संस्कृत को सारी भाषाओं की जननी घोषित किए जाने के पीछे क्या शजिश थी
आइये देखें कि किस तरह ईसाई विद्वानों ने #वर्ण का अर्थ चमड़ी के रंग की नश्ल्भेदी सिद्धान्त की आधारशिला भारत मे रखी ? आर्यों के मनगढ़ंत कहानी का सिलसिला किसने और कैसे शुरू हुआ ?
#संस्कृत को सारी भाषाओं की जननी घोषित किए जाने के पीछे क्या शजिश थी ?
#मिथक और #Mythology किसको कहते है ? ?
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यूरोपीय देशों के भारत पर आधिपत्य जमाने के दौरान गीता और कालिदास द्वारा रचित शकुंतला जैसे ग्रंथों का यूरोपीय भाषाओँ में जब अनुवाद हुवा , और वहां के विद्वानों ने उनको पढ़ा , तो एक नयी ज्योति उनको देखने को मिली ।प्रकृति को समझने की दिशा में, बाइबिल में जिन प्रश्नों के उत्तर उनको नहीं मिल रहे थे, उसके उत्तर खोजने के लिए वहां जो नई चेतना का जन्म हो रहा था , उनके उत्तर इन ग्रंथों ने दिए।
इसके पहले, आप सब इस तथ्य से विज्ञ हैं कि 1600 AD के आस पास ब्रूनो नामक वैज्ञानिक को चर्च ने 7 साल के कारावास के बाद , आग में जलाकर मार डालने की सजा दी थी, सिर्फ इस बात के लिए ,कि ब्रूनो ने कहा कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी उसका चक्कर लगाती है इसको heliocentric theory के नाम से जाना जाता रहा है। (भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने ग्रंथो में न जाने कितने साल पहले इसका वर्णन किया हुवा है)।
खैर बाद में ब्रूनो को "विज्ञानं के शहीद " की उपाधि दी गयी।
इसीतरह galiliyo को भी इसी वैज्ञानिक तथ्य को आगे बढाने के कारण आजीवन गृह कैद दिया गया।
अब मजे की बात 2000 AD जब ब्रनो का 400 साल की वर्षी मनाई गयी, और यूरोप के शीर्ष चर्च के पादरी से पूंछा गया कि क्या चर्च ब्रूनो की हत्या को पश्चाताप करना चाहता है , तो उसने कहा कि -एकदम नहीं , ब्रूनो को अपने बचाव में अपनी बात कहने का पूरा मौका दिया गया।
अंत में बाइबिल ये मानती है कि धरती स्थिर है, और सूर्य चलायमान है।
अब आते हैं बाइबिल के कुछ और तथ्यों पर जिनको आधार बनाकर भारत के ग्रन्थों का बाइबिल के पात्रों से जोड़ने के प्रयासों पर।
बाइबिल में Genesis चैप्टर में cosmology के अनुसार जब महान बाढ़ (deludge) आई तो गॉड ने Noah से (इस्लाम में नूह) से कहा कि तुम दुनिया के जितने जीव है उनका एक जोड़ा ले लो और एक नाव बनाओ (ark ऑफ़ Noah) और इस नाव में सबको सुरक्षित रख कर चले जाओ , जिससे इस प्रलय के बाद दुनिया फिर से आबाद हो सके।
Noah ने वही किया और दुनिया के सारे जीव दुबारा आबाद हुए।
Noah के तीन पुत्र थे -Jepheth Shem और Ham।
प्रलय ख़त्म होने के बाद गॉड ने फिर Noah से कहा कि कुछ खेती बाड़ी करो।
उन्होंने अंगूर की खेती की और उससे शराब बनाई। और शराब पीकर किसी दिन लापरवाही में निर्वस्त्र हो गए,तो Ham ने उनकी दशा के बारे में बाकी दोनों भाइयों को बताया ,और साथ में उसको हंसी आ गयी।
इस पर noah ने Ham को curse किया कि तुम्हारे इस अपराध के लिए तुम और तुमसे उत्पन्न संतानो की संताने,तुम्हारे दोनों भाइयों के वंशजों के गुलाम होंगे ,- (Perpetual servitude )
अब इसका जिक्र क्यों ??
क्योंकि बाइबिल के अनुसार पूरी दुनिया Noah के इन्ही तीन पुत्रों की वंशजों से ही बसने वाली है।
"God blessed Noah and his sons , and blessed unto them,be fruitful and multiply, and replenish the earth "9.1Genesis.
