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Showing posts from April 9, 2017

🌹👉 देशी गाय की घी 👈🌹

🌹👉 देशी गाय की  घी 👈🌹 देशी का मतलब केवल ओर केवल भारतीय नस्ल की गायों से है 👉1.गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है। 2.गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है। 3.गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है। 4.(20-25 ग्राम) घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है। 5.गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ही ठीक हो जाताहै। 6.नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाताहै। 7.गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बाहर निकल कर चेतना वापस लोट आती है। 8.गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है। 9.गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है। 10.हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ठीक होता है। 11.हिचकी के न रुकने पर खाली गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी। 12.गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है। 13.गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और श...

भारतीय शौच व्यवस्था एवं वामकुक्षी

भारतीय शौच व्यवस्था एवं वामकुक्षी Written by:- Suresh Chiplunkar सदियों से भारतीय ज्ञान एवं संस्कारों की एक महान परंपरा रही है. वेदों-पुराणों-ग्रन्थों सहित विभिन्न उत्सवों एवं सामान्य सी दिखाई देने वाली प्रक्रियाओं में भी हमारे ऋषि-मुनियों ने मनुष्य के स्वास्थ्य एवं प्रकृति के संतुलन का पूरा ध्यान रखा है. जो परम्पराएं, रीति-रिवाज एवं खानपान से लेकर पहनावे तक जो भी ज्ञान ऋषि-मुनियों ने हमें विरासत में दिया है, वह न सिर्फ अदभुत है, बल्कि पूर्णतः तर्कसम्मत एवं वैज्ञानिक भी है. प्रस्तुत लेख में मैं सिर्फ तीन उदाहरण देना चाहूँगा. हमारे बुज़ुर्ग हमेशा कहा करते हैं कि गर्भवती स्त्री को हमेशा सदविचार रखने चाहिए, सात्त्विक भोजन करना चाहिए और उससे हमेशा मृदु भाषा में ज्ञानपूर्ण बातचीत करनी चाहिए, ताकि होने वाली संतान भी तेजोमय एवं बुद्धिमान हो. इन बुजुर्गों को यह ज्ञान कहाँ से मिला?? क्या उन दिनों तथाकथित आधुनिक विज्ञान की पढ़ाई होती थी? फिर इन लोगों ने कैसे जान लिया कि गर्भवती स्त्री का भ्रूण सुनने-समझने की क्षमता रखता है? हम सभी ने महाभारत की वह कथा पढ़ी है, जिसमें अर्जुन अपनी गर्भवती पत...

विवाह -पति पत्नी, निकाह -शौहर बीबी, marriage -husband wife

लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार हे जिनका खुद का अनुभव मेंने पढ़ा और शेयर करने से अपने आप को रोक नही सका। आप भी पढ़ें तब मैं जनसत्ता में नौकरी करता था। एक दिन खबर आई कि एक आदमी ने झगड़ा के बाद अपनी पत्नी की हत्या कर दी। मैंने खब़र में हेडिंग लगाई कि पति ने अपनी बीवी को मार डाला। खबर छप गई। किसी को आपत्ति नहीं थी। पर शाम को दफ़्तर से घर के लिए निकलते हुए प्रधान संपादक प्रभाष जोशी जी सीढ़ी के पास मिल गए। मैंने उन्हें नमस्कार किया तो कहने लगे कि संजय जी, पति की बीवी नहीं होती। “पति की बीवी नहीं होती?” मैं चौंका था। “बीवी तो शौहर की होती है, मियां की होती है। पति की तो पत्नी होती है।” भाषा के मामले में प्रभाष जी के सामने मेरा टिकना मुमकिन नहीं था। हालांकि मैं कहना चाह रहा था कि भाव तो साफ है न? बीवी कहें या पत्नी या फिर वाइफ, सब एक ही तो हैं। लेकिन मेरे कहने से पहले ही उन्होंने मुझसे कहा कि भाव अपनी जगह है, शब्द अपनी जगह। कुछ शब्द कुछ जगहों के लिए बने ही नहीं होते, ऐसे में शब्दों का घालमेल गड़बड़ी पैदा करता है। प्रभाष जी आमतौर पर उपसंपादकों से लंबी बातें नहीं किया करते थे। लेकिन उस दिन उन्होंने...