पर चर्चा की गयी है। . ========= . अध्याय . 1. सच्चे लोकतंत्र और तानाशाही से आशय। . 2. तानाशाही के अपने खतरे है जबकि सच्चा लोकतंत्र निरापद है। . 3. क्यों किसी देश के बहुधा राष्ट्रवादी/सच्चे कार्यकर्ता लोकतंत्र की जगह तानाशाही को तरजीह देने लगते है ? . 4. कैसे अमेरिका और ब्रिटेन बिना किसी तानाशाह के भी सबसे मजबूत दे...