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Showing posts from February 5, 2017

हथियार बदल चुके हैं- भाग 14

हथियार बदल चुके हैं- भाग 14    ''कोई व्यक्ति अपने विकास की उच्चतम अवस्था में केवल अपनी  माँतृभाषा के माध्यम से ही पहुँच सकता है,।                                    'महात्मा गांधी, मेरा एक दोस्त है।व्यापारी हैं।कभी अजब-गजब का बड़ा शौक था।तीन कुत्ते पाल रखी थी।उन कुत्तो में विचित्र विशेषताये थी।मित्र महोदय ने उन कुत्तो के अंदर यह विशिष्टता लाने के लिए कई साल लगाकर तीनो को भौकना छुड़ा दिया और बिल्लियों की तरह 'म्याऊ,करना सिखा दिया।जब भी उन्हें इशारा मिलता वे बोलते "म्याऊं,-म्याऊं,यह देखकर लोग भौचक रह जाते। सुनने के लिए उनके घर मजमा लगा रहता।बहुत सारे बच्चे उन कुत्तो की 'म्याऊं,सुनने के लिए वहां जाते।एकाध सरकस वालों ने प्रदर्शन के लिए मांगा लेकिन उनको गंवारा नही था।पैसे के लिए नही शौक के लिए शुरू किया था।वैसे कुत्तो से बन्दर बहुत डरते हैं।पर उस दिन जाने क्या और कैसे हुआ।कुछ दिनों पहले की बात है।शहर पर बन्दरो का प्रकोप बढ़ा हुआ था।दोस्त के  घर में अचानक कई बन्दरो की टोली आ धमकी।क...

आक्रमण के हथियार बदल गए हैं-13

आक्रमण के हथियार बदल गए हैं-13 ''कोई भी  जीवात्मा अपने मूल में न तो स्त्री है न पुरुष।यह एक संस्कार है।,                           ''ब्रम्हसूत्र, "किसी भी मनुष्य की लैंगिकता की मात्रा और मूल-प्रकृति उसकी आत्मा के ध्वजशीर्ष तक ही पहुंचती है।,                             नीत्शे।   शायद आपमें से किसी को यह बात पसंद न आये लेकिन जूलिया राबर्ट्स,केट-विंसलेट,एंजेलिना जाली या सलमा हयाक,चार्लीज थेरॉन,एम्म्मा स्टोन,नतालिया पोर्टमैन,मैरियन कोटिलार्ड, ओल्विया वाईल्ड,जेसिका अल्वा, स्कारलेट जानसन,मेगन फॉक्स,मिला कुनिस ,हेल बेरी आदि मेरी फेवरिट अभिनेत्रियां रही हैं।आज भी उन्ही को मैं सर्वाधिक् पसन्द करता हूं।वैसे तो फोटो-वोटो मैं नही लगाता लेकिन अगर लगाना पड़ा तो इन्हीं में से किसी की लगाऊंगा।एक दिन मैं बैठे-बैठे खुद पर सोचने लगा इनमे से तो किसी को मैं ने पास से देखा भी नही है।न कभी देखने या पास जाने की संभावना है।फिर उन्हें लेकर इतना आकर्षण क्यों है?...

भारत में कई परंपराएं ऐसी हैं, जिनका सीधा संबंध मनुष्य के स्वास्थ्य से है।

भारत में कई परंपराएं ऐसी हैं, जिनका सीधा संबंध मनुष्य के स्वास्थ्य से है। ऐसी ही एक परंपरा जमीन पर बैठकर खाना खाने की है। भारतीय घरों में जिन लोगों के यहां आज भी खाना पारंपरिक तरीके से परोसा जाता है, वे जमीन पर बैठ कर खाना खाते हैं। आजकल अधिकतर लोग जमीन पर बैठकर खाना नहीं खाते हैं, जबकि कुछ ऐसे हैं जो टीवी के सामने बैठ कर या बिस्तर पर बैठ कर खाना पसंद करते हैं। भले ही, यह आपके लिए बहुत आरामदायक हो, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। हमारे पूर्वजों ने निश्चित रूप से बहुत सोच कर जमीन पर सुखासन में बैठ कर खाने का विधान बनाया है। जमीन पर बैठकर खाने की आदत स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है। आइए, जाने इसकी उपयोगिता के 10 कारण। ●वजन नियंत्रण में रहता है- जब आप सुखासन में बैठते हैं, तो आपका दिमाग अपने आप शांत हो जाता है। वह बेहतर ढंग से भोजन पर ध्यान केंद्रित कर पाता है। ●डाइनिंग टेबल की बजाए सुखासन में बैठ कर खाने पर खाने की गति धीमी होती है। यह पेट और दिमाग को सही समय पर तृप्ति का एहसास करवाता है। इस प्रकार सुखासन में बैठकर खाने पर आप जरूरत से ज्यादा खाने से बचते हैं। ●शरीर को लचीला ब...

