भारतीय जाती व्यवस्था पर ही टिकी थी भारत की अर्थव्यवस्था
कल मेरे एक मित्र ने लिखा की हम जातिवाद पर कोई चर्चा नहीं करेंगे। मैं समझता हूँ की यह ठीक नहीं रहेगा। चर्चा करने से उसकी खामिया और उपलब्धियों को समझ सकेंगे। उसी विषय पर एक छोटी सी प्रस्तुति : भारतीय जाती व्यवस्था पर ही टिकी थी भारत की अर्थव्यवस्था | भारत प्राचीन काल से व्यापार का केंद्र रहा है | सीन हर्किन के अनुसार सत्रहवी शताब्दी तक भारत और चीन का हिस्सा दुनिया की जीडीपी में लगभग ६० से ७० % तक हुआ करता था | भारत का व्यापार दुनिया के कई देशों में फैला हुआ था | यही नहीं कैम्ब्रिज के इतिहासकार एंगस मेडिसन के अनुसार – १७०० तक दुनिया की आय में भारत का २२.६ % हिस्सा था , जो लगभग सारे यूरोप की आय के हिस्से के बराबर था | पर अंग्रेजों के आने के बाद उनके शासन के बाद १९५२ तक यह हिस्सा घटकर सिर्फ ३.८ % तक रह गया | इसका मुख्य कारण मुख्यतः अंग्रेजों की तथा ईस्ट इंडिया कंपनी की भारत विरोधी नीतियाँ थी , इन सब कारणों से भारत के उद्योग नष्ट होते चले गए तथा किसान विरोधी नीतियों और अतिरिक्त करों से किसान तबाह हो गए | इसी कारण बाद में भारत में अकाल भी पढ़े और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पढ़ी | इसक...