क्योंकि आने वाले वर्षों में जब यूरोपियन क्रिस्चियन पूरी दुनिया पर कब्ज़ा करने वाले थे, गुलाम बनाये हुए देशो को Ham के वंशजों की संताने मानकर उनकी गुलामी को biblicle फलसफा के अनुसार उचित ठहराने वाले है।
बाद में उन्होंने भारत और अफ्रीका के लोगों को Hamatic
अरबी लोगों को Semetic
बाकी white यूरोपियन Jepheth के वंशज।
ये मत्वपूर्ण इसलिए भी है कि आगे जब हम सवर्ण और अवर्ण (असवर्ण) की बात करेंगे तो समझ में आएगा की ,वर्ण का मतलब चमड़ी के रंग से है , जिन्होंने इस सबंध की व्याख्या की उसका सम्बन्ध संस्कृत ग्रंथो से नहीं बल्कि उसकी जड़ें बाइबिल में छुपी है।
#विल्लियम_जोंस ने जब १८वॆ शताब्दी के अंत में संस्कृत की तुलना लैटिन और ग्रीक से किया और उसको उन भाषाओँ से उन्नत घोषित किया, और फिर बाद में ये प्रचारित किया कि -"संस्कृत सारी भाषाओँ कि जननी है ,,,जिसको आज भी बहुतायत भारतीय जनमानस गर्व के साथ स्वीकार करता है, तो वे उस साजिश को नहीं समझ पाते कि इस घोषणा के पीछे एक ईसाईयत मानसिकता काम कर रही थी /
क्या है वो ईसाईयत मानसिकता ??
बाइबिल में दुनिया की विभिन्न भाषाओँ के उत्पत्ति के बारे में GENESIS में जिक्र है, जिसमे लिखा है की बाढ़ या महाप्रलय के बाद जब संगठित ह्यूमैनिटी जब पूर्व से निकलकर आगे बढ़ी , तो गॉड ने उनसे कहा कि एक विशाल टावर बनाओ जिसकी ऊंचाई स्वर्ग तक हो/ लोगों ने जब उस टावर को बनाया इसको बाइबिल में टावर ऑफ़ बेबल (स्वर्ग का द्वार) कहा गया है ,तो गॉड फिर आये और उन्होंने कहा कि तुम लोग एक ही भाषा बोलते हो , लेकिन जब पहले जब गॉड ने बोल दिया कि जेफेथ सैम और हम कि संतानों को पूरी दुनिया में बसना है ,तो वो उन जगहों कि अलग भाषा को समझेगे कैसे ,,इसलिए गॉड ने विभिन्न भाषाएँ बनाई /
अब बाइबिल के इस तथ्य को सच साबित करने के लिए संस्कृत एकदम उचित भाषा थी ,जिसको दुनिया कि समस्त भाषाओँ कि जननी बताना आवश्यक था/ और यही बात जोंस ने अपने निष्कर्षों में घोषित किया /
अब एक बात ये थी कि ये टावर बेबीलोन के आसपास या ईरान के आसपास बनाया गया था , इसलिए संस्कृत को इंडोईरानियन ,और संस्कृत बोलने वाले आर्यों को इंडोईरानियन रेस घोषित किया जाना लाजिमी था /
भारत मे पहले आक्रांता मुसलमान तुर्क और मुग़लों ने भारत के लगभग 40,000 बड़े और सम्मानित मन्दिरो को तोड़ा।
उदाहरण अनेको है ।
लेकिन जो स्वतः संज्ञान में दिखते है वे है अयोध्या काशी और मथुरा के राम , शंकर और श्री कृष्ण के मंदिर।
इन बर्बर आक्रांताओं वे सारे अत्याचार किये जो पाक कुरान और हदीश ने काफिरों के लिए निर्देशित किये हैं ।
फिंर आये सात समुद्र पार से ईसाई बर्बर डकैत।
उन्होंने यही काम गोवा में किया।
लेकिन जब बंगाल में उन्होंने टैक्स कलेक्शन/Extraction का जिम्मा लिया तो उन्होंने हर उस क्षेत्र को टटोला जहां से ये लूट संभव थी ।
और जिसको वे लूट कर अपने आप को आर्थिक रूप से समृद्ध कर सकते थे ।
