लोकषड़यंत्र - ११

#लोकषड़यंत्र - ११

#Edom और #स्वभक्षी_सत्ता

Duke De'Orleans  फ्रांस की क्रांति के असली छुपे हुए षड़यंत्र रचयिताओं की पहली पसंद था उसके कई कारण थे, जैसे वह सम्राट का चचेरा भाई था, Nobles यानी विशिष्ट वर्ग में उच्चतर पद पर भी था, धनी था, विचारक था, सत्ता की महत्वाकांक्षा से ग्रस्त था और  सबसे बढ़कर वह फ्रांस की फ्री मेसन शाखा में सर्वोच्च पद पर था #Grand_Master_of_French_Free_Masonry...।

मिराबो के माध्यम से ड्यूक को Illuminati की सदस्यता मिल गई। अगले कुछ वर्षों में ड्यूक की हालत भी मिराबो जैसी हो गई। अर्थात्, भारी कर्ज़ और चारित्रिक हनन।

उसके कर्ज़ को भी भाईबंदी के हवाले देते हुए चुकता कर दिया गया, ठीक मिराबो की तरह।

यहाँ ये समझ लें कि ये वही धन था जो अय्याशियों, जुए और शराबखोरी के चलते इन लोगों ने अपने प्रशिक्षित जुआरियों , वैश्याओं और मदिरा विक्रेताओं के माध्यम से ड्यूक से छीना था।
अर्थात् ड्यूक की टोपी ड्यूक के ही सर धरी गई थी।

ड्यूक ने अपने यहूदी फायनेंसरों से एक लिखित समझौता किया था कि वे लोग उसकी प्रॉपर्टी और स्टेट का प्रबंधन करने के अधिकारी होंगे। ड्यूक का महल, घर ,ज़मीन इत्यादि पर वे लोग व्यवसाय खड़े करेंगे और लाभ का एक बड़ा अंश ड्यूक प्राप्त करेगा।
ड्यूक भी इस आटे में छुपे काँटे को निगल गया।

#पैलेइस_रॉयल और लंबी चौड़ी जागीर के मैनेजर के तौर पर #Choderlos_de_Laclos को नियुक्त किया गया। डी लाकलोस स्पेन मूल का यहूदी था।

इसने #पैलेइस_रॉयल को कुछ ही समय में दुनिया में सबसे बदनाम नशे और अय्याशियों के अड्डे में परिवर्तित कर डाला।
सभी तरह के अश्लील मनोरंजन, अवैध संबंध, बेशर्मी भरे कार्यक्रम, नग्न तस्वीरों की गैलरियाँ, पोर्न साहित्य के पुस्तकालय और पाशविक स्तर के कामुक दृश्यों के खुले मंचन की व्यवस्था की गई। स्त्री पुरुष को अवैध संबंध के लिए वहाँ विशेष सुविधा दी जाती थी।

इस बदनामी और बदमाशी की वजह से पैलेइस रॉयल  फ्रांस की धार्मिक आस्था और नैतिक मूल्यों के सुनियोजित सर्वनाश का केंद्र बनकर उभर रहा था।
इसके आधार में लूसिफर का एक सिद्धांत था , #The_best_revolutionary_is_a_youth_devoid_of_morals.. सबसे अच्छा क्रांतिकारी वो युवा होता है जो नैतिक मूल्यों से रहित होता है। (वामी खलकामी)।

डी लाकलोस का सहयोग करने के लिए पालमीरो से एक और यहूदी आया , Cagliostro, उर्फ, #Joseph_Balsamo  जोसफ बालसामो।
बालसामो ने ड्यूक की जागीर के एक भाग में प्रिंटिंग प्रेस लगाई। यहाँ से क्रांतिकारी विचारधारा के पत्र और साहित्य छपकर जनता में वितरित होने लगे। बालसामो ने प्रशिक्षित प्रचारकों की एक टीम रखी हुई थी। साहित्य के अलावा ये लोग नाटक नृत्य आदि आयोजित करते थे। इनका उद्देश्य मनुष्य के मन के निम्नतम स्तर को उभारना, वासनाओं को भड़काना, और फिर समस्त दमन के लिए राजसत्ता को अपराधी ठहराकर लोगों को क्रांति के लिए तैयार करना होता था।

