Historical_Facts ये "तथाकथित आर्य" कहां से आये थे?
#Historical_Facts लंबी पोस्ट है, जिज्ञासु मन ही पढे
★ ये "तथाकथित आर्य" कहां से आये थे?
ये विदेशी आर्य, थ्यौरी कब जन्मी और प्राथमिकता से ईरान तथा मध्य एशिया से ही क्यों जुडी है जहाँ से इस्लाम आया, आक्रमणकारी मुसलमान आये ..कहने का तात्पर्य है कि भारत में सर्वाधिक कुख्यात लुटेरे, हत्यारे, शिया आये ...उसी क्षेत्र विशेष से क्यों जुडी है?
ये आर्य विदेशी और मूलनिवासी नामक दंतकथा को सिर्फ #वा_क_ई और कसाई ही काम क्यों लेते है , #M_O_D हेतु ही ये दंतकथा सी थ्यौरी बाहर क्यों आती है वो भी जब जब कसाई के हित पर चोट के अंदेशे हो तब ही ... साईबेरियाई और ईरान की तो सीमा ही नहीं जुडती, और ना ही यूरेशिया और ईरान की सीमा जुडती है लेकिन हर बार धिक्कारे जाते आर्यो के मामले में जबरदस्ती तुर्क, ईरान - फारस को किसने जोडा , जोडने को जोडा, लेकिन तुर्क, ईरान / Persia से क्यों ..खास कर इस्लामिक साम्राज्य के आखिरी दिनों में ही ..???
★ इतिहासकार के गुप्त बाल बनते #इतिहास_हत्याकार इसे ब्रिटिश से जोडते हैं, जिसमें प्रमुख उदाहरण दिया जाता है न्याय व्यवस्था का,,यानि, भारत पर अधिपत्य जमाते ब्रिटिश ने जब अपनी ब्रिटिश न्यायिक व्यवस्था भारत पर लादनी चाही तो पाया कि यहाँ भारत में पहले से न्याय व्यवस्था मौजूद है, जो उनके लिये अनजानी थी (तैमूर, नादिर, गजनवी, खिलजी, गुलाम, सैय्यद, तुर्क ब्रिटेन नहीं पहुँच सके थे, सो, ब्रिटिश अनजान थे, जबकि जहाँगीर के जमाने से भारत पहुँच कर इतिहास यात्रा वृतांत रूप में लिखे जाने के दावे हैं।)
और ब्रिटिश / यूरोपियन ने वो व्यवस्था सीखने हेतु संस्कृत सीखने का ड्रामा किया .. (जबकि तत्कालीन समय में चहुंओर नवाबों, निजामों, सुल्तानों का ही राज प्रमुख था, किंतु जनसंख्या हिन्दू बहुसंख्यक ही थी)
वैश्विक इतिहास के अनुसार ये काम किन्ही #सर_विलियम_जोन्स के द्वारा शुरू किया गया जो फोर्ट विलियम बंगाल में विधि महकमे के तहत तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के कनिष्ठ न्यायाधीश कहे जाते हैं और 1784 ई. में जिन्होने #वॉरेन_हेस्टिन्ग्स के साथ एशियाटिक सोसाईटी की स्थापना भी की ...
★★ अब गौर किया जाये तो प्रारंभिक विश्लेषण में ही पूरी पोलमपोल खुल जाती है तथाकथित Arya Invasion Theory की बुनियाद की ही .. तत्कालीन बंगाल का गवर्नर था वॉरेन हेस्टिन्ग्स, जी हां, "वारेन हेस्टिन्ग्स" - वर्तमान भारत की 'संगठित' न्याय व्यवस्था का जनक और पितामह ,,भारत में वर्तमानचीन समय में प्रचलित और मौजूद सभी तरह के कुशल - अर्ध कुशल और अकुशल विशेषज्ञों एवं कर्मचारियों से लबालब भरी सरकारों के शासन - प्रशासन में हर कार्य के लिये "ठेका प्रणाली" भी ब्रिटिशकाल की देन है और इसकी खोज करने वाली 'ईस्ट इंडिया कंपनी' थी!
