राजनीति राष्ट्रनीति और राजनीतिक विश्लेषकों का राजनेताओं का गहरा पन
राजनीति
राजनीति अर्थात जो राज के लिये नीति और नियम बनाते हो।
राष्ट्रनीति
अर्थात जो राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र के शक्तिशाली रूप प्रदान करे सभी क्षेत्रों में न कि कुछ भी गलत हो राष्ट्र में तो राजनीति के तरह निंदा निंदा निंदा ओर फिर निंदा????????????????????????????????•••
राहनीतिक विश्लेषक
वह व्यक्ति जो राजनीति और राजनेताओं के कामो का विवेचना करे। न कि उसी के बारे हमेशा लिखे आज भारत की दशा यह है कि कोई यदि एक या लगातार चुनाव जीतता है तो वह सहज है पर वह जो राष्ट्र के लिये गलत किया हो उसे कोई विवेचना नही करता
राजनेताओं का गहरापन
आखिर भारत नही बल्कि इंडिया के राजनेताओं को क्या हो गया जो वह हमेशा विदोशी ताकतों के सामने सरंडर कर देता हूं क्या वह इतना मानसिक करजोरी के हालात में है
पता नही वह क्यों भूल जाता है कि हम125करोड़ है
यदी हम किसी का बहिष्कार कर दे तो उसका जिन दूभर हो जाएगा।
क्या हम इतना सोच सकते है कि हम एक शक्तिशाली राष्ट्र में रहते है नही क्यों कि हमे राष्ट्रनायक नही बल्कि राज नेता मिलता हसि जिसे बस ओर बस कुर्सी यानी सत्ता चाहिये।
जिसे सत्ता प्रेम है वह देश के लिये कुछ करन्हि सकता ।
क्या हम यह राजनेताओं की ही गलती मान ले नही जब तक जनता उसके साथ नही हसि वह गलत नही हो सकता क्यों कि हमर डंसज सज पदों लिखो नोकरी करो घर चलाओ में व्यस्त हसि देश मे क्या गलत हो रहा कोई माता पिता स्पंद बच्चे को सींचने नही देता जिस दिन यह व्यवस्था बदलेगी तभी समाज राज्य राष्ट्र शक्तिशाली बनेगा।
धन्यवाद
सुनील कुमार
राजनीति अर्थात जो राज के लिये नीति और नियम बनाते हो।
राष्ट्रनीति
अर्थात जो राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र के शक्तिशाली रूप प्रदान करे सभी क्षेत्रों में न कि कुछ भी गलत हो राष्ट्र में तो राजनीति के तरह निंदा निंदा निंदा ओर फिर निंदा????????????????????????????????•••
राहनीतिक विश्लेषक
वह व्यक्ति जो राजनीति और राजनेताओं के कामो का विवेचना करे। न कि उसी के बारे हमेशा लिखे आज भारत की दशा यह है कि कोई यदि एक या लगातार चुनाव जीतता है तो वह सहज है पर वह जो राष्ट्र के लिये गलत किया हो उसे कोई विवेचना नही करता
राजनेताओं का गहरापन
आखिर भारत नही बल्कि इंडिया के राजनेताओं को क्या हो गया जो वह हमेशा विदोशी ताकतों के सामने सरंडर कर देता हूं क्या वह इतना मानसिक करजोरी के हालात में है
पता नही वह क्यों भूल जाता है कि हम125करोड़ है
यदी हम किसी का बहिष्कार कर दे तो उसका जिन दूभर हो जाएगा।
क्या हम इतना सोच सकते है कि हम एक शक्तिशाली राष्ट्र में रहते है नही क्यों कि हमे राष्ट्रनायक नही बल्कि राज नेता मिलता हसि जिसे बस ओर बस कुर्सी यानी सत्ता चाहिये।
जिसे सत्ता प्रेम है वह देश के लिये कुछ करन्हि सकता ।
क्या हम यह राजनेताओं की ही गलती मान ले नही जब तक जनता उसके साथ नही हसि वह गलत नही हो सकता क्यों कि हमर डंसज सज पदों लिखो नोकरी करो घर चलाओ में व्यस्त हसि देश मे क्या गलत हो रहा कोई माता पिता स्पंद बच्चे को सींचने नही देता जिस दिन यह व्यवस्था बदलेगी तभी समाज राज्य राष्ट्र शक्तिशाली बनेगा।
धन्यवाद
सुनील कुमार
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