इन दिनों फ्रांस की आबोहवा में एक अजीब सी खूनी गंध पसरी हुई थी। वॉल्तेयर, दिदरो, रूसो, तुर्गो, मिराबो आदि साहित्य के स्तंभ ऐसे नकारात्मक संदेश सतत जनता में दे रहे थे जिससे माहौल में नैराश्य गहन होता जा रहा था।

एकाएक लाल यहूदी टोपियाँ क्रांति के प्रतीक रूप में प्रचलित हो गई थीं (अन्ना का आंदोलन याद आया ???!)
लाल झंडे गड़ने लगे थे।

सम्राट लुइस १६ वाँ इससे बिलकुल ही अनभिज्ञ भी नहीं था। उसने १७८९ के आरंभिक दौर में स्थिति संभालने के प्रयास भी किए किंतु सब प्रयास जैसे कोई अदृश्य शक्ति विफल कर रही थी।

हारकर सम्राट ने Commons के एक प्रतिनिधि मंडल को राजसभा में स्थान दिया। बहुत माथापच्ची के बाद एक National Assembly गठित हुई जो देश के संविधान की रचना के कारण Legislative Assembly भी कहलाई।
इस संविधान सभा के अध्यक्ष के दाहिनी ओर राजसत्ता के प्रति वफादार और परंपरावादी लोग बैठते थे।
अध्यक्ष के बाँई ओर बैठनेवाले प्रजातंत्र के हिमायती, विद्रोही और प्रखर विचारक व वक्ता थे।

दाँई या #Rightside में बैठनेवाले  #Rightists और
बाँई या #Leftside में बैठनेवाले  #Leftists कहलाए।

आज भारत में भी हम Rightists को #दक्षिणपंथी और Leftists को  #वामपंथी नाम से जानते हैं।

*अज्ञेय*

#लोकषड़यंत्र - १२

#Edom का #वामपंथ

Edom is in modern Jewry
का शब्दशः अर्थ है "आधुनिक यहूदियों में ईदोम का रक्त है।"

बेबिलोनिया के सम्राट के वंश को #Edom कहा जाता है।
जीसस क्राइस्ट से ५३६ वर्ष पहले बेबिलोनिया के सम्राट के भीतर ये सनक पैदा हो गई कि वो और उसके रक्त संबंधी संसार की सर्वश्रेष्ठ प्रजाति हैं और ये उनका आध्यात्मिक दायित्व बनता है कि अंधकार में डूबे विश्व को प्रकाश का अनुभव कराया जाए।

फिर उन्होने इज़रायल पर आक्रमण कर दिया।

तब का इज़रायल अरब सहित एक बड़ा देश होता था। और बेबिलोनिया आज के ईराक और निकटवर्ती क्षेत्रों से मिलकर बनता है।

बेबिलोनिया के सम्राट और उसके वंशजों के आक्रमण से इज़रायल के लोग चारों दिशाओं में भागे। उनकी एक शाखा भारत आकर कश्मीर में भी बस गई थी। आज के कश्मीरी मुस्लिम वही हैं।

इस आक्रमण के बाद पुराने निवासी #Judah और नए #Judea यहूदी कहलाए।

रक्तपात द्वारा ज्ञान का प्रकाश लाने वाले इस जबरदस्ती के देवता को #Lucifer कहा गया।

समय के साथ लूसिफर का पंथ उसे अपने देवता की तरह पूजने लगा। किंतु Judah लोगों के लिए उनके द्वार खुले नहीं थे। फलतः वे लोग Judea को भय और रहस्य का पंथ मानते थे।

