भारत टैक्स और बजट*
*भारत टैक्स और बजट*
भारत में यूँ तो जनता से कर लिया जाता रहा है राज्य व्यवस्था को चलाने के लिए लेकिन मौजूदा कर व्यवस्था का इतिहास आज़ादी की लड़ाई से है ।
1857 की क्रांति में अंग्रेजो के पैर लगभग उखड़ गए थे, इसी वजह से 1858 में ईस्ट इंडिया कम्पनी को हटाकर अंग्रेजों की ब्रिटिश सरकार यानि रानी ने स्वयम हुकूमत शुरू की थी 1858 में।
2 1857 की क्रांति की जांच में उन्हें पता चला की भारत के लोग बहुत धनिक हैं और समाज सेवा के लिए बहुत दान करते हैं इसी दान के कारण यह क्रांति हो पाई थी । तो इस दान व्यवस्था पर चोट करने के लिए व् लोगों से अत्यधिक धन छीनने के लिए कई सारे कर के कानून बनाये गए 1860 में ।
3 जी हां 1860 में ही लगभग ज्यादातर कर व्यवस्था भारत में पहली बार लागु हुई । इनकम टैक्स 97% (सही पढ़ा आपने 97%)
आज़ाद भारत में भी 1970 (यानि 47 से 70 तक कांग्रेस राज में भी) इनकम टैक्स की दर 70% तक रही ।
अन्य टैक्स भी जैसे एक्साइज ड्यूटी और सेल्स टैक्स 200% cost यानि लागत पर 200% ताकि भारत के उत्पाद महंगे हो जाएं और विदेशी मुद्रा उन्हें मिलनी बन्द हो जाये ।
आज भारत में जितने भी कर हैं उनमें से 90% कर अंग्रेजो की व्यवस्था है । लूट की ।
इसीमे आज़ाद भारत की सरकारों ने समय समय पर नए कर जोड़े ( अपने कामनवेल्थ के मालिक देश ब्रिटेन के कहने पर) । आज भी यह जारी है ।
आज बजट है ।
जनता को भीख दी जायेगी ।
इनकम टैक्स में थोड़ी से छूट की सीमाएं बढ़ाकर बजट को जन हितैषी बताया जायेगा ।
काला धन की मूल जड़ है अत्यधिक कर (ज्यादा प्रकार के टैक्स) और अत्यधिक कर की दर (रेट) ।
भ्रस्टाचार की मूल जड़ है , बड़े नोट, न्याय व्यवस्था की विफलता और काला धन ।
भारत में जब तक यह टैक्स द्वारा जनता की लूट के कानून व् पूर्ण रूप से विफल न्याय व्यवस्था चलती रहेगी तब तक काला धन और भ्रस्टाचार जीवित रहेगा और सभी नेताओं की दुकानें व् इनके विदेशी माँ बाप को मुफ्त की रोटी मिलती रहेगी।
आचार्य विष्णुगुप्त यानि चाणक्य जी ने भी बताया है कि अत्यधिक कर जनता की लूट है व् राष्ट्रहित में कतई नही है ।
देश में यदि सभी टैक्स समाप्त कर दिए जाएं और मात्र 2% टैक्स लागु हो तो शायद ही कोई सामान्य जन होगा जो टैक्स से बचना चाहेगा ।
आज की टैक्स व्यवस्था ने सभी को चोरी करने पर मजबूर किया हुआ है । क्योंकि उनके द्वारा दिया गया धन सरकार के माध्यम से नेताओं और विजय माल्या जैसे धनिकों की अय्याशी में लूटा दिया जाता है । जब जनता को विश्वास ही नही की उसका दिया हुआ कर नेता नही लुटाएंगे तो वो कर क्यों देगा ?
आज यदि सर्वे करवाया जाए और यह प्रश्न पूछें जाएँ ।
1 क्या आप टैक्स देना चाहते हैं ? *नही*
2 क्यों नही ? *बहुत ज्यादा टैक्स हैं*
3 आप वर्ष में जितना कमाते हैं अगर उस पर सभी नियम कानून के अनुसार तैक्स देते तो लगभग कितना % टैक्स दे देते । *लगभग 50-70%*
4 यदि सब तैक्स समाप्त कर दें और मात्र 1 ही टैक्स लागु हो 2% तो क्या आप कर देंगे ? *क्या मात्र 2%, ऐसा है तो असम्भव लेकिन हो जाए तो कौन टैक्स नही देगा*
तो मित्रों जागिये ।
Arthkranti टैक्स व्यवस्था को समझिये जानिये यह एक भारतीय द्वारा, भारत के लिए, भारत का अपना कर कानून की व्यवस्था है जिससे सरकार को खजाने में कमी नही होगी, लोगों की लूट बन्द होगी, कालाधन लगभग समाप्त होगा, देश में कोई कर चोरी नही करेगा, टैक्स अफसरों की भ्रस्टाचार समाप्त होगी , व्यापर सरल व् सुगम होंगे, वस्तुओं के दाम कम होंगे, महंगाई कम होगी, लोगों के पास ज्यादा धन होगा स्वयम के परिवार के लिए, समाज के कार्यों के लिए दान खूब मिलेगा ।
यह सब सम्भव है । अर्थक्रांति कानून से ।
यदि सहमत हैं तो www.arthakranti.org को जाने पढ़े समझें और लोगों को जागरूक करें ।
@arthakranti
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जय हिंद जय भारत ।
अंग्रेज वापस चले गए उनके कानून और न्याय व्यवस्था उन्ही के नौकर इस देश पर लागू करके लूट मचा रहे हैं । जागिये । सबको जगाइये भी ।