उदाहरण स्वरूप रेगुलेशन 4 के कानून के तहत उन्होंने पहले पूरी (गोवर्धन पीठ) , जिसकी स्थापना आदि शंकर ने किया था, वहां पहले आने वाले तीर्थ यात्रियों पर टैक्स वसूलेने का कानून बनाया।
10 रुपये, 6 रुपये, 5 रुपये और 3 रुपये, और दो रुपये।
उन्ही में एक वर्ग का उन्हीने मंदिर में प्रवेश वर्जित किया - उनका संज्ञा थी - #पुंज_तीर्थी या #कंगाल।
इन्ही पुंज तीर्थीयों का नाम लेते हुए इस रेगुलेशन के लागू करने के 125 वर्ष बाद 1932 में डॉ आंबेडकर ने ये लिखा कि शूद्रों का मंदिर में प्रवेश वर्जित किया गया था।
किसने किया था ? इस पर विचार करना अम्बेडकर जी ने उचित नही समझा।
इसी रेगुलेशन को आगे Endowment नामक भ्रामक शब्द का प्रयोग करते हुए टेम्पल एंडोमेंट एक्ट बनाया गया जिसके तहत भारत के पूरी सहित हजारों मंदिरों में भगवान को चढ़ाए गए धन को अपने कब्जे में कर इंग्लैंड भेजा जाता रहा।
और शिक्षा और संस्कृति के केंद्र मन्दिरो को कमजोर किया जाता रहा।
लेकिन स्वतंत्र भारत में टेम्पल एंडोमेंट एक्ट क्यों लागू है ?
क्यों स्वतंत्र भारत में आपके दान किये गए पैसों को सरकार पिछले 69 साल से हड़पा जा रहा है ?
क्यों आप के दान दिए गए धन का अल्पशंख्यको को दिया जा रहा है ?
क्या हिंदुओं ने आजादी की लड़ाई इसीलिए लड़ी थी स्वतंत्र भारत सरकार उनके श्रद्धा के केंद्र में आपके दान किय्ये गए पैसे को कसाइयों और ईसाइयो के हित साधने में खर्च करे ?
हर हर महादेव
#नोट : इसी एंडोमेंट एक्ट के कारण सरकार के मंदिरों की संपत्ति पर कब्जे का एक घिनौनी तस्वीर तब सामने आती है जब रोबर बढेरा और उसकी सास और ससिया मौसी हजारो वर्ष पुरानी मूर्तियों को भारत से चुराकर इटली की दुकान में बेंची जाती हैं।
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डॉ त्रिभुवन सिंह
#संस्कृत को सारी भाषाओं की जननी घोषित किए जाने के पीछे क्या शजिश थी ?
#मिथक और #Mythology किसको कहते है ? ?
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यूरोपीय देशों के भारत पर आधिपत्य जमाने के दौरान गीता और कालिदास द्वारा रचित शकुंतला जैसे ग्रंथों का यूरोपीय भाषाओँ में जब अनुवाद हुवा , और वहां के विद्वानों ने उनको पढ़ा , तो एक नयी ज्योति उनको देखने को मिली ।प्रकृति को समझने की दिशा में, बाइबिल में जिन प्रश्नों के उत्तर उनको नहीं मिल रहे थे, उसके उत्तर खोजने के लिए वहां जो नई चेतना का जन्म हो रहा था , उनके उत्तर इन ग्रंथों ने दिए।
इसके पहले, आप सब इस तथ्य से विज्ञ हैं कि 1600 AD के आस पास ब्रूनो नामक वैज्ञानिक को चर्च ने 7 साल के कारावास के बाद , आग में जलाकर मार डालने की सजा दी थी, सिर्फ इस बात के लिए ,कि ब्रूनो ने कहा कि सूर्य स्थिर है और पृथ्वी उसका चक्कर लगाती है इसको heliocentric theory के नाम से जाना जाता रहा है। (भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने ग्रंथो में न जाने कितने साल पहले इसका वर्णन किया हुवा है)।
खैर बाद में ब्रूनो को "विज्ञानं के शहीद " की उपाधि दी गयी।
