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Showing posts from September 24, 2017

हमारी विरासतों का खो जाना लिपियों का केंद्र भारत

२६०० वर्ष पहले तक १८ प्रकार की लिपियाँ थीं, जिन्हें ब्राह्मी कहा जाता था। भारत की ब्राह्मी लिपि में ४६ मातृ अक्षर थे। (व्याख्याप्रज्ञप्ति,समवाय-सूत्र, प्रज्ञापना-सूत्र,) Chess Board के खानों की सँख्या के बराबर ६४ अक्षर वेद में होते हैं। ६४-४६=१८ अक्षर ऐसे हैं जिनका जनसामान्य उपयोग नहीं करता था। भूर्जपत्र - ओढ़ने बिछाने से लेकर लिखने तक के काम आने वाली जलरोधी वस्तु। चर्चित बख्शाली मेनसक्रिप्ट भोजपत्र पर ही लिखी हुई है। चीन में ६००ई.पू. के खरोष्ठी गान्धारी लिपि में लिखित सैकड़ों पत्र रखे हुये हैं। समय के साथ "लिखित" की प्रतिलिपि तैयार करनी ही पड़ती है और लिपि परिवर्तित होती चली जाती है। भारत में इन पत्रों पर लेखन स्थायी स्याही से किया जाता रहा जिसे बनाने की भी विशेष विधि होती है। पानी से धुलती नहीं। प्रस्तुत चित्र शारदा लिपि में लिखे एक भोजपत्र का स्कैन है। किसी प्राचीन लेख में कोई सामग्री जोड़े जाने हेतु प्रथम आवश्यकता उस पत्र में अतिरिक्त लेखन हेतु 'अवकाश' की है, द्वितीय आवश्यकता इस बात की होती है कि आप उस भाषा व लिपि के पूर्ण जानकार हों और पुराने हस्तलेख की ...

दालचीनी के फायदे और उपयोगिता

दूध तो हम में से कई लोग पीते है फिर भी लोगो को शिकायत रहती है कि उन्हें दूध पचता नही है और ना ही शरीर को लगता है।  आज हम आपको एक ऐसी चीज बतायेंगे जिसे दूध में डालकर पीने से आपका शरीर फौलाद की तरह बन जायेगा। आप बीमारियों से कोसों दूर हो जाएंगे और एक स्वस्थ-निरोगी काया पाएंगे। ये चीज है दालचीनी जिसे हम दैनिक जीवन मे बहुतायत से उपयोग करते है पर इसके कई फायदों से अनजान हैं। दालचीनी को इसके अनोखे गुणों के कारण वंडर स्पाइस भी कहते है। दालचीनी को दूध के साथ मिलाकर पीने से इसके लाभ कई गुना बढ़ जाते है, ये ना केवल आपके शरीर को मजबूत करती है बल्कि सुंदरता भी बढ़ाती है। दालचीनी वाला दूध बनाने के लिए आपको एक ग्लास गर्म दूध में आधा चम्मच दालचीनी अच्छी तरह मिला देना है और इसका गर्म ही सेवन करना है। इस दूध को पीने से आपको कई फायदे होंगे जैसे- ◆आपका ब्लड सुगर लेवल रेगुलेट रहेगा यानी डाइबिटिज के मरीजो के लिए दालचीनी वाला दूध बहुत बहुत फायदेमंद है। ◆ये स्किन और बालों से सम्बंधित हर समस्या को दूर करता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते है जो बालों और स्किन से जुड़ी रोगाणुओ को नष्ट कर दे...

सेंधा नमक के फायदे

सेंधा नमक शरीर मे 97 पोषक तत्वो की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वो की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis)  का अटैक आने का सबसे बढ़ा जोखिम होता है सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है। यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है। समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :- ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है ! क्योंकि कंपनियाँ इसमे अतिरिक्त आओडीन डाल रही है। अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है । दूसरा होता है “industrial iodine”  ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल को पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरिया हम लोगो को आ रही है । ये नमक मानव द्वारा फ़ैक्टरियों मे निर्मित...