1760 से लेकर 1795 तक वारेन हेस्टिन्ग्स ने और ब्रिटिश ने 'न्याय सुधारों' के अन्तर्गत ज़मीदारों से न्यायिक अधिकार छीन लिया था, उस के द्वारा स्थापित की गई न्याय व्यवथा मुग़ल प्रणाली पर आधारित थी,(यानि आज की प्रचलित 'आधुनिक व निरंकुश' न्याय प्रणाली की स्थापना हुई थी) 1772 ई. में उसने प्रत्येक ज़िले में एक फ़ौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की, दीवानी न्यायालय कलेक्टरों के अधीन थे ,आज के समय में भी लगभग वही प्रणाली कायम है, हेस्टिन्ग्स की योजना के अंतर्गत निम्न प्रकार के न्यायालय स्थापित किए गए थे जिनका पहला काम कंपनी और बाशिंदों का ही हित रक्षण था -
1) लघुवाद न्यायालय
2) मुफस्सल दीवानी अदालत
3) मुफस्सल निजामत अदालत
4) सदर दीवानी अदालत
5) सदर निजामत अदालत
ये न्यायालय सभी अपराधिक मामलों की अपीलें सुनते थे "जिस की अध्यक्षता नवाब द्वारा नियुक्त दरोगा" ही करता था और दरोगा की सहायता के लिए 'प्रधान काजी, प्रधान मुफ्ती और तीन मौलवी' नियुक्त किए जाते थे, यानि हिंदू विधि से न्याय और न्याय में हिंदू का लगभग कोई स्थान था ही नहीं, और उनके उपर सुप्रीम कोर्ट (ब्रिटिश विधि के न्याय बाजार) के कनिष्ठ और वरिष्ठ न्यायधीश होते थे ,और बंगाल के अधिकांश जमींदार और नवाब #शिया_मुसलमान थे, सिराजुद्दौला शिया था, मीर जाफर शिया था,टीपू सुल्तान शिया था!
#Note : सो अब पुन: खोजिये, सोचिये कि ईरान -मध्य एशिया - इस्लाम - इस्लामिक इतिहास सहित सुसरी तथाकथित आर्य थ्यौरी का परस्परता में संबंध क्या है..??
#जिज्ञासाऐं
By:- डॉ सुधीर व्यास
★ ये "तथाकथित आर्य" कहां से आये थे?
ये विदेशी आर्य, थ्यौरी कब जन्मी और प्राथमिकता से ईरान तथा मध्य एशिया से ही क्यों जुडी है जहाँ से इस्लाम आया, आक्रमणकारी मुसलमान आये ..कहने का तात्पर्य है कि भारत में सर्वाधिक कुख्यात लुटेरे, हत्यारे, शिया आये ...उसी क्षेत्र विशेष से क्यों जुडी है?
ये आर्य विदेशी और मूलनिवासी नामक दंतकथा को सिर्फ #वा_क_ई और कसाई ही काम क्यों लेते है , #M_O_D हेतु ही ये दंतकथा सी थ्यौरी बाहर क्यों आती है वो भी जब जब कसाई के हित पर चोट के अंदेशे हो तब ही ... साईबेरियाई और ईरान की तो सीमा ही नहीं जुडती, और ना ही यूरेशिया और ईरान की सीमा जुडती है लेकिन हर बार धिक्कारे जाते आर्यो के मामले में जबरदस्ती तुर्क, ईरान - फारस को किसने जोडा , जोडने को जोडा, लेकिन तुर्क, ईरान / Persia से क्यों ..खास कर इस्लामिक साम्राज्य के आखिरी दिनों में ही ..???