इसीतरह galiliyo को भी इसी वैज्ञानिक तथ्य को आगे बढाने के कारण आजीवन गृह कैद दिया गया।
अब मजे की बात 2000 AD जब ब्रनो का 400 साल की वर्षी मनाई गयी, और यूरोप के शीर्ष चर्च के पादरी से पूंछा गया कि क्या चर्च ब्रूनो की हत्या को पश्चाताप करना चाहता है , तो उसने कहा कि -एकदम नहीं , ब्रूनो को अपने बचाव में अपनी बात कहने का पूरा मौका दिया गया।
अंत में बाइबिल ये मानती है कि धरती स्थिर है, और सूर्य चलायमान है।
अब आते हैं बाइबिल के कुछ और तथ्यों पर जिनको आधार बनाकर भारत के ग्रन्थों का बाइबिल के पात्रों से जोड़ने के प्रयासों पर।
बाइबिल में Genesis चैप्टर में cosmology के अनुसार जब महान बाढ़ (deludge) आई तो गॉड ने Noah से (इस्लाम में नूह) से कहा कि तुम दुनिया के जितने जीव है उनका एक जोड़ा ले लो और एक नाव बनाओ (ark ऑफ़ Noah) और इस नाव में सबको सुरक्षित रख कर चले जाओ , जिससे इस प्रलय के बाद दुनिया फिर से आबाद हो सके।
Noah ने वही किया और दुनिया के सारे जीव दुबारा आबाद हुए।
Noah के तीन पुत्र थे -Jepheth Shem और Ham।
प्रलय ख़त्म होने के बाद गॉड ने फिर Noah से कहा कि कुछ खेती बाड़ी करो।
उन्होंने अंगूर की खेती की और उससे शराब बनाई। और शराब पीकर किसी दिन लापरवाही में निर्वस्त्र हो गए,तो Ham ने उनकी दशा के बारे में बाकी दोनों भाइयों को बताया ,और साथ में उसको हंसी आ गयी।
इस पर noah ने Ham को curse किया कि तुम्हारे इस अपराध के लिए तुम और तुमसे उत्पन्न संतानो की संताने,तुम्हारे दोनों भाइयों के वंशजों के गुलाम होंगे ,- (Perpetual servitude )
अब इसका जिक्र क्यों ??
क्योंकि बाइबिल के अनुसार पूरी दुनिया Noah के इन्ही तीन पुत्रों की वंशजों से ही बसने वाली है।
"God blessed Noah and his sons , and blessed unto them,be fruitful and multiply, and replenish the earth "9.1Genesis.
क्योंकि आने वाले वर्षों में जब यूरोपियन क्रिस्चियन पूरी दुनिया पर कब्ज़ा करने वाले थे, गुलाम बनाये हुए देशो को Ham के वंशजों की संताने मानकर उनकी गुलामी को biblicle फलसफा के अनुसार उचित ठहराने वाले है।
बाद में उन्होंने भारत और अफ्रीका के लोगों को Hamatic
अरबी लोगों को Semetic
बाकी white यूरोपियन Jepheth के वंशज।
ये मत्वपूर्ण इसलिए भी है कि आगे जब हम सवर्ण और अवर्ण (असवर्ण) की बात करेंगे तो समझ में आएगा की ,वर्ण का मतलब चमड़ी के रंग से है , जिन्होंने इस सबंध की व्याख्या की उसका सम्बन्ध संस्कृत ग्रंथो से नहीं बल्कि उसकी जड़ें बाइबिल में छुपी है।
#विल्लियम_जोंस ने जब १८वॆ शताब्दी के अंत में संस्कृत की तुलना लैटिन और ग्रीक से किया और उसको उन भाषाओँ से उन्नत घोषित किया, और फिर बाद में ये प्रचारित किया कि -"संस्कृत सारी भाषाओँ कि जननी है ,,,जिसको आज भी बहुतायत भारतीय जनमानस गर्व के साथ स्वीकार करता है, तो वे उस साजिश को नहीं समझ पाते कि इस घोषणा के पीछे एक ईसाईयत मानसिकता काम कर रही थी /
क्या है वो ईसाईयत मानसिकता ??