सामान्य से विशिष्ट चिकित्सा आयुर्वेद के द्वारा

🙏 *राजीव दीक्षित स्वदेशी भारत* 🙏 👉 ​आंवला​ किसी भी रूप में थोड़ा सा आंवला हर रोज़ खाते रहे, जीवन भर उच्च रक्तचाप और हार्ट फेल नहीं होगा। 👉 ​मेथी​ मेथीदाना पीसकर रख ले। एक चम्मच एक गिलास पानी में उबाल कर नित्य पिए। मीठा, नमक कुछ भी नहीं डाले। इस से आंव नहीं बनेगी, शुगर कंट्रोल रहेगी और जोड़ो के दर्द नहीं होंगे और पेट ठीक रहेगा। 👉 ​नेत्र स्नान​ मुंह में पानी का कुल्ला भर कर नेत्र धोये। ऐसा दिन में तीन बार करे। जब भी पानी के पास जाए मुंह में पानी का कुल्ला भर ले और नेत्रों पर पानी के छींटे मारे, धोये। मुंह का पानी एक मिनट बाद निकाल कर पुन: कुल्ला भर ले। मुंह का पानी गर्म ना हो इसलिए बार बार कुल्ला नया भरते रहे। भोजन करने के बाद गीले हाथ तौलिये से नहीं पोंछे। आपस में दोनों हाथो को रगड़ कर चेहरा व कानो तक मले। इससे आरोग्य शक्ति बढ़ती हैं। नेत्र ज्योति ठीक रहती हैं। 👉 ​शौच​ ऐसी आदत डाले के नित्य शौच जाते समय दाँतो को आपस में भींच कर रखे। इस से दांत मज़बूत रहेंगे, तथा लकवा नहीं होगा। 👉 ​छाछ​ तेज और ओज बढ़ने के लिए छाछ का निरंतर सेवन बहुत हितकर है...

मैकेनिक्स (कायनेटिक्स) एवं यंत्र विज्ञान महर्षि कणाद के वैशेषिक दर्शन में 'कर्म' शब्द का अर्थ motion से है। इसके पांच प्रकार हैं।

मैकेनिक्स (कायनेटिक्स) एवं यंत्र विज्ञान महर्षि कणाद के वैशेषिक दर्शन में 'कर्म' शब्द का अर्थ motion से है। इसके पांच प्रकार हैं। उत्क्षेपण (upward motion) अवक्षेपण (downward motion) आकुञ्चन (Motion due to the release of tensile stress) प्रसारण (Shearing motion) गमन (General Type of motion) विभिन्न कर्म या motion को उसके कारण के आधार पर जानने का विश्लेषण वैशेषिक में किया है। (१) नोदन के कारण-लगातार दबाव (२) प्रयत्न के कारण- जैसे हाथ हिलाना (३) गुरुत्व के कारण-कोई वस्तु नीचे गिरती है (४) द्रवत्व के कारण-सूक्ष्म कणों के प्रवाह से डा. एन.जी. डोंगरे अपनी पुस्तक 'The Physics' में वैशेषिक सूत्रों के ईसा की प्रथम शताब्दी में लिखे गए प्रशस्तपाद भाष्य में उल्लिखित वेग संस्कार और न्यूटन द्वारा १६७५ में खोजे गए गति के नियमों की तुलना करते हैं। प्रशस्तपाद लिखते हैं ‘वेगो पञ्चसु द्रव्येषु निमित्त-विशेषापेक्षात् कर्मणो जायते नियतदिक् क्रिया प्रबंध हेतु: स्पर्शवद् द्रव्यसंयोग विशेष विरोधी क्वचित् कारण गुण पूर्ण क्रमेणोत्पद्यते।‘ अर्थात् वेग या मोशन पांचों द्रव्यों (...

