स्वदेशी
वतन के दर्दे-निहां की दवा स्वदेशी है
ग़रीब क़ौम की हाजत रवा स्वदेशी है
तमाम दहर[1] की रूहे-रवाँ[2] है यह तहरीक[3]
शरीके हुस्ने-अमल[4] जा ब जा स्वदेशी है
क़रारे-ख़ातिरे-आशुफ़्ता[5] है फ़ज़ा इसकी
निशाने-मंजिले, सिदक़ो-सफ़ा[6] स्वदेशी है
वतन से जिनको महब्बत नहीं वह क्या जानें
कि चीज कौन विदेशी है क्या स्वदेशी है
इसी के साये में पाता है परवरिश इक़बाल
मिसाले-साय:-ए-बाले-हुमा स्वदेशी है
इसी ने ख़ाक को सोना बना दिया अक्सर
जहां में गर है कोई कीमिया स्वदेशी है
फ़ना के हाथ में है जाने-नातवाने-वतन
बक़ा जो चाहो तो राज़े-बक़ा स्वदेशी है
हो अपने मुल्क की चीज़ों से क्यों हमें नफ़रत
हर एक क़ौम का जब मुद्दआ स्वदेशी है
ग़रीब क़ौम की हाजत रवा स्वदेशी है
तमाम दहर[1] की रूहे-रवाँ[2] है यह तहरीक[3]
शरीके हुस्ने-अमल[4] जा ब जा स्वदेशी है
क़रारे-ख़ातिरे-आशुफ़्ता[5] है फ़ज़ा इसकी
निशाने-मंजिले, सिदक़ो-सफ़ा[6] स्वदेशी है
वतन से जिनको महब्बत नहीं वह क्या जानें
कि चीज कौन विदेशी है क्या स्वदेशी है
इसी के साये में पाता है परवरिश इक़बाल
मिसाले-साय:-ए-बाले-हुमा स्वदेशी है
इसी ने ख़ाक को सोना बना दिया अक्सर
जहां में गर है कोई कीमिया स्वदेशी है
फ़ना के हाथ में है जाने-नातवाने-वतन
बक़ा जो चाहो तो राज़े-बक़ा स्वदेशी है
हो अपने मुल्क की चीज़ों से क्यों हमें नफ़रत
हर एक क़ौम का जब मुद्दआ स्वदेशी है
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