वैसे लूसिफर का पंथ आज के मनोविज्ञान और विज्ञान के जन्म का आधार है। क्योंकि लूसिफर अपने साथ ज्ञान की गुप्त प्रक्रियाएँ लाया था जिनमें रासायनिक प्रयोग, भौतिक विज्ञान और मानव मन पर कब्जे के प्रयोग थे।

कालांतर में जीसस का उद्भव हुआ। Judah में जन्मा होने के कारण उनके मन में लूसिफर और उसके पंथ के प्रति स्वाभाविक घृणा थी।
इसीलिए जब उनकी बात सुनी गई तो उन्होने Judea को शैतान के अनुयायी और लूसिफर को शैतान घोषित कर दिया।

ईसाईयत के शक्तिशाली होते ही लाखों हत्याकांड और अग्निकांड इस एक बात पर हो गए। लूसिफर का पंथ छुपकर साधना में लगा रहा।

किंतु Judah  और Judea दोनो को यहूदी माना जाता है। इसलिए #Jewish_Encyclopedia ने १९२५ में यह तथ्य ग्रहणीय माना कि Edom is in modern Jewry.
आधुनिक यहूदियों में ईदोम का रक्त है।
Edom लाल अर्थात् रक्त का भी प्रतीक है
इसलिए मैंने अनुवादित किया था कि "अब यहूदी का न्याय लाल होगा।"
ये भावानुवाद अधिक है अनुवाद कम।

एक रबाई के बेटे Adam Weishaupt ने १ मई १७७६ को एक संगठन की नींव रखी #Illuminati।
१ मई मजदूर दिवस घोषित किया जाता है क्रांति के बाद। कम्यूनिस्ट सत्ता का #पवित्र_दिवस।
कारण भले ही दूसरे बताए हों ये जन्मदाता को सांकेतिक नमन है।

क्रांति के आरंभिक दौर में लाल रंग की फिर्जीयन टोपियाँ क्रांति के प्रतीक रूप में प्रचलित हो गईं। ये भी  Judea यहूदी का पहनावा है।

क्रांतिकारियों के लैटरपैड पर आँख वाला पिरामिड बना होता था , बिलकुल ऊपर। ये Illuminati और Free Masons का प्रतीक चिन्ह है।

विश्व के Senior Communists रशिया या चीन को अपने आदर्श नहीं मानते। फ्रांस की क्रांति के छुपे हुए षड़यंत्र रचयिताओं के लिए उनमें अगाध श्रद्धा है। पर ये लोग अपने को गुप्त ही रखते आए हैं इसलिए वो श्रद्धा प्रकट नहीं हो सकती।

फ्रांस की क्रांति का ध्वज लाल रंग का ही था। यही नहीं इसके बाद समाजवाद, साम्यवाद, सामाजिक न्याय आदि के नाम पर जितने रक्त रंजित विध्वंसक उपद्रव हुए हैं सबका झंडा लाल ही रहा है।

और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य तो ये है कि रशिया में लेनिन को इन अंतरराष्ट्रीय बैंकरों ने फायनेंस किया कि रशिया में तख्तापलट हो सके।
तख्तापलट के बाद टोटेलिटेरियन तानाशाही स्थापित हुई और लेनिन ने ध्वज रखा  लाल , हँसिया हथौड़ा और उस पर #Star_of_Judea जूदिया का सितारा।

ये सब मात्र संयोग नहीं हैं।

१७८७ तक फ्रांस के दरबार में
#Edom के वंशज #Lucifer का #वामपंथ अध्यक्ष के बाँई ओर बैठ चुका था।