-----------------हमारा महान प्राचिन भारत--------------

------ गुजरात के वरिष्ट पत्रकार और विद्वान लेखक श्री गुणवंतभाई शाह का ये लेख हर हिन्दुस्तानी को पढना चाहिए । उन्होंने युरोपियनो की खाल उखाड दी है । समज लो ये एक चोर कथा है । युरोपियन चोरों ने शाहुकार भारत की चीजें कैसे चुरा ली है ये सब बताया गया है । ------ -----------------हमारा महान प्राचिन भारत-------------- -जब अंग्रेज आये तब हमारा भारत सभी क्षेत्रों में अग्रसर था । -चेचक के टिके लगाने की प्रक्रिया हजारों साल से चली आ रही थी । -भारत की अनेक चिकित्सा पध्धति अंग्रेज यहां से उठा ले गये उसमे टिके लगाने की रीत भी ले गए और अपनी खोज है ऐसे प्रचार कर दिया ! -१८८२ में जुनागढ के नावाब के खिलाफ विद्रोह पर उतरे इमानदार कादु मकरानीने ९९ किसानोका नाक काट दिया था तब उस समय के जुनागढ के चीफ मेडिकल ओफिसर त्रिभोवन शेठ और जामनगर के झंडु भट्टने अपनी विद्या से नाक सांध दिये थे । (उस समय प्लास्टिक सर्जरी जैसा कुछ नही था, झंडू भट्ट, झंडू कंपनी के मूल स्थापक थे । वो कंपनी अब बीक गयी है ।) इस हकिकत को कोइ ठुकरा नही सकता की भारतिय प्रजा अति प्राचीन, बौध्धिक, तार्किक, सुसंस्कृत और वैज्ञनिक थी और वो...

'आक्रमण के हथियार बदल गए हैं-12,

'आक्रमण के हथियार बदल गए हैं-12, 'जो देश,समाज बच्चो के मानसिक विकास की पहलू पर नजर नही रखता अपना नैतिक,आर्थिक,विकास खो देता है।उसकी सुरक्षा भगवान् भी नही कर सकते! ,                                                                                      'वृहष्पति,   चेम वाईजमेंन इजराइल के प्रधानमंत्री थे।यह 1949 की बात है।यहूदियों ने हम हिन्दुओ की तरह ही अतीत में बहुत दर्द भुगते थे।कभी समय हो तो "संघरर्षत इजराइल का इतिहास, जरूर पढ़ें..कलेजा काँप उठेगा। हिटलर तो केवल बदनाम ज्यादा हो गया।उसके अलावा भी सारी दुनिया में उनपर पर बहुत अत्याचार हुए हुए है,इंग्लैण्ड,फ्रांस,जर्मनी,प्रशा,स्पेन,रोमन,अरब, ईरानी सभी ने उन्हें सताया है।हिन्दुओ के अलावा लगभग सभी ने उनपर पर हर तरह के दुःख-दर्द दिए थे। फ़िलहाल 1948 में यूएनओ ने उन्हें इजरायल दे दिया।यहूदियों के दो हजार साल के संघर्ष के बा...

आक्रमण के हथियार बदल रहे हैं - भाग 11.

आक्रमण के हथियार बदल रहे हैं - भाग 11.  व्यावसायिक आक्रमण । इन 20 सालो में भारत पर व्यापारिक / आर्थिक / व्यावसायिक आक्रमण जोरों पर चल रहा है।बहुत से सारे छोटे -पारंपरिक काम हाथ से निकल रहे हैं।बहुत सारे धंधे पर वो कब्ज़ा जमा चुके हैं, वे भी देशद्रोही वामपंथियों की सक्रीय सहायता से । मैं कुछ धंधों की गिनती करवाता हूँ। कुछ छूट जाएँ तो आप उन्हें जोड़ लेना मित्रों । सब से अधिक आक्रामक हैं आप पहचान सकते है । देखते हैं कौनसे धंधे हैं जिनपर उन्होने कब्जा किया है । जिन्हें हम कानूनन वैध धंधे कह सकते हैं वे ये हैं : 1.फलों का व्यापार- जूस दुकान 2.इत्र के कच्चे माल का व्यापार। 3.सिलाई का काम। 4.कच्चे मांस का व्यापार। 5.कच्चे चमड़े का व्यापार। 6.जानवरों की चर्बी का व्यापार। 7.कबाड़ी का व्यापार। 8.कूड़ा उठाने का व्यापार। 9.मोटर मेकेनिक का काम। 10.बाइक रिपेयरिंग का कारबार। 11.प्लम्बर, इलेक्ट्रीशियन का कारबार। 12.बड़े शहरों में सैलून, ब्यूटीशियन, हेयर कटिंग का कारबार। 13.महिलाओं के अंडर गारमेंट्स का कारबार। 14.श्रंगार प्रसाधनों का कारबार। 15.चूड़ियों का कारबार। 16.सेक्स की दवाओं का कारबार। 17.इत्र...