★ इतिहासकार के गुप्त बाल बनते #इतिहास_हत्याकार इसे ब्रिटिश से जोडते हैं, जिसमें प्रमुख उदाहरण दिया जाता है न्याय व्यवस्था का,,यानि, भारत पर अधिपत्य जमाते ब्रिटिश ने जब अपनी ब्रिटिश न्यायिक व्यवस्था भारत पर लादनी चाही तो पाया कि यहाँ भारत में पहले से न्याय व्यवस्था मौजूद है, जो उनके लिये अनजानी थी (तैमूर, नादिर, गजनवी, खिलजी, गुलाम, सैय्यद, तुर्क ब्रिटेन नहीं पहुँच सके थे, सो, ब्रिटिश अनजान थे, जबकि जहाँगीर के जमाने से भारत पहुँच कर इतिहास यात्रा वृतांत रूप में लिखे जाने के दावे हैं।)
और ब्रिटिश / यूरोपियन ने वो व्यवस्था सीखने हेतु संस्कृत सीखने का ड्रामा किया .. (जबकि तत्कालीन समय में चहुंओर नवाबों, निजामों, सुल्तानों का ही राज प्रमुख था, किंतु जनसंख्या हिन्दू बहुसंख्यक ही थी)
वैश्विक इतिहास के अनुसार ये काम किन्ही #सर_विलियम_जोन्स के द्वारा शुरू किया गया जो फोर्ट विलियम बंगाल में विधि महकमे के तहत तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के कनिष्ठ न्यायाधीश कहे जाते हैं और 1784 ई. में जिन्होने #वॉरेन_हेस्टिन्ग्स के साथ एशियाटिक सोसाईटी की स्थापना भी की ...
★★ अब गौर किया जाये तो प्रारंभिक विश्लेषण में ही पूरी पोलमपोल खुल जाती है तथाकथित Arya Invasion Theory की बुनियाद की ही .. तत्कालीन बंगाल का गवर्नर था वॉरेन हेस्टिन्ग्स, जी हां, "वारेन हेस्टिन्ग्स" - वर्तमान भारत की 'संगठित' न्याय व्यवस्था का जनक और पितामह ,,भारत में वर्तमानचीन समय में प्रचलित और मौजूद सभी तरह के कुशल - अर्ध कुशल और अकुशल विशेषज्ञों एवं कर्मचारियों से लबालब भरी सरकारों के शासन - प्रशासन में हर कार्य के लिये "ठेका प्रणाली" भी ब्रिटिशकाल की देन है और इसकी खोज करने वाली 'ईस्ट इंडिया कंपनी' थी!
1760 से लेकर 1795 तक वारेन हेस्टिन्ग्स ने और ब्रिटिश ने 'न्याय सुधारों' के अन्तर्गत ज़मीदारों से न्यायिक अधिकार छीन लिया था, उस के द्वारा स्थापित की गई न्याय व्यवथा मुग़ल प्रणाली पर आधारित थी,(यानि आज की प्रचलित 'आधुनिक व निरंकुश' न्याय प्रणाली की स्थापना हुई थी) 1772 ई. में उसने प्रत्येक ज़िले में एक फ़ौजदारी तथा दीवानी अदालतों की स्थापना की, दीवानी न्यायालय कलेक्टरों के अधीन थे ,आज के समय में भी लगभग वही प्रणाली कायम है, हेस्टिन्ग्स की योजना के अंतर्गत निम्न प्रकार के न्यायालय स्थापित किए गए थे जिनका पहला काम कंपनी और बाशिंदों का ही हित रक्षण था -
1) लघुवाद न्यायालय
2) मुफस्सल दीवानी अदालत
3) मुफस्सल निजामत अदालत
4) सदर दीवानी अदालत
5) सदर निजामत अदालत
ये न्यायालय सभी अपराधिक मामलों की अपीलें सुनते थे "जिस की अध्यक्षता नवाब द्वारा नियुक्त दरोगा" ही करता था और दरोगा की सहायता के लिए 'प्रधान काजी, प्रधान मुफ्ती और तीन मौलवी' नियुक्त किए जाते थे, यानि हिंदू विधि से न्याय और न्याय में हिंदू का लगभग कोई स्थान था ही नहीं, और उनके उपर सुप्रीम कोर्ट (ब्रिटिश विधि के न्याय बाजार) के कनिष्ठ और वरिष्ठ न्यायधीश होते थे ,और बंगाल के अधिकांश जमींदार और नवाब #शिया_मुसलमान थे, सिराजुद्दौला शिया था, मीर जाफर शिया था,टीपू सुल्तान शिया था!
#Note : सो अब पुन: खोजिये, सोचिये कि ईरान -मध्य एशिया - इस्लाम - इस्लामिक इतिहास सहित सुसरी तथाकथित आर्य थ्यौरी का परस्परता में संबंध क्या है..??
#जिज्ञासाऐं
By:- डॉ सुधीर व्यास
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