असली धनतेरस Vs पोपलीला
असली धनतेरस Vs पोपलीला
नमस्ते जीआइये आज जाने सच में धनतेरस है क्या-
मित्रो पौराणिको में धनतेरस के दिन को लेकर बहुत ही उत्साह और चहल-पहल होती है | इस दिन को धन की पूजा की जाती है और इस दिन धन, यश और कीर्ति प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है | कुबेर जो धन का प्रदाता है और लक्ष्मी धन का प्रतीक, दोनों को पूजने का त्यौहार है।
पहली बात तो धनतेरस जो है वो धन से सम्बंधित कदापि नहीं है, यह उपभोक्तावाद से प्रेरित बाजारीकारण मात्र बन गया है | वास्तव में धनतेरस में “धन” शब्द का अर्थ आयुर्वेद के जनक आरोग्य के देव 'धन्वन्तरी' से लिया गया है| त्रयोदशी तिथि के दिन धन्वन्तरी का जन्म हुआ था और यही कारण है की इस तिथि को धनतेरस के नाम से जानते है |
इस दिन नए बर्तन और चांदी खरीदने की परंपरा सी बन गई है | यही नहीं आधुनिकीकरण, बाजारी करण और धन के प्रति हमारे लगाव ने हमें अंधा बना दिया है | एक पूछे दूसरा, तीसरा पूूूछे तो भीड़ बन जाती है, और भीड़ के पीछे हम भी चल पड़ते है गाड़ी, कपडे, टीवी, फर्नीचर आदि खरीदने को जो की एक बहुत बड़ी मुर्खता है और पूर्णतया कुंठित उपभोक्तावाद से प्रेरित है, इससे ज्यादा कुछ भी नहीं |
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने का भी बड़ा महत्व बताया गया है, कहते है की चांदी जो है उसे चन्द्रमा का प्रतिक माना जाता है, जो शीतलता प्रदान करता है, और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है | अतः नई चांदी खरीदने से हमारे जीवन में शीतलता-संतोष आता है और धनतेरस का विधान पूर्ण होता है।
असल में संतोष को सबसे बड़ा धन माना गया है | मनुष्य चाहे कितना भी धनवान क्यों ना हो लेकिन जिसके पास संतोष नहीं वो सुखी कभी नही होगा | मनुष्य के जीवन रूपी वृक्ष पर चार फल लगते है- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष | इनमे अर्थ की आवश्यकता शरीर के लिए है | वेदों में कहा गया है की “वयं श्याम पतयो रयीणाम “ अर्थात हम धन-ऐश्वर्य के स्वामी बने | यह धनैश्वर्य इश्वर कृपा, पुरुषार्थ व प्रारब्ध से हमें प्राप्त होता है | इसके लिये धन-तेरस का कोई महत्त्व नहीं है कि हम चांदी खरीद इस संतोष को प्राप्त करें। यह केवल पाखंड और पोपलीला का आविष्कार है |
बड़ा ही दुःख होता है ऋषि संतानों को इसमें फंसे देख कर, हमारे महान ऋषियो ने कभी सोंचा भी नहीं होगा की विश्वगुरु कहे जाने वाले राष्ट्र की संतानों के सिद्धांत आज इतने खोखले हो चलेंगे|
महर्षि दयानंद के ग्रंथो का अभ्यास करके मोक्ष की ओर अभिमुख मानव अपने पुरुषार्थ से ही मानव धन की प्राप्ति कर सकता है | यही सनातन वेद मार्ग है | यही असली धनतेरस है। धनतेरस की पोपलीला से न कोई कभी धनी हुआ है और न होगा। वैदिक सनातन ईश्वरीय मार्ग में ही सबका कल्याण है।
भेड़चाल से बचे, पाखण्ड से मुक्त हो।
ऋषि धन्वन्तरि के जन्मदिन की हार्दिक बधाई।
आज के दिन यज्ञ, दान, ईश्वर ध्यान(संध्या), तप करें, ईश्वर कृपा आप पर बनी रहे।
।।ओ३म्।।धन्यवाद
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