🌧 *क्षमा का जादू* 🌧

*Happy Thoughts* 🌧 *क्षमा का जादू* 🌧 *क्षमा माँगने की क्षमता को जानकर हर दुःख से मुक्ति पाएँ* (Say Sorry Within and Be Free) *By सरश्री* *{क्षमा किससे माँगें- इंसाफ़ कर्ता कौन} 2(8)* 🔺 हमारे पूर्वजों ने क्षमा साधना जैसा आवश्यक गुण हमारी संस्कृति और रीति-रिवाजों में पिरोकर आगे बढ़ाया है। घर के बड़े-बुजुर्ग लोग किसी को पत्र लिखते हुए अंत में 'भूल-चूक माफ़ हो' ज़रूर लिखते थे। सुबह उठने के बाद धरती पर पैर रखने से पहले उसे छूकर हाथ माथे पर लगाना उनके संस्कारों में था। किसी पेड़ से पत्ते या फल तोड़ने से पहले उसे हाथ जोड़े जाते थे। किसी पुस्तक या वस्तु को ग़लती से पैर लगने पर उसे छूकर क्षमा माँगने का काम तो शायद आपने भी किया हो। हिंदू धर्म में हर पूजा के बाद 'भूल-चूक माफ़' करने का मंत्र दोहराया जाता है। जैन धर्म में तो क्षमा साधना का विशेष पर्व मनाया जाता है, जो काफ़ी दिनों तक चलता है। जिन परंपराओं का सार्थक उद्देश्य अगली पीढ़ी में सही ढंग से नहीं पहुँच पाया, वे समय के साथ छूटती चली गईं। आज की पीढ़ी को वस्तुओं से क्षमा माँगने का कोई मतलब समझ में नहीं आता। पशु-पक्षियों, प्रकृति...

आखिर कहाँ खो गए भारत के ७ लाख ३२ हज़ार गुरुकुल एवं विज्ञान की २० से अधिक शाखाएं : श्री राजीव दीक्षित जी

आखिर कहाँ खो गए भारत के ७ लाख ३२ हज़ार गुरुकुल एवं विज्ञान की २० से अधिक शाखाएं : श्री राजीव दीक्षित जी बात आती है की भारत में विज्ञान पर इतना शोध किस प्रकार होता था, तो इसके मूल में है भारतीयों की जिज्ञासा एवं तार्किक क्षमता, जो अतिप्राचीन उत्कृष्ट शिक्षा तंत्र एवं अध्यात्मिक मूल्यों की देन है। “गुरुकुल” के बारे में बहुत से लोगों को यह भ्रम है की वहाँ केवल संस्कृत की शिक्षा दी जाती थी जो की गलत है। भारत में विज्ञान की २० से अधिक शाखाएं रही है जो की बहुत पुष्पित पल्लवित रही है जिसमें प्रमुख १. खगोल शास्त्र २. नक्षत्र शास्त्र ३. बर्फ़ बनाने का विज्ञान ४. धातु शास्त्र ५. रसायन शास्त्र ६. स्थापत्य शास्त्र ७. वनस्पति विज्ञान ८. नौका शास्त्र ९. यंत्र विज्ञान आदि इसके अतिरिक्त शौर्य (युद्ध) शिक्षा आदि कलाएँ भी प्रचुरता में रही है। संस्कृत भाषा मुख्यतः माध्यम के रूप में, उपनिषद एवं वेद छात्रों में उच्चचरित्र एवं संस्कार निर्माण हेतु पढ़ाए जाते थे। थोमस मुनरो सन १८१३ के आसपास मद्रास प्रांत के राज्यपाल थे, उन्होंने अपने कार्य विवरण में लिखा है मद्रास प्रांत (अर्थात आज का पूर्ण आंद्रप्रदेश, पू...

आक्रमण के हथियार बदल गए हैं-10

आक्रमण के हथियार बदल गए हैं-10 'मनुष्य अपनी उच्चतम शक्तियों का विकास और प्रदर्शन अपने लोगो के साथ रहकर उनकी सेवा से ही प्राप्त कर सकता है।,                  गिल और वेलेंटाइन।  बचपन मे बहुत सारी कहानी पढ़ी होगी न।हमे क्यो संगठित रहना चाहिए।विघटन कमजोरी है,संगठन मे शक्ति है।प्राथमिक किताबो मे पढ़ाई जाने वाली कोई भी कहानी याद कर लें....तब मैं बात शुरू करता हूँ।     यूरोप-अफ्रीका के कई देश छोटे-छोटे टुकड़ों में रहते हैं।वे एक राष्ट्र बनने की कोशिश करते हैं।उनमें भी विभिन्न जातियां हैं वे आपस में लड़ते हैं।वह देश विकसित नहीं हो सके।यूरोप के वह देश भी विकसित नहीं हो सके जहां हजार जातियां बनाई गई।इस्लाम मे भयानक-खूनी जातीय संघर्ष है।एक किताब वाले 83 देशो मे रहते है।अब जरा अमेरिका को देखिये।उन्होंने पालिसी बनाई,जाति-नस्ल का भेद् मिटा दिया।गोरे-काले का भेद,स्थानीयता का भेद, सब बहुत तेजी से उन्होंने खत्म कर लिया। उन्होंने एक राष्ट्रभाव खड़ा किया। अमरीका का भाव,संविधान का भाव,और अंत: अमेरिका के भाव में,पूर्ण स्वतंत्रतावाद के भाव ने आज...