हमारी विरासतों का खो जाना लिपियों का केंद्र भारत
२६०० वर्ष पहले तक १८ प्रकार की लिपियाँ थीं, जिन्हें ब्राह्मी कहा जाता था। भारत की ब्राह्मी लिपि में ४६ मातृ अक्षर थे। (व्याख्याप्रज्ञप्ति,समवाय-सूत्र, प्रज्ञापना-सूत्र,) Chess Board के खानों की सँख्या के बराबर ६४ अक्षर वेद में होते हैं। ६४-४६=१८ अक्षर ऐसे हैं जिनका जनसामान्य उपयोग नहीं करता था। भूर्जपत्र - ओढ़ने बिछाने से लेकर लिखने तक के काम आने वाली जलरोधी वस्तु। चर्चित बख्शाली मेनसक्रिप्ट भोजपत्र पर ही लिखी हुई है। चीन में ६००ई.पू. के खरोष्ठी गान्धारी लिपि में लिखित सैकड़ों पत्र रखे हुये हैं। समय के साथ "लिखित" की प्रतिलिपि तैयार करनी ही पड़ती है और लिपि परिवर्तित होती चली जाती है। भारत में इन पत्रों पर लेखन स्थायी स्याही से किया जाता रहा जिसे बनाने की भी विशेष विधि होती है। पानी से धुलती नहीं। प्रस्तुत चित्र शारदा लिपि में लिखे एक भोजपत्र का स्कैन है। किसी प्राचीन लेख में कोई सामग्री जोड़े जाने हेतु प्रथम आवश्यकता उस पत्र में अतिरिक्त लेखन हेतु 'अवकाश' की है, द्वितीय आवश्यकता इस बात की होती है कि आप उस भाषा व लिपि के पूर्ण जानकार हों और पुराने हस्तलेख की ...