भारत में यूँ तो जनता से कर लिया जाता रहा है राज्य व्यवस्था को चलाने के लिए लेकिन मौजूदा कर व्यवस्था का इतिहास आज़ादी की लड़ाई से है ।
1857 की क्रांति में अंग्रेजो के पैर लगभग उखड़ गए थे, इसी वजह से 1858 में ईस्ट इंडिया कम्पनी को हटाकर अंग्रेजों की ब्रिटिश सरकार यानि रानी ने स्वयम हुकूमत शुरू की थी 1858 में।
2 1857 की क्रांति की जांच में उन्हें पता चला की भारत के लोग बहुत धनिक हैं और समाज सेवा के लिए बहुत दान करते हैं इसी दान के कारण यह क्रांति हो पाई थी । तो इस दान व्यवस्था पर चोट करने के लिए व् लोगों से अत्यधिक धन छीनने के लिए कई सारे कर के कानून बनाये गए 1860 में ।
3 जी हां 1860 में ही लगभग ज्यादातर कर व्यवस्था भारत में पहली बार लागु हुई । इनकम टैक्स 97% (सही पढ़ा आपने 97%)
आज़ाद भारत में भी 1970 (यानि 47 से 70 तक कांग्रेस राज में भी) इनकम टैक्स की दर 70% तक रही ।
अन्य टैक्स भी जैसे एक्साइज ड्यूटी और सेल्स टैक्स 200% cost यानि लागत पर 200% ताकि भारत के उत्पाद महंगे हो जाएं और विदेशी मुद्रा उन्हें मिलनी बन्द हो जाये ।
आज भारत में जितने भी कर हैं उनमें से 90% कर अंग्रेजो की व्यवस्था है । लूट की ।
इसीमे आज़ाद भारत की सरकारों ने समय समय पर नए कर जोड़े ( अपने कामनवेल्थ के मालिक देश ब्रिटेन के कहने पर) । आज भी यह जारी है ।
आज बजट है ।
जनता को भीख दी जायेगी ।
इनकम टैक्स में थोड़ी से छूट की सीमाएं बढ़ाकर बजट को जन हितैषी बताया जायेगा ।
काला धन की मूल जड़ है अत्यधिक कर (ज्यादा प्रकार के टैक्स) और अत्यधिक कर की दर (रेट) ।
भ्रस्टाचार की मूल जड़ है , बड़े नोट, न्याय व्यवस्था की विफलता और काला धन ।
भारत में जब तक यह टैक्स द्वारा जनता की लूट के कानून व् पूर्ण रूप से विफल न्याय व्यवस्था चलती रहेगी तब तक काला धन और भ्रस्टाचार जीवित रहेगा और सभी नेताओं की दुकानें व् इनके विदेशी माँ बाप को मुफ्त की रोटी मिलती रहेगी।
आचार्य विष्णुगुप्त यानि चाणक्य जी ने भी बताया है कि अत्यधिक कर जनता की लूट है व् राष्ट्रहित में कतई नही है ।
देश में यदि सभी टैक्स समाप्त कर दिए जाएं और मात्र 2% टैक्स लागु हो तो शायद ही कोई सामान्य जन होगा जो टैक्स से बचना चाहेगा ।
आज की टैक्स व्यवस्था ने सभी को चोरी करने पर मजबूर किया हुआ है । क्योंकि उनके द्वारा दिया गया धन सरकार के माध्यम से नेताओं और विजय माल्या जैसे धनिकों की अय्याशी में लूटा दिया जाता है । जब जनता को विश्वास ही नही की उसका दिया हुआ कर नेता नही लुटाएंगे तो वो कर क्यों देगा ?
आज यदि सर्वे करवाया जाए और यह प्रश्न पूछें जाएँ ।
1 क्या आप टैक्स देना चाहते हैं ? *नही*
2 क्यों नही ? *बहुत ज्यादा टैक्स हैं*
3 आप वर्ष में जितना कमाते हैं अगर उस पर सभी नियम कानून के अनुसार तैक्स देते तो लगभग कितना % टैक्स दे देते । *लगभग 50-70%*
4 यदि सब तैक्स समाप्त कर दें और मात्र 1 ही टैक्स लागु हो 2% तो क्या आप कर देंगे ? *क्या मात्र 2%, ऐसा है तो असम्भव लेकिन हो जाए तो कौन टैक्स नही देगा*
तो मित्रों जागिये ।
Arthkranti टैक्स व्यवस्था को समझिये जानिये यह एक भारतीय द्वारा, भारत के लिए, भारत का अपना कर कानून की व्यवस्था है जिससे सरकार को खजाने में कमी नही होगी, लोगों की लूट बन्द होगी, कालाधन लगभग समाप्त होगा, देश में कोई कर चोरी नही करेगा, टैक्स अफसरों की भ्रस्टाचार समाप्त होगी , व्यापर सरल व् सुगम होंगे, वस्तुओं के दाम कम होंगे, महंगाई कम होगी, लोगों के पास ज्यादा धन होगा स्वयम के परिवार के लिए, समाज के कार्यों के लिए दान खूब मिलेगा ।
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जय हिंद जय भारत ।
अंग्रेज वापस चले गए उनके कानून और न्याय व्यवस्था उन्ही के नौकर इस देश पर लागू करके लूट मचा रहे हैं । जागिये । सबको जगाइये भी ।
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