दुर्गा-बोर्जो : आदिवासी इतिहास मिटाने की मिशनरी कवायद

दुर्गा-बोर्जो : आदिवासी इतिहास मिटाने की मिशनरी कवायद By:- आनंद कुमार संथाल जनजाति बिहार, झारखंड के अलावा बंगाल में भी होती है. बीरभूम जिले के सुलंगा गाँव में इनके करीब सौ घर होंगे. छोटा सा गाँव है, संथालों की आबादी भी वही 500-700 जैसी होगी. इतने मामूली से गाँव का जिक्र क्यों? क्योंकि बरसों पहले यहाँ अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका गया था. जैसा कि बाकी भारत में हुआ था यहाँ भी विद्रोह की मुख्य वजह धार्मिक और आर्थिक ही थी. ये वो दौर था, जब बिहार और बंगाल अलग अलग सूबे नहीं थे. एक ही बंगाल हुआ करता था और लोग भाषाई आधार पर सीमायें मानते थे. 1907 के उस दौर में बिहार के एक करपा साहेब को बुला कर यहाँ का जमींदार बना दिया गया और वो लगे किसानों से लगान वसूलने. इस लगान की दो शर्ते थी, या तो सीधे तरीके से लगान दो, या इसाई हो जाओ तो लगान माफ़ किया जायेगा. विरोध करने वालों को या तो मार दिया गया था या पकड़ कर असम में कुली बना कर भेजा गया था. इस नाजायज और जबरन वसूली, ऊपर से धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुर्मू लोग विद्रोह पर उतर आये. जैसा कि बाकी के भारत में होता है और तिलक ने भी...
नमस्कार दोस्तों unemploymentinindia.wordpress.com

महाराज_स्वातितिरुनाल_राम_वर्मा

#महाराज_स्वातितिरुनाल_राम_वर्मा                लेखक : डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह 'संजय' भारत की दक्षिणी-पश्चिमी सीमा पर अवस्थित अरब सागर की उद्दाम तरंगों से आलिंगित, सह्याद्रि पर्वत श्रृंखलाओं से संरक्षित एवं मलयाळम् भाषा की मणिप्रवालम् शैली से अभिव्यंजित, द्वितीया के चन्द्रमा की तरह सुन्दर आकृतिवाले, 38863 वर्ग किलोमीटर विस्तारवाले केरल प्रान्त की कला-संस्कृति का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण इतिहास है। पौराणिक आख्यानों  के अनुसार भगवान् परशुराम ने अपना परशु समुद्र में फेंक दिया था, जिसके कारण उसी आकार की भूमि समुद्र से बाहर निकली और केरल प्रान्त अस्तित्व में आया। यहाँ दसवीं सदी ईसा पूर्व से मानव जाति के निवास के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। केरल का शाब्दिक अभिप्राय समुद्र से निकला हुआ भूभाग होता है। समुद्र और पर्वत के संगम स्थान को भी केरल कहा जाता है। केरल के आधुनिक इतिहास में त्रावणकोर राज्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। 'त्रावणकोर' शब्द की व्युत्पत्ति 'तिरुवितांकूर' से हुई है और 'तिरुवितांकूर' नाम की उत्पत्ति के विषय में कहा जाता है कि केरल के दक्षिणी स...

गर्देज़ के गणेश : दाङ्ग से कुभा तक की यात्रा का रहस्य खोलते हुये

गर्देज़ के गणेश : दाङ्ग से कुभा तक की यात्रा का रहस्य खोलते हुये कुभा, कु +भा। जिस नदी के जल की आभा मटमैली हो, कुभा, आज की काबुल नदी। कुभा से लगे नगर काबुल की वीथियों में घूमता मैं ऋग्वैदिक ऋषियों श्यावाश्व और प्रैयमेध का स्मरण करता हूँ, समय ने इस नगर पर ध्वंस के इतने प्रहार किये हैं कि इसकी कीर्ति कुभा के जल सी मटमैली हो गयी है। मैं, पूर्वाञ्चली यायावर, दिक्काल के आयामों में झूलता सुदूर सात हजार किलोमीटर दूर यूरोप की भोगनगरी में बैठा कभी अपने ही क्षेत्र के कालयात्री से अंतर्जाल पर साक्षात हुआ, यात्रा को एक नया आयाम सा मिल गया! नियति, नियति के गूढ़ चक्र ने ही मुझे काबुल पहुँचा दिया जिसकी कल्पना न तो मैंने कभी की थी, न सुहृदों ने। काबुल प्रवासकाल में ही गणेश चतुर्थी का पर्व था और मैं अपने गाँव लौटने की तिथि की प्रतीक्षा करते हुये अन्यमनस्क सा अंतर्जाल पर भ्रमण कर रहा था कि कालयात्री के एक संदेश पर दृष्टि पड़ी: ईसा की पाँचवीं सदी में शाही राजा खिङ्गल ने वर्तमान अफगानिस्तान के गर्देज़ में ‘महाविनायक’ की प्राण प्रतिष्ठा की। वह प्रतिमा मिलने के पश्चात काबुल ले जाई गई जहाँ यह पामीर सिनेमा ...

