मेरे 800 साल वापिस दो.. (भाग 1)

मेरे 800 साल वापिस दो.. (भाग 1)

By - आनंद कुमार

एक अध्याय है बस, पूरे 800 साल का एक अध्याय !! गुप्त वंश का शाषण काल छठी शताब्दी (AD) में ख़त्म हुआ था और उसके बाद मेरी स्कूल की किताबों में सीधा जिक्र था महमूद गौरी के 1191 से शुरू हुए भारत पर हमले का | इस हमले के बाद भारत में धीरे धीरे इस्लामिक सल्तनत की पैठ शुरू हुई |

सातवीं की किताबों में इस बीच के 800 साल का एक अध्याय है | मतलब पांचवी से दसवीं तक में इतिहास का एक अध्याय पूरे 800 साल के लिए ?

ये हर्षवर्धन का काल था

हर्षवर्धन ने हर्ष वंश की शुरुआत की थी, उनका समय गुप्त वंश के ठीक बाद का है | 16 वर्ष की आयु में आपको चाहे कुछ भी न मिलता हो, न मताधिकार, न विवाह का हक़, गाड़ी चलाने का लाइसेंस भी नहीं लेकिन करीब 606 (AD) में उन्होंने सत्ता संभाली और पूरे उत्तर भारत और पाकिस्तान के इलाके पर कब्ज़ा कर लिया |

इन्होंने उस पूरे इलाके को एक कर दिया था जिसका हम आज भी सिर्फ सपना ही देखते हैं | लेकिन ये उनके कारनामों की सिर्फ़ एक बानगी है | अपने 41 वर्ष के शाषण काल में उन्होंने 300 लड़ाइयां लड़ी थी, और उसमे से सिर्फ 299 बार जीत पाए थे ! कोई है क्या इस से बेहतर प्रदर्शन किया हो जिसने ?

संस्कृत में इन्होने तीन नाटक लिखे थे, रत्नावली, प्रियदर्शिका, और नागानन्द | नागानन्द पांच भागों का एक ऐसा नाटक है जिसमे शुरुआत तो रोमांस से होती है, थोड़ी ही देर में ये नाटक स्वरुप बदलता जाता है और अंत तक पहुँचते पहुँचते इसमें विलेन ही हीरो बन जाता है | फ़िरसत तो रही नहीं होगी इनके पास सोचने की 300 लड़ाइयों के बीच ही कहीं लिखी गई थीं ये किताबें |

हर्षवर्धन सती प्रथा को ख़त्म करने वाले पहले राजा थे | राजा राम मोहन राय के पैदा होने से कुछ 7-8 सौ साल पहले अपने राज्य में उन्होंने सती प्रथा पर पूरी तरह लगाम लगा दी थी | नालंदा के सबसे बड़े दानकर्ताओं में से एक थे ये और शून्य का अविष्कार इन्हीं के काल में हुआ था | चीन से राजनैयिक सम्बन्ध इन्होने 630 (AD) स्थापित कर रखे थे |

जो दस लाइनों इनका जिक्र सिमट आता है आज उस से तो ज्यादा पर इनका हक़ बनता है |

पाल वंश



गोपाल नाम के शासक ने 705 (AD) में बंगाल में पाल वंश की स्थापना की थी | तलवार के जोर पर किसी से सत्ता नहीं हथियाई थी भाई, बाकायदा लोकतांत्रिक चुनाव से जनता ने बनाया था राजा | अपने समय के सबसे अच्छे योद्धा और सेना नायक थे ये, इसलिए भी आस पास वालों के हमलों से बचाने के लिए इन्हें चुना गया था | ज्यादातर राजवंश जहाँ 250 से 300 साल में ख़त्म हो जाते हैं इनके वंशजों ने 400 साल शासन किया |

अपने उन्नति के शिखर पर उनका नक्शा कुछ नीचे के नीले रंग वाले हिस्से जैसा था | सीधा सीधा स्क्वायर किलोमीटर में जोड़ें तो मुग़ल साम्राज्य से थोड़ा बड़ा | कितना लिखा है इनके बारे में ?? चार छः लाइन ही न?

क्या लगता है ? उस ज़माने के मुस्लिम या मंगोल या फिर और दुसरे सुलतान क्या करते थे किसी इलाके को कब्ज़े में लेने पर ? लूट, बलात्कार, गुलाम बनाना, सर काट के उनकी दीवार जैसा कुछ ? नालंदा विश्विद्यालय के साथ इसने ऐसा कुछ भी नहीं किया था ! सदमा लगा ? खैर इसने विक्रमशिला में दूसरी एक जगह विश्वविद्यालय और बना दिया क्योंकि जगह कम थी नालंदा में | एक पालों द्वारा पोषित और दूसरी उनकी बनाई हुई, वैसे ये भी ध्यान देने लायक है की बौद्ध धर्म का तिब्बत में प्रचार इन्होने ही करवाया था | अब चीनी कोमुनिस्ट तो भगा के तैयार हैं, अपने यहाँ के ये सब लिखते नहीं तो दलाई लामा को किसे धन्यवाद देना चाहिए ये हमने बता दिया |

अफ़गानिस्तान से बर्मा तक राज्य स्थापित कर के जब पालों का जी नहीं भरा तो 177 कमरों वाला सोमपुरा विहार बौद्ध भिक्षुओं के लिए बनवा दिया | करीब तीस एकड़ ज़मीन में है और पिरामिड से मुकाबला कभी भी कर सकता है | अगर उस ज़माने में आप सोमपुरा नहीं गए थे तो आप कोई बड़े बौद्ध भिक्षु भी नहीं कह सकते थे खुद को |

जे. सि. फ्रेंच को इस जगह की पुरातात्विक खुदाई से पैसे की कमी का बहाना सुना के रोक दिया गया था | बेशर्मों को कोई बताये की इनके लिए सात लाइन से ज्यादा की जगह होती है ।

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