Posts

Showing posts from March 12, 2017

👉 स्वर्ग प्राप्ति के लिए ऊँचा सोचें, अच्छा करें। सुनील कुमार!

👉 स्वर्ग प्राप्ति के लिए ऊँचा सोचें, अच्छा करें।  सुनील कुमार! 👉 स्वर्ग प्राप्ति के लिए ऊँचा सोचें, अच्छा करें। 🔵 धन वैभव से शारीरिक सुख-साधन मिल सकते हैं। विलास सामग्री कुछ क्षण इन्द्रियों में गुदगुदी पैदा कर सकती है, पर उनसे आन्तरिक एवं आत्मिक उल्लास मिलने में कोई सहायता नहीं मिलती। धूप-छाँव की तरह क्षण-क्षण में आते-जाते रहने वाले सुख-दुःख शरीर और जीवन के धर्म हैं। इनसे छुटकारा नहीं मिल सकता।  जिनने अपनी प्रसन्नता इन बाह्य आधारों पर निर्भर कर रखी है, उन्हें असन्तोष एवं असफलता का ही अनुभव होता रहेगा। वे अपने को दुःखी ही अनुभव करेंगे। 🔴 सच्चा एवं चिरस्थायी सुख आत्मिक सम्पदा बढ़ाने के साथ बढ़ता है। गुण, कर्म, स्वभाव में जितनी उत्कृष्टता आती है, उतना ही अन्तःकरण निर्मल बनता है। इस निर्मलता के द्वारा परिष्कृत दृष्टिकोण हर व्यक्ति , हर घटना एवं हर पदार्थ के बारे में रचनात्मक ढंग से सोचता और उज्ज्वल पहलू देखता है। इस दृष्टिकोण की प्रेरणा से जो भी क्रिया-पद्धति बनती है, उसमें सत्य, धर्म एवं सेवा का ही समावेश होता है। 🔵 परिष्कृत दृष्टिकोण का नाम ही स्वर्ग है।  स्व...

प्राचीन भारत का संविधान तथा न्याय व्यवस्था

प्राचीन भारत का संविधान तथा न्याय व्यवस्था वर्तमान समय में भारतीय विधि तथा न्याय व्यवस्था के अत्यधिक जटिल, व्ययसाध्य तथा विलम्बशील होने के कारण अनेक बार यह प्रश्न उपस्थित होता है कि क्या कोई ऐसी प्रणाली या प्रक्रिया हो सकती है जो जन-साधारण को समुचित तथा सरल रूप से विधि का ज्ञान करा सके, तथा शीघ्र एवं स्वल्प व्यय के साथ न्याय दिला सके l आइल लिए हमको प्राचीन संविधान तथा न्याय व्यवस्था का ज्ञान होना आवश्यक है, यह ज्ञान हमको – वैदिक साहित्य, वेदांग, सूत्र-ग्रन्थों, स्मृति-शास्त्रों, रामायण, महाभारत, पुराणों तथा अन्य अर्थशास्त्र और धर्मशास्त्रीय ग्रन्थों, संस्कृत काव्यों आदि के अध्ययन से ही हो सकता है l भगवन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो गीता का उपदेश दिया था उसमे भी कहा था कि कर्तव्य-अकर्तव्य के निर्णय करने में तुम्हारे लिए शास्त्र ही प्रमाण हैं, शास्त्रों के कहे गये कर्म को तुम्हें इस संसार में करना चाहिए l तस्माच्छास्त्रं प्रमाण ते कार्याकार्यव्यस्थितौ l ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि ll श्रीमद्भगवद्गीता – १६.२४ प्राचीन भारतीय मनीषियों का ध्येय और आदर्श था कि अध...