#अज्ञेय

#लोकषड़यंत्र - १३

#Goyim_The_Reign_of_Terror
गोयिम, आतंक का राज।

अमेरिकी गृहयुद्ध में बिना कारण कूदने की वजह से फ्रांस की आर्थिक हालत पहले ही पतली हो गई थी। उस पर सम्राट के निजी खर्च कम ही नहीं हो रहे थे। विशिष्ट वर्ग और पादरी वर्ग भी पीछे नहीं था। फलतः देश की दुर्दशा होती जा रही थी और सम्राट संभालने में अक्षम हो रहा था।

ऐसे समय में तुर्गों नामक विद्वान ने राय दी कि Nobles को करप्रणाली के अंतर्गत लाया जाए।
सम्राट को लगा ये विचार काम करेगा पर उलटा हो गया। विशिष्ट वर्ग भड़क गया।

फ्रांस का ये विशिष्ट वर्ग ३००/४०० वर्ष पहले तक सेना का नेतृत्व करता था। तथा प्रजा की रक्षा हेतु तत्पर रहता था।
इसलिए सम्राट की ओर से इनको बड़ी बड़ी जागीरें और भारी भरकम सम्मान मिला हुआ था। किंतु अब सब सेना के हाथ था और ये लोग देश पर बोझ हो गए थे।

विशिष्ट वर्ग ने कर चुकाने से साफ मना कर दिया।

इधर Rothschield के बैंकरों ने देश के उद्योगपतियों को दिया धन खींच लिया। सारी अर्थव्यवस्था जाम कर दी गई।
सम्राट लुइस समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है, और स्थिति बिगड़ती चली गई।

ऐसे समय में इन्हीं बैंकरों ने सम्राट को बड़ी रकम देश और राजमहल चलाने को कर्ज़ रूप में दी। ऐसा उन्होने बार बार किया और सम्राट को अपने शिकंजे में जकड़ लिया।

उधर बालसामो और उसकी टीम ने Duke De'Orleans के महल पैलेइस रॉयल को दुराचार का खुला अड्डा बना दिया था। अब वहाँ भले घर की महिलाएं उठा कर लाई जाती थीं , उनके सामुहिक बलात्कार होते थे और फिर उन्हें ब्लैकमेल करके दूसरी कन्याओं व महिलाओं को बुलवाया जाता था।
पुरुषों के लिए जुए व शराब के अतिरिक्त नए नए रासायनिक नशे उपलब्ध होने लगे। ये सब करने वाले प्रशिक्षित अपराधी थे जो बाहर से आए थे। अब उन्होने यहाँ अपनी समानांतर सत्ता स्थापित कर ली थी। लोकतंत्र के गर्भधारण काल में ही #Underworld का जन्म हो चुका था।

आमजन इस बात से बेखबर था कि ये सब कौन लोग कर रहे थे। उनके लिए तो इतना ही काफी था कि ये महल सम्राट के चचेरे भाई का है। बदनामी ड्यूक की हो रही थी और काम षड़यंत्र रचयिताओं का हो रहा था।

राज परिवार के बारे में एक के बाद एक झूठे किस्से प्रचारित होने लगे।
ये सब कौन कर रहा था कुछ पता नहीं लगता था।बस ऐसे ही जहाँ दो चार लोग इकट्ठे हो जाते कोई इस तरह की बातें उछाल कर चलता बनता। शेष कार्य जनता स्वयं कर लेती थी।
अक्सर ये #कोई अनजान सा चेहरा होता था पर लोग इस पर बिलकुल ध्यान नहीं दे रहे थे। उन्हें पहली बार सम्राट और महारानी की रोचक कामुक गाथाएँ हाथ लग थीं। वे इसमें मगन थे।

और उधर धीरे धीरे फ्रांस में #Goyim की रचना हो रही थी।

इस्लाम जिसे "दार-उल-हरब" अर्थात् युद्ध की भूमि कहता है, उसी को ये लोग #गोयिम कहते हैं। मतलब वही है। जो हमारे मत से सहमत नहीं हैं उनकी भूमि गोयिम है, जहाँ क्रांति की सख्त आवश्यकता है।

#अज्ञेय

शेष भाग कल .....

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