कृषि में हमेशा ही अग्रणी रहा है भारत

उत्तम खेती मध्यम बान । करे चाकरी कुक्कर निदान ।। कृषि में हमेशा ही अग्रणी रहा है भारत लेखक - Incredible AJ उदयपुर कृषि विश्वविद्यालय में एक वाक्य लिखा है- ‘हल की नोक से खींची रेखा मानव इतिहास में जंगलीपन और सभ्यता के बीच की विभाजक रेखा है।‘ विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद में कृषि का गौरवपूर्ण उल्लेख मिलता है। अक्षैर्मा दीव्य: कृषिमित्‌ कृषस्व वित्ते रमस्व बहुमन्यमान:। ऋग्वेद- ३४-१३ अर्थात्‌ जुआ मत खेलो, कृषि करो और सम्मान के साथ धन पाओ। कृषिर्धन्या कृषिर्मेध्या जन्तूनां जीवनं कृषि:। (कृषि पाराशर-श्लोक-८) अर्थात्‌ कृषि सम्पत्ति और मेधा प्रदान करती है और कृषि ही मानव जीवन का आधार है। वैदिक काल में ही बीजवपन, कटाई आदि क्रियाएं, हल, हंसिया, चलनी आदि उपकरण तथा गेहूं, धान, जौ आदि अनेक धान्यों का उत्पादन होता था। चक्रीय परती के द्वारा मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने की परम्परा के निर्माण का श्रेय उस समय के कृषकों को जाता है। यूरोपीय वनस्पति विज्ञान के जनक रोम्सबर्ग के अनुसार इस पद्धति को पश्चिम ने बाद के दिनों में अपनाया। कौटिल्य अर्थशास्त्र में मौर्य राजाओं के काल में कृषि, कृषि उत्...

दस महाविद्या रहस्य, नवरात्रि विशेष

दस महाविद्या रहस्य तंत्र के क्षेत्र में सबसे प्रभावी हैं दस महाविद्या। उनके नाम हैं-काली, तारा, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगला, मातंगी और कमला। गुण और प्रकृति के कारण इन सारी महाविद्याओं को दो कुल-कालीकुल और श्रीकुल में बांटा जाता है। साधकों का अपनी रूचि और भक्ति के अनुसार किसी एक कुल की साधना में अग्रसर हों। ब्रह्मांड की सारी शक्तियों की स्रोत यही दस महाविद्या हैं। इन्हें शक्ति भी कहा जाता है। मान्यता है कि शक्ति के बिना देवाधिदेव शिव भी शव के समान हो जाते हैं। भगवान विष्णु की शक्ति भी इन्हीं में निहित हैं। सिक्के का दूसरी पहलू यह भी है कि शक्ति की पूजा शिव के बिना अधूरी मानी जाती है। इसी तरह शक्ति के विष्णु रूप में भी दस अवतार माने गए हैं। किसी भी महाविद्या के पूजन के समय उनकी दाईं ओर शिव का पूजन ज्यादा कल्याणकारी होता है। अनुष्ठान या विशेष पूजन के समय इसे अनिवार्य मानना चाहिए। उनका विवरण निम्न है-------- महाविद्या--------------शिव के रूप 1-काली------------------- महाकाल 2-तारा-------------------- अक्षोभ्य 3-षोडषी------------------ कामेश्वर 4-भुवनेश्वरी---...