गणेश सखाराम देउसकर की "देश की कथा " से / भाग -1 सखाराम गणेश देउस्कर लिखित 1904 में 'देशेर कथा' बांग्ला में लिखी गयी।

गणेश सखाराम देउसकर की "देश की कथा " से / भाग -1 सखाराम गणेश देउस्कर लिखित 1904 में 'देशेर कथा' बांग्ला में लिखी गयी। इसका हिंदी अनुवाद बाबुराव विष्णु पराड़कर ने किया था। उसी का कुछ अंश :  प्रायः शक्ति सम्वन्धी संघर्ष इतिहास की भूमि पर होते हैं। उपनिवेशवाद , दूसरे देशों और समाजों के वर्तमान और भविष्य पर कब्ज़ा करने के लिए , व्याख्या की राजनीति के माध्यम से , उनके इतिहास पर भी कब्ज़ा करता रहा है। अफ्रीका के बारे में ऐरोप के अनेक दार्शनिकों ने घोषणा की थी कि वहां कोई इतिहास नहीं है। भारत के बारे में ऐसा नहीं कह सकते थे , इसलिए उन्होंने भारत के इतिहास की पुनर्व्याख्या और दुर्व्याख्या की कोशिश की।सन् 1857 के महाविद्रोह के बाद उपनिवेशवादी दृस्टि से इतिहास - लेखन की जो कोशिश हुई उसमे भारतीय इतिहास के मुस्लिम शासनकाल को अन्याय और अत्याचार का काल साबित किया गया । इसका कारन यह था कि 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजी राज्य के विरुद्ध हिन्दूओं और मुसलमानों के बीच जो एकता कायम हुई थी उससे अंग्रेजी राज् डरता था, और उसे तोडना चाहता था , इसीलिये मुसलमानी शासन को अत्याचार...

आप की हत्या की साजिश* रची गई है! और आप स्वयं ही आत्म हत्या के पक्ष में हैं! वो भी परिवार सहित.?

*आप की हत्या की साजिश* रची गई है! और आप स्वयं ही आत्म हत्या के पक्ष में हैं! वो भी परिवार सहित.? *आप का और आप के परिवार का जीवन बचाना चाहते हैं तो यह पोस्ट जरूर पढे!* सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है तो वह है... *रिफाईनड तेल*  केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है... *रिफाईनड तेल* आखिर भाई राजीव दीक्षित जी के कहें हुए कथन सत्य हो ही गये! रिफाईनड तेल से *DNA डैमेज, RNA नष्ट, , हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर(डाईबिटीज), bp नपुंसकता *कैंसर* *हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द,कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि!. एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।* *रिफाईनड तेल बनता कैसे हैं।* बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है, इस विधि में जो भी Impurities तेल में आती है, उन्हें साफ करने वह तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है *वाशिंग*-- वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक स...

वाल्मीकि समाज हिन्दू समाज का अभिन्न अंग क्यों है

Image
वाल्मीकि समाज हिन्दू समाज का अभिन्न अंग क्यों है -अरुण लवानिया अंग्रेजों के समय से ही हिंदुत्व की इमारत से एक-एक कर ईंटों को हटाने का षड़यंत्र चला आ रहा है। इसके पीछे ईसाइयों और मुसलमानों का हाथ तो है ही , स्वतंत्रता पश्चात उपजी नयी प्रजातियां जैसे नवबौध्द , बामसेफ और वामपंथी भी इस कार्य में जुटी हैं।जातिविहीन समाज की बात करने वाले ऐसे तत्व जातियों की ही दुहाई देकर हिंदू समाज को तोड़ने में लगे हैं। अंबेडकर तो बिना आरक्षण के विपरीत परिस्थितियों में अपने पुरुषार्थ के बल पर उन्नति किये।लेकिन आज के नवबौध्दों और बामसेफियों को तो सरकार से आरक्षण और अनेक प्रकार की आर्थिक सुविधायें उपलब्ध हैं।फिर भी अंबेडकर के नाम पर दुकानें चलाना पाखंड के सिवाय कुछ नहीं है।ये अंबेडकर का जयकारा केवल आरक्षण के लिये ही लगाते हैं परंतु अंबेडकर के अन्य राष्ट्रवादी विचारों से इन्हें कोई सरोकार नहीं है। बुध्द से तो ये कोसों दूर हैं।आरक्षण समाप्त , अंबेडकर गायब ! इसीलिये, बिना अपवाद के, सभी तथाकथित अंबेडकरवादी अपनी-अपनी जातियों को मजबूती से पकड़कर जातिवाद के विरोध में हो-हल्ला करते हैं। दोहराने की आवश्यकता...