बाइबिल में दुनिया की विभिन्न भाषाओँ के उत्पत्ति के बारे में GENESIS में जिक्र है, जिसमे लिखा है की बाढ़ या महाप्रलय के बाद जब संगठित ह्यूमैनिटी जब पूर्व से निकलकर आगे बढ़ी , तो गॉड ने उनसे कहा कि एक विशाल टावर बनाओ जिसकी ऊंचाई स्वर्ग तक हो/ लोगों ने जब उस टावर को बनाया इसको बाइबिल में टावर ऑफ़ बेबल (स्वर्ग का द्वार) कहा गया है ,तो गॉड फिर आये और उन्होंने कहा कि तुम लोग एक ही भाषा बोलते हो , लेकिन जब पहले जब गॉड ने बोल दिया कि जेफेथ सैम और हम कि संतानों को पूरी दुनिया में बसना है ,तो वो उन जगहों कि अलग भाषा को समझेगे कैसे ,,इसलिए गॉड ने विभिन्न भाषाएँ बनाई /
अब बाइबिल के इस तथ्य को सच साबित करने के लिए संस्कृत एकदम उचित भाषा थी ,जिसको दुनिया कि समस्त भाषाओँ कि जननी बताना आवश्यक था/ और यही बात जोंस ने अपने निष्कर्षों में घोषित किया /
अब एक बात ये थी कि ये टावर बेबीलोन के आसपास या ईरान के आसपास बनाया गया था , इसलिए संस्कृत को इंडोईरानियन ,और संस्कृत बोलने वाले आर्यों को इंडोईरानियन रेस घोषित किया जाना लाजिमी था /
भारत मे पहले आक्रांता मुसलमान तुर्क और मुग़लों ने भारत के लगभग 40,000 बड़े और सम्मानित मन्दिरो को तोड़ा।
उदाहरण अनेको है ।
लेकिन जो स्वतः संज्ञान में दिखते है वे है अयोध्या काशी और मथुरा के राम , शंकर और श्री कृष्ण के मंदिर।
इन बर्बर आक्रांताओं वे सारे अत्याचार किये जो पाक कुरान और हदीश ने काफिरों के लिए निर्देशित किये हैं ।
फिंर आये सात समुद्र पार से ईसाई बर्बर डकैत।
उन्होंने यही काम गोवा में किया।
लेकिन जब बंगाल में उन्होंने टैक्स कलेक्शन/Extraction का जिम्मा लिया तो उन्होंने हर उस क्षेत्र को टटोला जहां से ये लूट संभव थी ।
और जिसको वे लूट कर अपने आप को आर्थिक रूप से समृद्ध कर सकते थे ।
उदाहरण स्वरूप रेगुलेशन 4 के कानून के तहत उन्होंने पहले पूरी (गोवर्धन पीठ) , जिसकी स्थापना आदि शंकर ने किया था, वहां पहले आने वाले तीर्थ यात्रियों पर टैक्स वसूलेने का कानून बनाया।
10 रुपये, 6 रुपये, 5 रुपये और 3 रुपये, और दो रुपये।
उन्ही में एक वर्ग का उन्हीने मंदिर में प्रवेश वर्जित किया - उनका संज्ञा थी - #पुंज_तीर्थी या #कंगाल।
इन्ही पुंज तीर्थीयों का नाम लेते हुए इस रेगुलेशन के लागू करने के 125 वर्ष बाद 1932 में डॉ आंबेडकर ने ये लिखा कि शूद्रों का मंदिर में प्रवेश वर्जित किया गया था।
किसने किया था ? इस पर विचार करना अम्बेडकर जी ने उचित नही समझा।
इसी रेगुलेशन को आगे Endowment नामक भ्रामक शब्द का प्रयोग करते हुए टेम्पल एंडोमेंट एक्ट बनाया गया जिसके तहत भारत के पूरी सहित हजारों मंदिरों में भगवान को चढ़ाए गए धन को अपने कब्जे में कर इंग्लैंड भेजा जाता रहा।
और शिक्षा और संस्कृति के केंद्र मन्दिरो को कमजोर किया जाता रहा।
लेकिन स्वतंत्र भारत में टेम्पल एंडोमेंट एक्ट क्यों लागू है ?
क्यों स्वतंत्र भारत में आपके दान किये गए पैसों को सरकार पिछले 69 साल से हड़पा जा रहा है ?
क्यों आप के दान दिए गए धन का अल्पशंख्यको को दिया जा रहा है ?
क्या हिंदुओं ने आजादी की लड़ाई इसीलिए लड़ी थी स्वतंत्र भारत सरकार उनके श्रद्धा के केंद्र में आपके दान किय्ये गए पैसे को कसाइयों और ईसाइयो के हित साधने में खर्च करे ?
हर हर महादेव
#नोट : इसी एंडोमेंट एक्ट के कारण सरकार के मंदिरों की संपत्ति पर कब्जे का एक घिनौनी तस्वीर तब सामने आती है जब रोबर बढेरा और उसकी सास और ससिया मौसी हजारो वर्ष पुरानी मूर्तियों को भारत से चुराकर इटली की दुकान में बेंची जाती हैं।
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डॉ त्रिभुवन सिंह
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